सड़कों पर प्रतिदिन बहता है मानवीय रक्त

Edited By swetha,Updated: 13 Aug, 2018 12:44 PM

road accident

इस समय सड़क यातायात बहुत ज्यादा बढ़ गया है। कुछ अति गरीब परिवारों को छोड़ कर हर घर में कई-कई व्हीकल हैं। सूरज निकलते ही बसें, कारें, ट्रक , मोटरसाइकिलें व अन्य वाहनों की गूंज शुरू हो जाती है। एक सर्वेक्षण के अनुसार 1990 के मुकाबले अब वाहनों की...

श्री मुक्तसर साहिब(तनेजा): इस समय सड़क यातायात बहुत ज्यादा बढ़ गया है। कुछ अति गरीब परिवारों को छोड़ कर हर घर में कई-कई व्हीकल हैं। सूरज निकलते ही बसें, कारें, ट्रक , मोटरसाइकिलें व अन्य वाहनों की गूंज शुरू हो जाती है। एक सर्वेक्षण के अनुसार 1990 के मुकाबले अब वाहनों की संख्या 3 गुना ज्यादा है, परन्तु उस हिसाब से सड़कें अधिक नहीं बनीं। कई स्थानों पर अभी भी ट्रैफिक जाम लगता है। अपनी मंजिल पर जल्द पहुंचने के लिए लोग वाहनों को तेज चलाते हैं, जिस कारण सड़कों पर हो रहे हादसों की संख्या में दिनों-दिन बढ़ौतरी हो रही है और इन सड़क घटनाओं में प्रतिदिन मानवीय रक्त बहता है।

सड़क हादसों का मुख्य कारण एक तो वाहनों की ज्यादा संख्या और दूसरा लोग ट्रैफिक नियमों की सही पालना नहीं करते। नशों व मोबाइल फोन का प्रयोग भी एक बड़ा कारण है। कंडम हो चुके वाहन भी हादसे बढ़ाते हैं। बढ़ रहे हादसों को रोकने के लिए हर मानव को जागरूक और सचेत होने की जरूरत है क्योंकि जिन लोगों के साथ हादसे घटे हैं वह परिवार आॢथक पक्ष से भी परेशानियों का शिकार हो गए हैं। इस विषय को ध्यान में रखते हुए ‘पंजाब केसरी’ द्वारा इस सप्ताह यह विशेष रिपोर्ट तैयार की गई है।

लोग ट्रैफिक नियमों का पालन करें तो कम हो सकते हैं हादसे 
यदि सभी लोग सड़कों पर वाहन चलाने समय सही ढंग से ड्राइविंग करें और ट्रैफिक नियमों की कानून अनुसार अच्छी तरह पालना करें तो सड़कों पर हो रहे हादसों की संख्या कम हो सकती है और जानें बच सकती हैं, परन्तु बहुत से लोग ट्रैफिक नियमों का उल्लंघना करते हैं। पुलिस विभाग के ट्रैफिक सैल की भी लोग परवाह नहीं करते। पुलिस द्वारा सड़कों पर नाके लगाकर वाहनों की चैकिंग तो की जाती है और हर साल चालान काट कर लाखों रुपए इकट्ठा करके सरकार का खजाना भी भरा जाता है, परन्तु लोग फिर भी नहीं सुधरते और कई-कई बार चालान कटवा लेते हैं। सरकार को कानून सख्त करने की जरूरत है और ट्रैफिक पुलिस को भी अपना काम ईमानदारी से करना होगा।

क्या कहते हैं लोग
जिला शिक्षा अफसर मलकीत सिंह खोसा गोनियाना, गैर-सरकारी समाज सेवी संस्थाओं के जिला कन्वीनर डा. नरेश परूथी, पुलिस इंस्पैक्टर मलकीत सिंह, समाज सेवक जगतार बुट्टर, वन विभाग के ब्लाक अफसर तरसेम सिंह घारू, पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव जसकरन सिंह लक्खेवाली, शिवालिक सीनियर सैकेंडरी स्कूल के वाइस प्रिं. कुसम परूथी, समाज सेविका इकबाल कौर लुहारा, पंजाब पब्लिक स्कूल लक्खेवाली के चेयरमैन हरचरन सिंह बराड़, अध्यापक राणा बेदी व सेवामुक्त प्रिं. जसवंत सिंह बराड़ का कहना है कि शराब पीकर या अन्य नशों का प्रयोग करके गाड़ी चलाने से सड़क पर वाहनों की टक्कर होती है और कई बेकसूर लोग भी मारे जाते हैं। इसके अलावा ड्राइविंग करने समय मोबाइल फोन के प्रयोग से भी सड़क हादसे होते हैं।  

हर वर्ष होती हैं 4500 से अधिक मौतें
राज्य भर में हर साल सड़क हादसों दौरान 4500 से अधिक मौतें होती हैं। यदि देखा जाए तो हर महीने करीब 360 और हर रोज 10 से 12 मौतें औसत हो जाती हैं। इसके अलावा राज्य के 22 जिलों में 20 हजार से अधिक लोग सड़क हादसों में घायल हो जाते हैं। इनमें से 2000 लोग ऐसे भी होते हैं, जो इन हादसों दौरान दिव्यांग हो जाते हैं। सिर की चोटों कारण मानसिक रोगी बन जाते हैं। सड़क दुर्घटनाओं में कई पूरे के पूरे परिवार ही खत्म हो गए हैं। नौजवानों व बच्चों की मौतों के आंकड़े अधिक बताए जा रहे हैं, वैसे महिलाओं की संख्या भी मरने वालों में काफी है।

पंजाब में हर वर्ष घटते हैं 12 हजार हादसे 
पंजाब में हर साल 12 हजार के लगभग सड़क घटनाएं घटती हैं। सभी हादसे पुलिस थानों में दर्ज नहीं होते और कइयों का बाहर की बाहर ही राजीनामा हो जाता है। यदि देखा जाए तो साल 1998 से लेकर इन 2 दशकों दौरान सड़क हादसों की संख्या बढ़ती ही गई है। दुनिया तरक्की कर रही है व पढ़ा-लिखा वैज्ञानिक युग है, परन्तु इसके बावजूद लोग कानून अनुसार ट्रैफिक नियमों की पालना नहीं करते।

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