इस स्टेशन पर एक टिकट पाने के लिए करनी पड़ती है भारी जद्दोजहद

Edited By Vaneet,Updated: 02 Dec, 2019 01:21 PM

it takes a lot of struggle to get tickets

गुरु नगरी के माडल रेलवे स्टेशन पर यात्रियों को मिलने वाली सुविधाएं अभी भी नाम मात्र ही हैं...

अमृतसर(जशन): गुरु नगरी के माडल रेलवे स्टेशन पर यात्रियों को मिलने वाली सुविधाएं अभी भी नाम मात्र ही हैं। रेल मंत्रालय एक तरफ इसे अति आधुनिक बनाने में जुटा है तो दूसरी ओर स्टेशन प्रशासन मूलभूत सुविधाएं देने में भी नाकारा साबित हो रहा है। स्टेशन पर सबसे ज्यादा परेशानी यात्रियों को आम टिकट घर से है, क्योंकि कहने को तो यहां कुछ टिकट खिड़कियां हैं, फिर भी सिर्फ एक टिकट खरीदने में भी भारी जद्दोजहद करनी पड़ती है, क्योंकि यहां आज भी पुराना कम्प्यूर सिस्टम चल रहा है जिससे एक मिनट में तीन से चार टिकटें ही निकलती हैं जो यात्रियों के लोड के अनुसार काफी कम है। 

गौर हो कि समय के साथा रेलवे स्टेशन पर रेल गाडिय़ों की संख्या बढ़ती रही और साथ ही यात्रियों का लोड भी बढ़ता चला गया पर हैरानीजनक पहलू है कि यात्रियों की संख्या के अनुरूप टिकट विंडो की संख्या में 6 से और वृद्वि नहीं की गई जो रेल मुसाफिरों की संख्या के हिसाब से नाकाफी सिद्व हो रही हैं। वहीं पूछने पर अधिकारियों का एक ही उत्तर है कि स्टाफ की काफी कमी है, ऊपर से रेलवे बोर्ड नई भर्ती नहीं कर रहा है, परंतु इसका खामियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है। 

सफेद हाथी साबित हो रहीं वैडिंग मशीनें
रेलवे स्टेशन लगी टिकट वैडिंग मशीनें भी सफेद हाथी ही साबित हो रही है। अधिकांश यात्री वैडिंग मशीन से टिकट नहीं निकाल पाते। यात्रियों ने स्टेशन प्रशासन से मशीनों पर स्थायी कर्मचारी तैनात करने की मांग की है, जो टिकट निकाल कर दे, साथ ही लोगों मशीनों के बारे में जानकारी भी दे। दूसरी ओर एक-आध मशीन खराब ही रहती है।

दिन भर लगी रहती हैं लाइनें
टिकट विंडो पर पूरा दिन लंबी लाइनें लगी रहती है, जिसके कारण कई यात्रियों की टिकट लेने दौरान ही ट्रेन छूट जाती है। टिकट लेने आए यात्रियों मनजिन्द्र सिंह, मलकीयत सिंह, राम लाल, राम बिहारी शुक्ला, विनय प्रसाद, अनु सिंह आदि ने कहा कि यहां से एक टिकट लेना जंग जीतने जैसा है। यहां टिकट काऊंटर बढ़ाने की बजाए गिनती कम कर दी गई है, जिससे समस्या और गंभीर हो गई है। टिकट विंडो पर रेल कर्मी यात्रियों से काफी दुव्र्यवहार करते हैं। कई बार टिकट देने के बाद 3-4 रुपए छुट्टे न होने का बहाना बना वापस नहीं करते। अगर कोई यात्री पूछता है तो टिकट वापस लेकर खुले पैसे लाने को कहते हैं। 

ये कहते हैं रेलवे मामलों के जानकार
रेलवे मामलों के जानकार एडवोकेट पी.सी. शर्मा ने कहा कि स्टेशन प्रशासन यात्रियों को सुविधाएं देने में नाकाम साबित हो रहा है। जहां टिकट विंडो बनी हैं वो पहले आम वर्गीय प्रतीक्षालय था। टिकट विंडो बनने से आम यात्रियों को काफी दिक्कत होती है। टिकट कर्मियों द्वारा दुव्यर्वहार करने का मामला भी गंभीर है, इस सबंध में कई बार शिकायतें आ चुकी हैं, परंतु कोई कारवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा कि रेल मंत्रालय तो सुविधाएं दे रहा है पर  स्टेशन के अधिकारी इन्हें देने को गंभीर नहीं हैं।

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