Edited By swetha,Updated: 19 Feb, 2020 09:59 AM
यह हैं स्कूली वाहनों के नियम
पठानकोट(आदित्य, नीरज, शारदा): स्कूली बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ करने वालों से जिला प्रशासन सख्ती से पेश आएगा। चैकिंग अभियान दौरान अगर कोई स्कूल सिविल रिट पटीशन 6907 ऑफ 2009 तहत सेफ स्कूल वाहन पॉलिसी की उल्लंघना करता पाया गया तो उस स्कूल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
यह विचार जिला उपायुक्त गुरप्रीत सिंह ने विशेष भेंट में व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि जिले में जिलास्तरीय इंटर डिपॉर्टमैंट कमेटी जोकि सब डिवीजन मैजिस्ट्रेट की चेयरमैनशिप अधीन गठित कमेटी है, जिसमें जिला ट्रांसपोर्ट अफसर, जिला शिक्षा अफिसर, सुपरिंटैंडैंट ऑफ पुलिस (ट्रैफिक), नगर निगम के एग्जीक्यूटिव अफसर, असिस्टैंट मैकेनीकल इंजीनियर मैंबर हैं, जो हर माह मीटिंग करेंगे व सेफ स्कूल वाहन पॉलिसी के तहत आगामी एक्शन प्लान तैयार करेंगे व सेफ स्कूल वाहन पॉलिसी तहत इंस्पैक्शन करेंगे।
यह हैं स्कूली वाहनों के नियम
- बस का मतलब एम-2 व एम.-3 कैटागरी के वह व्हीकल जिनकी सीटिंग कपैस्टी बिना ड्राइवर के 13 पैसेंजर की होती है, का ही प्रयोग किया जाए।
- स्कूल व्हीकल का परमिट समर्थ अधिकारी द्वारा बनाया गया होना चाहिए, सारे स्कूल वाहन पीले रंग से पेंट करवाएं होने चाहिए।
- वाहन के दोनों साइड पर स्कूल बस लिखा हो एवं यदि स्कूली वाहन स्कूल द्वारा किराए पर लिए गए है तो स्कूली वाहन के आगे एवं पीछे दोनों साइडों पर ऑन स्कूल ड्यूटी लिखा होना चाहिए।
- हरेक स्कूल वाहन में स्टॉप सिंग्नल आर्म का साइन बोर्ड लगा होना चाहिए तथा स्पीड गवर्नर लगा होना जरूरी है। इस संबंध में समर्थ अधिकारी द्वारा बनाया सर्टीफिकेट मौजूद होना चाहिए।
- स्कूली वाहन में रिटरेटिंग स्टैप का होना जरूरी है, जिसकी ऊंचाई जमीन से 220 मि.ली. से अधिक नहीं होनी चाहिए।
- हरेक स्कूल बस के ऊपर स्कूल बस का सिंबल बना होना चाहिए, जिसका आकार 350 मि.मी. का होना चाहिए।
- स्कूली बस के दोनों साइडों पर गोल्डन ब्राऊन रंग की पट्टी बनी हो, जिसका आकार 150 मि.मी. चौड़ा होना चाहिए एवं स्कूल का नाम इस पट्टी पर लिखा होना चाहिए।
- हरेक स्कूल बस के पिछले साइड दाएं तरफ एमरजैंसी डोर एवं बस की पिछली साइड पर एमरजैंसी एग्जिट की सुविधा भी होनी चाहिए।
- सारे स्कूली वाहन की खिड़कियों पर हौरीजेंटल ग्रिल लगी होनी चाहिए, सारे स्कूली वाहन के दरवाजे में भरोसेयोग लॉक हो।
- हरेक स्कूली वाहन में सी.सी.टी.वी. कैमरे की सुविधा होनी जरूरी है।
- स्कूली बस में ड्राइवर की सीट को छोड़कर शेष सीटें के नीचे स्टोरज रैक की सुविधा होनी चाहिए, जिसमें बच्चों के स्कूल बैग, लंच बॉक्स एवं पानी की बोतलें रखी जा सकें।
- सभी स्कूली वाहनों में रजिस्ट्रर्ड समर्था के अनुसार ही बच्चे बिठाए जाएं।
- हरेक स्कूल में बच्चों को स्कूली बसों में बिठाने एवं उतारते समय सारे स्कूली वाहन स्कूल वाली साइड पर ही लगे होने चाहिएं.
- बस पार्किंग एरिया स्कूल के अंदर ही हो। हरेक स्कूली बस के ड्राइवर का गाड़ी चलाने का कम से कम 5 वर्ष का तजुर्बा एवं पक्का ड्राइविंग लाइसैंस होना चाहिए।
- ड्राइवर पर किसी तरह का पुलिस मामला दर्ज न हो, इसकी जांच पुलिस से करवाई जाए।
- हरेक स्कूली वाहन में एक अटैंडेंट का होना जरूरी है, यदि स्कूली वाहन में लड़कियां मौजूद हैं तो महिला अटैंडेंट का होना जरूरी है।
- ड्राइवर एवं कंडक्टर की वर्दी में हों, जिन पर नाम प्लेट लगी हो एवं ड्राइविंग लाइसैंस नंबर लिखा हो।
- स्कूली वाहन की खिड़कियों पर ब्लैक फिल्म नहीं लगी होनी चाहिए।
- स्कूली वाहन में फस्र्ट ऐड बॉक्स एवं आग बुझाने वाले यंत्र लगे होने चाहिएं एवं स्कूली वाहनों के ड्राइवर एवं कंडक्टरों का मैडीकल करवाया होना चाहिए।
- बस में ट्रैफिक चिन्ह के बोर्ड लगे होने चाहिएं। स्कूली स्कूलों के बाहर वाहनों की स्पीड 25 किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक न हो।
- स्कूलों के बाहर बसों की स्पीड कंट्रोल करने हेतु स्पीड बे्रकर बनाए जाएं।
- सर्दियों के मौसम दौरान धुंध के दिनों में हरेक स्कूली वाहन के आगे पीली लाइटें लगी होनी चाहिएं।