Edited By Updated: 03 Dec, 2016 04:07 PM
दीनानगर तथा पठानकोट के आतंकी हमलों के बाद जहां जिला पुलिस प्रशासन क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रही है ....
गुरदासपुर(नवीन): दीनानगर तथा पठानकोट के आतंकी हमलों के बाद जहां जिला पुलिस प्रशासन क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रही है और खुद को किसी भी आपातस्थिति से निपटने में सक्षम बता रही है, लेकिन ये दावे उस समय आकर ठुस्स हो जाते हैं, जब शिक्षा के मंदिर के बाहर यानी स्कूलों के प्रवेश द्वार पर सुरक्षा के कोई कड़े प्रबंध नहींं होते।स्कूलों के बाहर सुरक्षा के कड़े प्रबंध न होने के चलते किसी भी समय आतंकी इन्हे अपना निशाना बना सकते हैं। गौरतलब है कि आतंकियों का ज्यादातर निशाना स्कूल ही बनते हैं, जिसे वे आसानी से अपना शिकार बना सकते हैं। वहीं अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर अभिभावकों में भी भय की स्थिति बनी रहती है, लेकिन प्रशासन द्वारा इस ओर कोई ध्यान नहींं दिया जा रहा।
जानकारी अनुसार जिले में 433 सीनियर सैकेंडरी और 1,603 प्राइमरी स्कूल, एडिड स्कूल और मिडिल स्कूल तथा लगभग 1,000 के करीब प्राइवेट स्कूल हैं। 24 सीनियर सैकेंडरी स्कूल लड़कियों के ही हैं। बच्चे शिक्षित होकर देश को आगे ले जा रहे हैं, मगर उनकी सुरक्षा के लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। अगर ऐसे में कोई घटना हो जाती है तो उसकी जिम्मेदारी किसकी होगी, इसलिए प्रशासन को बच्चों की सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम करने चाहिएं ताकि बच्चे अपने आपको सुरक्षित महसूस कर सकें।बच्चों की सुरक्षा को लेकर भले ही प्रशासन की ओर से स्कूल प्रबंधकों के साथ बैठकें की जाती हैं और उन्हें अपने स्कूल के बाहर सुरक्षा हेतु होमगार्ड तैनात करने के लिए कहा जाता है, मगर इसके बावजूद स्कूल प्रबंधक प्रशासन के आदेशों को ठेंगा दिखा रहे हैं और चंद पैसे बचाने के चक्कर में होमगार्ड को तैनात नहीं कर रहे। स्कूल प्रबंधकों को चाहिए कि वे बच्चों की सुरक्षा को सुनिश्चित करें।