Edited By Sunita sarangal,Updated: 12 Feb, 2020 11:16 AM
स्कूलों में अच्छे खिलाड़ी कहां से होंगे पैदा?
श्री मुक्तसर साहिब(तनेजा): एक ओर पंजाब सरकार राज्य में नशों को नकेल डालने की बातें कर रही है। वहीं सरकार का कहना है कि यूथ वर्ग को नशों की दलदल में से निकालकर खेलों की ओर उत्साहित किया जाएगा परंतु ऐसा तभी संभव हो सकेगा, यदि सरकार अपना रोल जिम्मेदारी व ईमानदारी से निभाए। खेलों की शुरूआत स्कूलों से होती है परंतु जिन स्कूलों में बच्चों को खेल गतिविधियां करवाने वाले अध्यापक ही नहीं होंगे तो फिर ऐसे स्कूलों में तो खेल सरगर्मियां ठप्प होंगी तथा बच्चे खेलों से नहीं जुड़ सकेंगे।
ऐसी ही एक मिसाल मालवा के चर्चित जिले श्री मुक्तसर साहिब अधीन आते ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी स्कूलों से मिलती है। जहां 3 दर्जन से अधिक सरकारी हाई व सरकारी सीनियर सैकेंडरी स्कूलों में डी.पी.ई. अध्यापकों के पद खाली पड़े हैं, जिस कारण ऐसे स्कूलों में बच्चों की खेल सरगर्मियां ठप्प होकर रह गई हैं।
जानकारी के अनुसार जिन स्कूलों में डी.पी.ई. अध्यापक नहीं हैं उनमें शहरी स्कूल तो सिर्फ 5 ही हैं, जबकि 32 स्कूल ग्रामीण क्षेत्र से संबंधित हैं। जिन सरकारी स्कूलों में डी.पी.ई. अध्यापकों के पद खाली पड़े हैं, वहां अच्छे खिलाड़ी कहां से पैदा होंगे। जब खेल सरगर्मियां ही नहीं तो फिर बच्चे तमगे जीतकर कहां से लाएंगे। जिला मुक्तसर के 4 विधानसभा हलकों के अधीन आते 84 सरकारी सीनियर सैकेंडरी स्कूलों व 66 सरकारी हाई स्कूलों में खाली पड़े डी.पी.ई. अध्यापकों के पद बारे जब जिला शिक्षा अधिकारी मलकीत सिंह खोसा गोनियाना से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि इस संबंधी शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों व पंजाब सरकार को लिखकर भेजा हुआ है।
इस अवसर पर गैर सरकारी समाज सेवी संस्थाओं के जिला कन्वीनर डा. नरेश परुथी, गुरप्रीत सिंह बावा, महिला व बच्चा भलाई संस्था पंजाब के चेयरपर्सन हरगोबिंद कौर, संदीप कौर झुग्गे, प्रभजीत कौर रणजीतगढ़ ने कहा कि सरकारी स्कूलों में 90 प्रतिशत से अधिक बच्चे गरीब व मध्यम वर्ग परिवारों के पढ़ते हैं परंतु पंजाब सरकार का गरीबों के इन बच्चों की ओर कोई ध्यान नहीं है, जबकि विद्यार्थी वर्ग का नुक्सान हो रहा है।