टेलों पर पड़ते गांवों में नहरी पानी की कमी किसानों के लिए बनी सिरदर्द

Edited By swetha,Updated: 16 Mar, 2019 12:17 PM

farmer tension

भले ही समय की सरकारों ने टेलों पर पड़ते गांवों के किसानों को अनेकों बार यह लारा लगाया था कि फसलों के लिए नहरी पानी की कमी दूरी की जाएगी व टेलों पर पड़ते गांवों के लिए नई कस्सी निकाली जाएगी परंतु 3 दशक बीत जाने के बावजूद स्थिति जस की तस है व टेलों पर...

श्री मुक्तसर साहिब(तनेजा): भले ही समय की सरकारों ने टेलों पर पड़ते गांवों के किसानों को अनेकों बार यह लारा लगाया था कि फसलों के लिए नहरी पानी की कमी दूरी की जाएगी व टेलों पर पड़ते गांवों के लिए नई कस्सी निकाली जाएगी परंतु 3 दशक बीत जाने के बावजूद स्थिति जस की तस है व टेलों पर पड़ते किसानों की किसी भी सियासी नेता ने बात नहीं सुनी।

उल्लेखनीय है कि यहां नजदीकी गांव मदरसा, चक मदरसा, बलमगढ़ व भागसर आदि के किसानों की जमीनें टेलों पर पड़ती हैं। यहां के सैंकड़ों किसानों ने निचले स्तर से लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय तक जाकर फरियाद की है कि खेती के लिए नहरी पानी पूरा किया जाए परंतु इन किसानों की बात सुनने वाला शायद कोई नहीं है। टेलों पर पड़ते गांवों में नहरी पानी की कमी की समस्या किसानों के लिए एक बड़ी सिरदर्दी बनी हुई है व संबंधित विभाग व प्रशासन के लिए भी चुनौती है। हमेशा दुख-सुख समय एक-दूसरे के काम आने वाले पड़ोसी गांव के किसान अब पुलिस थानों व कार्यालयों में शिकायतों शिकायती हो रहे हैं, जिससे भाईचारक सांझ टूटने का खतरा है।

सियासी नेताओं ने नहीं पकड़ी किसानों की बाजू
भले ही सियासी नेताओं ने वोटों के समय आकर हमेशा ही यह लारे किसानों को लगाए हैं कि जमीनों के लिए नहरी पानी को बढ़ाने के लिए नई कस्सी निकाली जाएगी परंतु किसान प्रतीक्षा करते-करते थक गए हैं परंतु नई कस्सी आज तक नहीं निकली। असल में जब तक नई कस्सी नहीं निकलती तब तक यह मसला हल नहीं होना। किसानों के लिए बहुत त्रासदी है कि नहरी पानी की कमी के कारण अनेकों किसानों की जमीनें बंजर बन रही हैं। गांव मोड में तो किसानों की 300 से अधिक एकड़ जमीन पानी बिना बंजर बनी पड़ी है व वहां कोई फसल नहीं होती। 

अच्छी तरह नहीं पक पाती फसल
जिन गांवों के किसानों की जमीनें टेलों पर पड़ती हैं, वह किसान नहरी पानी की कमी के कारण घोर निराशा के आलम में हैं क्योंकि नहरी पानी के बिना उनकी फसलें अच्छी तरह नहीं पकतीं। फसलों का झाड़ कम रहता है व कई किसानों की जमीनें खाली रह जाती हैं। उल्लेखनीय है कि गांव मदरसा, कोडियांवाली, रामगढ़ चुंघा, भागसर, बलमगढ़ व मोड के किसानों की जमीनों को श्री मुक्तसर साहिब रजबाहे के मोघों का पानी लगता है। उक्त गांवों की हमेशा ही यह शिकायत रही कि मुक्तसर रजबाहे का नहरी पानी जमीनों के लिए कम है जबकि टेलों पर पड़ते गांवों को तो खासकर बड़ी मार पड़ रही है।

आर्थिक मंदहाली का शिकार हो रहे हैं किसान
फसलों का झाड़ कम होने के कारण अनेकों किसानों की आर्थिक हालत बुरी हो रही है और वह दिन-ब-दिन ऋणी हो रहे हैं। समय की सरकारों को चाहिए कि खेती धंधे को प्रफुल्लित करने के लिए नहरी पानी की कमी टेलों वाले गांवों में से दूर की जाए।किसानी के लिए इससे बुरी बात क्या हो सकती है कि नहरी पानी के विवाद को लेकर एक-दूसरे गांवों के किसान आमने सामने हो जाते हैं। मोड गांव के किसानों ने नहरी पानी की कमी के मसले को लेकर एस.डी.ओ. नहरी के कार्यालय समक्ष धरना भी लगाया था जबकि रामगढ़ चुंघा व भागसर के किसानों ने भी इस मसले को लेकर धरने प्रदर्शन किए हैं। सब गांवों वाले एक-दूसरे पर पानी अधिक लेने का आरोप लगा रहे हैं परंतु हकीकत यह है कि नहरी पानी किसी गांव को भी पूरा नहीं मिल रहा।

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