Edited By Anjna,Updated: 24 Jun, 2018 12:01 PM
शहर में अपराध पर काबू पाने व चोर-लुटेरों को सलाखों के पीछे पहुंचाने के लिए कमिश्नरेट पुलिस द्वारा जनता के सहयोग से लगवाए गए सैंकड़ों कैमरे शहर में खराब पड़े हैं। अगर शहर में नजर दौड़ाई जाए तो जनता की कमाई से लगे कैमरे कई स्थानों पर या तो खंभों से...
जालंधर (सुधीर): शहर में अपराध पर काबू पाने व चोर-लुटेरों को सलाखों के पीछे पहुंचाने के लिए कमिश्नरेट पुलिस द्वारा जनता के सहयोग से लगवाए गए सैंकड़ों कैमरे शहर में खराब पड़े हैं। अगर शहर में नजर दौड़ाई जाए तो जनता की कमाई से लगे कैमरे कई स्थानों पर या तो खंभों से नीचे लटक रहे हैं या खराब पड़े हैं।
इस कारण चोर-लुटेरों के हौसले बुलंद हो रहे हैं और चोर-लुटेरे रोजाना कमिश्नरेट पुलिस की ढीली कारगुजारी की पोल खोलते रोजाना लूटपाट की वारदातों को अंजाम देकर फरार हो रहे हैं। अभी कुछ समय पहले का ही रिकार्ड खंगाला जाए तो चोर-लुटेरे कई स्थानों पर चोरी व लूटपाट की वारदातों को अंजाम दिया पर इसके बावजूद कमिश्नरेट पुलिस शहर में चोर-लुटेरों का सफाया करने में नाकाम दिख रही है। कुछ समय पूर्व शहर में पूर्व पुलिस कमिश्नर अॢपत शुक्ला ने शहर के लोगों व इंडस्ट्रीयलिस्टों से मीटिंग कर शहर में कैमरे लगवाने का सहयोग मांगा था। इसके चलते पुलिस कमिश्नर अर्पित शुक्ला ने हर थाना प्रभारी को अपने-अपने एरिया में सैंस्टिव प्वाइंट पर कैमरे लगवाने के आदेश जारी किए थे।
36 घंटे की होती थी रिकार्डिंग, नहीं लगे थे डी.वी.आर.
बताया जा रहा है कि कमिश्नरेट पुलिस ने शहर के अधिकांश भागों में जो कैमरे लगवाए थे वह चिप कैमरे थे। जिनमें मैमरी कार्ड पड़ते थे। इनमें मात्र 36 घंटे की ही रिकार्डिंग होती थी। 36 घंटे बाद उक्त कैमरों में पुरानी रिकाॄडग डिलीट हो जाती थी और अगले दिन की नई रिकार्डिंग होती थी जबकि कैमरों के साथ कोई डी.वी.आर. या हार्ड डिस्क नहीं लगवाई थी। अपराध होने पर कमिश्नरेट पुलिस के कर्मी घटनास्थल पर कैमरों के मैमरी कार्ड के जरिए रिकार्डिंग खंगालते थे।