Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Dec, 2017 07:21 AM
कहते हैं कि चुनाव हों और वोटरों को लुभाने के लिए अगर शराब न बांटी जाए तो वोट पक्की नहीं मानी जाती। अब यह शराब चाहे वोटरों के लिए हो या फिर प्रत्याशी के सपोर्टरों के लिए। हर चुनाव में सभी राजनीतिक पार्टियों के नेता शराब जमा करने और इसे बांटने के लिए...
जालंधर (रविंदर शर्मा) : कहते हैं कि चुनाव हों और वोटरों को लुभाने के लिए अगर शराब न बांटी जाए तो वोट पक्की नहीं मानी जाती। अब यह शराब चाहे वोटरों के लिए हो या फिर प्रत्याशी के सपोर्टरों के लिए। हर चुनाव में सभी राजनीतिक पार्टियों के नेता शराब जमा करने और इसे बांटने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाते हैं। ज्यादातर शराब मतदान से कुछ दिन पहले बांटी जाती है ताकि वोटरों को अपने हक में किया जाए। मगर इस बार अधिकांश प्रत्याशियों ने पुलिस से बचने के लिए अलग व अनोखा खेल खेला है।
अंतिम दिनों में शराब बांटने और पुलिस से बचने के लिए इस बार प्रत्याशियों ने राजस्थान से लाल परी मंगवा कर या अवैध शराब का कारोबार करने वालों की तरफ से राजस्थान से लाई गई ये लाल परी खरीद कर अभी से उसे बांटने का खेल शुरू कर दिया है। लाल परी के इस खेल का असर है कि अधिकांश शराब ठेके जहां सुनसान नजर आ रहे हैं, वहीं सूर्य ढलते ही प्रत्याशियों के घरों की तरफ भीड़ ज्यादा उमड़ रही है। कुल मिलाकर वैध शराब की बिक्री घटती जा रही है और चुनावी शराब की रंगत बढ़ती जा रही है। आम तौर पर सर्दियां आते ही शराब ठेकों की रौनक बढऩे लगती है।
दूसरी भाषा में कहा जाए तो दिसम्बर व जनवरी में शराब बिक्री के सीजन को पीक सीजन कहा जाता है। यानी इन 2 महीनों में शराब की बिक्री सबसे ज्यादा होती है। मगर इस बार दिसम्बर की बात की जाए तो शराब ठेकों से रौनक जैसे गायब सी हो गई है। दिसम्बर के महीने में शराब की बिक्री में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। पंजाब केसरी ने पड़ताल की तो पाया कि यह चुनावी शराब का जोर है जो लगातार शराब ठेकों की रंगत को गायब कर रहा है।
पुलिस ने नहीं पकड़ा 1 भी मामला
राजनीतिक प्रत्याशी अपना-अपना खेल चल रहे हैं, उसी तरह पुलिस भी अपनी चौकसी दिखा रही है। हालांकि अभी तक के खेल में प्रत्याशी ही पुलिस पर हावी दिखाई दे रहे हैं, क्योंकि पुलिस अभी तक एक भी मामले में चुनावी शराब को पकड़ नहीं पाई है।
शहर भर में लगे नाके फिर भी आ रही राजस्थान से शराब
नगर निगम चुनाव के देखते हुए कमिश्नरेट पुलिस शहर भर में स्थापित नाकों पर तैनात की गई है। इसके बावजूद राजस्थान से शराब मंगवा कर मतदाताओं को बांटा जाना पुलिस की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिंह लगा रही है। वहीं मिलीभगत होने की तरफ भी इशारा कर रही है।