पर्यावरण को बचाने की मुहिमः प्लास्टिक के लिफाफों से बन सकते हैं बैंच

Edited By Sunita sarangal,Updated: 14 Nov, 2019 10:04 AM

benches can be made from plastic envelopes

सड़कों के निर्माण में तो पहले ही यूज हो रहा है वेस्ट प्लास्टिक

जालंधर(खुराना): कई दशक पहले जब किसी सामान को पैक करने के लिए अखबारी या कागज के लिफाफों का इस्तेमाल होता था तब अभियान चला था कि कागजी लिफाफों का प्रयोग कम किया जाए क्योंकि कागज वृक्षों से बनता है और कागज बनाने के लिए कई वृक्षों की बलि देनी पड़ती है। इसे देखते हुए प्लास्टिक को बढ़ावा देने का अभियान शुरू हुआ और तर्क दिया गया कि प्लास्टिक को री-साइकिल किया जा सकता है और बार-बार प्रयुक्त होने के बाद भी प्लास्टिक को गला कर उससे अन्य उत्पाद बनाए जा सकते हैं।

प्लास्टिक को री-साइकिल करके अन्य उपयोगी सामान बनाने का सिलसिला काफी लम्बा चला और अब तक जारी है। यह अलग बात है कि आज प्लास्टिक इतनी भारी मात्रा में प्रयुक्त हो रहा है कि उसे री-साइकिल करना ही सम्भव नहीं है और आज प्लास्टिक पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा खतरा बन कर उभर रहा है। विश्व के ज्यादातर देशों में प्लास्टिक के लिफाफे इत्यादि तेजी से बैन हो रहे हैं, जिनमें भारत भी शामिल है, जिसके कई राज्य प्लास्टिक के कैरी बैग्स पर पूर्ण प्रतिबंध लगा चुके हैं ताकि दूषित हो रहे पर्यावरण को बचाया जा सके।
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जालंधर में भी प्लास्टिक के लिफाफों पर पूरी तरह बैन लगा हुआ है और नगर निगम अक्सर इस बैन को लागू करवाने के लिए कार्रवाई करता रहता है। समय-समय पर की गई कार्रवाइयों के दौरान निगम ने करीब 80-90 क्विंटल प्लास्टिक के लिफाफे जब्त करके स्टोर में रखे हुए हैं। इसके अलावा शहर में टनों के हिसाब से प्लास्टिक के लिफाफे बिखरे हुए हैं, जो पर्यावरण के लिए बहुत बड़ा खतरा है। इन लिफाफों को अगर री-साइकिल किया जाए तो निगम इन्हें सड़कों के निर्माण में काम आने वाली सामग्री के रूप में इस्तेमाल कर सकता है। पंजाब सरकार ने भी ऐसा प्रोजैक्ट शुरू कर रखा है।

अगर निगम ने वेस्ट प्लास्टिक से सड़कें नहीं बनवानी हैं तो इन्हें री-साइकिल करके मजबूत बैंच बनाए जा सकते हैं, जो शहर के 450 के करीब पार्कों में इस्तेमाल हो सकते हैं। गौरतलब है कि निगम कभी-कभार ऐसे बैंच करोड़ों रुपए की राशि खर्च करके खरीदता है। अगर निगम किसी कम्पनी से अनुबंध करे तो न केवल करोड़ों रुपए बचेंगे बल्कि जब्तशुदा प्लास्टिक तथा यहां-वहां बिखरे प्लास्टिक के लिफाफों से भी शहर को मुक्ति मिल सकती है।

लोकल बाडीज विभाग ने भेजे निर्देश
इस बीच राज्य के लोकल बाडीज विभाग ने जालंधर निगम को निर्देश भेजे हैं कि उसने प्लास्टिक पर बैन के कारण हुई कार्रवाइयों दौरान प्लास्टिक के जो लिफाफे जब्त किए हैं उन्हें उन प्लांटों में भेजा जाए जहां सीमैंट बनता है ताकि उन्हें ईंधन के रूप में वहां इस्तेमाल किया जा सके। माना जा रहा है कि प्लास्टिक के लिफाफों को जलाने की बजाय उन्हें री-साइकिल करके उनका उपयोग सही तरीके से किया जाना चाहिए।
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विधायक रिंकू ने सब्जी मंडी में बांटे कपड़े के थैले
पर्यावरण का दुश्मन साबित हो रहे प्लास्टिक के लिफाफों पर लगे बैन को सख्ती से लागू करवाने में शहर के विधायक भी खासा सहयोग दे रहे हैं। वैस्ट क्षेत्र से विधायक सुशील रिंकू ने आज अपने क्षेत्र में पड़ती सब्जी मंडी में आम लोगों के बीच कपड़े के थैले बांट कर लोगों को प्लास्टिक के लिफाफों के प्रयोग से बचने को कहा। इस अवसर पर निगम कमिश्नर दीपर्व लाकड़ा के अलावा डिप्टी मेयर हरसिमरनजीत सिंह बंटी तथा खादी बोर्ड के डायरैक्टर मेजर सिंह माडल हाऊस भी विधायक रिंकू के साथ थे।

यह थैले विधायक रिंकू के समर्थक व एन.आर.आई. अमोलक सिंह गाखल के सहयोग से तैयार करवाए गए हैं। इन्हें बांटने के अवसर पर पार्षद चमन लाल, तरसेम लखोत्रा, ओंकार राजीव टिक्का, जगदीश समराय, संदीप वर्मा, बलबीर अंगुराल, हरजिन्द्र सिंह लाडा, गुरप्यार सिंह, पवन जंगवाल, सोमनाथ, लुभाया राम, अश्विनी जंगराल, नसीर सलमानी, वरिन्द्र कारी, ओम प्रकाश भगत, तरसेम थापा, अभि लोच, कमल डोगरा व नरेश टेलर भी उपस्थित थे।
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चंडीगढ़ में प्लास्टिक से लगेंगे पैचवर्क
केन्द्र शासित प्रदेश व पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ की बात करें तो वहां नगर निगम द्वारा एक ऐसा प्लांट लगाने के टैंडर निकाले गए हैं जहां लुक-बजरी में प्लास्टिक के वेस्ट लिफाफों व बोतलों इत्यादि का इस्तेमाल करके जो मैटीरियल बनेगा उससे चंडीगढ़ की सड़कों पर पैचवर्क लगाए जाएंगे जो काफी मजबूत होंगे। इस प्लांट पर लागत भी बहुत कम आएगी और मात्र 8-9 लाख रुपए में यह प्लांट लग जाएगा। अगर जालंधर निगम भी ऐसा तजुर्बा करे तो जहां प्लास्टिक से निजात मिल सकती है वहीं सड़कों के पैचवर्क पर होने वाला करोड़ों का खर्चा भी बच सकता है।

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