Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Nov, 2017 02:52 PM
पर्यावरण प्रेमियों, धार्मिक संगठनों व समाजसेवी संस्थाओं द्वारा अपील करने व कई बेगुनाह लोगों की जान जाने व गंभीर जख्मी के मामले को गंभीरता से लेते हुए नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने चाइनीज डोर (सिंथैटिक डोर) के निर्माण पर ही बैन लगा दिया है तथा जिलाधीश की...
फिरोजपुर (चावला): पर्यावरण प्रेमियों, धार्मिक संगठनों व समाजसेवी संस्थाओं द्वारा अपील करने व कई बेगुनाह लोगों की जान जाने व गंभीर जख्मी के मामले को गंभीरता से लेते हुए नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने चाइनीज डोर (सिंथैटिक डोर) के निर्माण पर ही बैन लगा दिया है तथा जिलाधीश की तरफ से इस डोर के प्रयोग करने व बिक्री करने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है लेकिन इसके बावजूद कुछ लोग अधिक लाभ के लिए सिंथैटिक डोर की बिक्री भी कर रहे हैं व बाहरी राज्यों यू.पी. व दिल्ली से मंगवा भी रहे हैं।
प्राइवेट ट्रांसपोर्ट व बसों के जरिए लाई जा रही है चाइनीज डोर
चाइनीज डोर के मामले में नया पहलू यह भी सामने आया है कि पुलिस की तरफ से चाइनीज डोर के खिलाफ सख्ती किए जाने के बाद अब इसके विक्रेता कथित तौर पर प्राइवेट ट्रांसपोर्ट व बसों के जरिए भी चाइनीज डोर मंगवा रहे हैं। कुछ लोग एक-एक पेटी करके यह डोर मंगवा रहे हैं ताकि किसी को कोई शक न हो। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए व बसों व ट्रकों में भी तलाशी अभियान चलाया जाना चाहिए। इसके अलावा कुछेक लोगों को यह माल रेलवे द्वारा भी लाया जाता है।
सख्त अभियान चलाने की जरूरत
विभिन्न समाजसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों का कहना है कि प्रशासन व पुलिस को चाइनीज डोर के खिलाफ जैसा सख्त अभियान चलाना चाहिए वैसा चलाया नहीं जाता। प्रशासन को चाहिए कि वह गली-मोहल्लों में खुली दुकानों की भी चैकिंग करवाए तथा आसपास लोगों से पूछताछ करके ऐसे दुकानदारों के खिलाफ पर्चा दर्ज करवाए जो इंसान की जिंदगियों से खिलवाड़ करते हैं।
पेड़ों पर लटकते पक्षी मानो फांसी पर लटकाए
चाइनीज डोर की चपेट में आने से कई लोगों की तो मौत हो ही चुकी है वहीं बेजुबान पशु-पक्षी भी इस खूनी डोर की चपेट में आकर जख्मी होते हैं। चाइनीज डोर की चपेट में आए पेड़ों पर व तारों पर लटकते पक्षी ऐसे लगते हैं मानो किसी ने उनको फांसी पर लटका दिया हो।
बंद हो चुके हैं डोर बनाने वाले कई अड्डे
चाइनीज डोर ने कई घरों की रोटी-रोजी ही छीन ली है। कई लोग विभिन्न स्थानों पर अपना अड्डा लगाकर कच्चे धागे से डोर बनाते थे तथा इन 2 महीनों में सारे वर्ष की कमाई कर लेते थे। धागे से डोर बनाने का क्रम देर रात तक चलता रहता था परन्तु इस चाइनीज डोर ने तो अड्डे भी बंद करवा दिए। परम्परागत डोर बेचने वाले कारोबारी बुरी तरह से परेशान हैं परन्तु उनको अपना कारोबार बचाने के लिए कोई समाधान नजर नहीं आ रहा जिससे इस धंधे से जुड़े लोग 2 समय की रोटी कमाने में भी असमर्थ हैं।
करोड़ों रुपए की डोर की बिक्री होती है फिरोजपुर से हर वर्ष
बुजुर्गों व आम नागरिक का मानना है कि बसंत लाहौर की या फिरोजपुर की। लाहौर की भांति फिरोजपुर में भी बच्चों से लेकर बूढ़ों को पतंगबाजी का ऐसा शौक है कि दूर-दूर से लोग बसंत मनाने खासतौर पर यहां आते हैं तथा करोड़ों रुपए की बिक्री डोर व पतंगों की प्रत्येक वर्ष यहां पर होती है। चाइनीज डोर का बोलबाला होने पर चोरी-छिपे यह डोर बिकती है क्योंकि नौजवान वर्ग भी इसी डोर की फरमाइश दुकानदार से करता है। दुकानदार को इसमें काफी मोटा मुनाफा होता है।
क्या कहते हैं सीनियर एडवोकेट
सीनियर एडवोकेट गुलशन मोंगा ने कहा कि जिला प्रशासन को चाहिए कि वह सभी प्राइवेट व सरकारी स्कूलों में बच्चों को चाइनीज डोर के खिलाफ जागरूक करने हेतु अभियान चलाए क्योंकि बच्चों की जिद के आगे मां-बाप भी उनको यह डोर लेकर दे देते हैं। इस समय जरूरत है बच्चों को समझाने की। यह तभी संभव है जब स्कूलों में इसके नुक्सान प्रति बच्चों को जागृत किया जाए। उन्होंने कहा कि इस बाबत कांग्रेसी विधायक परमिंद्र सिंह पिंकी से भी बात करेंगे कि कांग्रेसी कार्यकत्र्ता भी बच्चों को चाइनीज डोर के खिलाफ जागृत करें व इसके लिए अपने तौर पर अभियान चलाएं ताकि किसी के जान-माल का कोई नुक्सान न हो। उन्होंने कहा कि सिंथैटिक डोर के निर्माण पर बैन लगाकर एन.जी.टी. ने साहसिक कदम उठाया है परन्तु जो यूनिट इस डोर का उत्पादन करते हैं उनको भी बंद करवाया जाए।