Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Dec, 2017 12:16 PM
17 दिसम्बर को होने जा रहे जालंधर नगर निगम के चुनाव अपने अंतिम चरण में पहुंच गए हैं और हर गली-मोहल्ले में चुनावी शोर मच रहा है। ऐसे में शहर से संबंधित कई मुद्दे दबकर रह गए हैं। ‘पंजाब केसरी’ की टीम ने जब ऐसे मुद्दों बारे जांच की तो सामने आया कि शहर...
जालंधर(खुराना): 17 दिसम्बर को होने जा रहे जालंधर नगर निगम के चुनाव अपने अंतिम चरण में पहुंच गए हैं और हर गली-मोहल्ले में चुनावी शोर मच रहा है। ऐसे में शहर से संबंधित कई मुद्दे दबकर रह गए हैं। ‘पंजाब केसरी’ की टीम ने जब ऐसे मुद्दों बारे जांच की तो सामने आया कि शहर के आधा दर्जन वार्ड जिमखाना क्लब से भी छोटे बना दिए गए हैं। गौरतलब है कि जालंधर जिमखाना क्लब शहर के प्रतिष्ठित परिवारों पर आधारित है जिसके मैम्बरों की संख्या इस समय 4312 है। इनमें से 100 के करीब सदस्य ऐसे होंगे जिनके पास टेन्योर यानी ऑफिसर कोटे में मैम्बरशिप है और ऐसे सदस्य वोट नहीं डाल सकते। इस हिसाब से जिमखाना क्लब की वोटें 4200 से ज्यादा हैं जबकि शहर के 6 वार्डों के वोटरों की संख्या 4200 से कम बनाई गई है। गौरतलब है कि जालंधर जिमखाना क्लब करीब 6.5 एकड़ रकबे में फैला हुआ है। क्लब के चुनाव हर 2 साल बाद होते हैं। ऐसे में शहर के एक वार्ड की वोटर संख्या एक क्लब से भी कम कर देने से कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
800/900 वोटें लेने वाला भी बन जाएगा पार्षद
आज यदि हम जिमखाना क्लब की बात करें तो एक साल पहले हुए चुनाव में सैक्रेटरी पद के उम्मीदवार संदीप बहल ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी एडवोकेट दलजीत सिंह छाबड़ा को रिकार्ड तोड़ 750 वोटों से ’यादा के अंतर से हराकर 1500 से ’यादा वोटें हासिल की थीं। इसी संदर्भ में हम अगर जालंधर नगर निगम के चुनाव देखें तो लगता है कि इस चुनाव में 800/900 वोटे लेने वाला उम्मीदवार भी पार्षद बन जाएगा। गौरतलब है कि नगर निगम के वार्ड नं. 78 के वोटर सिर्फ 217& हैं। यदि भारी मतदान भी हो तो इसमें से 1900 के करीब वोटें पडऩे की आशा है। यहां से कांग्रेस के जगदीश समराए, बागी कांग्रेसी के रूप में पूर्व पार्षद डा. प्रदीप सिंह राय तथा भाजपा के पूर्व पार्षद रवि महेन्द्रू के अलावा अन्य प्रत्याशी भी मैदान में हैं। तीनों उम्मीदवार बराबर का दम रखने का दावा कर रहे हैं। ऐसे में अगर 1900 वोट &-4 उम्मीदवारों में बांट दिए जाएं तो एक उम्मीदवार 800-900 वोटें लेकर भी जीत प्राप्त कर सकता है।
सरकारी कर्मचारियों की जिम्मेदारी फिक्स होनी चाहिए
लोकतांत्रिक प्रक्रिया में चुनाव सबसे महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं और इस प्रक्रिया में लगे सरकारी कर्मचारियों से सही आचरण की अपेक्षा की जाती है परंतु जालंधर नगर निगम की चुनावी प्रक्रिया में लगे सरकारी स्टाफ ने पहले तो वार्डबंदी करने में खूब नालायकी दिखाई और अधूरी वार्डबंदी पर ही ऐतराज मांग लिए गए। उसके बाद फाइनल हुई वार्डबंदी के हिसाब से वोटर लिस्टें बननी चाहिए थीं परंतु हुआ सब कुछ उलट। वार्ड बंदी में जो मोहल्ले ‘ए’ वार्ड में हैं उनकी वोटे ‘बी’ वार्ड में डाल दी गई हैं और तो और एक घर में मियां-बीवी को अलग-अलग वार्डों में वोट डालने जाना पड़ेगा। शहर के दर्जनों वार्डों की वोटर सूचियों से ऐसा खिलवाड़ करने वाले और चुनावी कार्य में ऐसी नालायकी और लापरवाही बरतने वाले सरकारी स्टाफ पर जिम्मेदारी अवश्य फिक्स होनी चाहिए।
हर वार्ड की वोटें 6000 रखने का हुआ था वायदा
आज से कई महीने पहले जब कांग्रेस सरकार ने निगम चुनाव करवाने की घोषणा की थी तब लोकल बॉडी मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने साफ शब्दों में कहा था कि जहां शहरों के वार्ड बढ़ाए जाएंगे, वहीं वार्डों की जनसंख्या और वोटर संख्या समान रखने का प्रयास किया जाएगा। इसके लिए 6000 के करीब वोटर संख्या जालंधर के लिए निर्धारित की गई थी जिसमें सिर्फ 5 या 10 प्रतिशत ऊपर-नीचे हो सकती थी परंतु वोटर सूची को देखकर लगता है कि एक वार्ड दूसरे वार्ड से 5 गुणा ’यादा बड़ा भी बना दिया गया है।
पार्षद से ’यादा वोटें तो क्लब के एग्जीक्यूटिव मैम्बर की होंगी
जिमखाना क्लब के चुनाव में 10 एग्जीक्यूटिव मैम्बर चुने जाते हैं। पिछले समय दौरान गुलशन शर्मा और परमजीत सिंह पैंटा इत्यादि ने बतौर एग्जीक्यूटिव मैम्बर 1500 के करीब शहरियों की वोटें प्राप्त की थीं। इस बार अगर कोई उम्मीदवार 800-900 वोटें लेकर पार्षद बन जाता है तो इस हिसाब से क्लब का एग्जीक्यूटिव सदस्य ऐसे पार्षद से ’यादा पावरफुल गिना जाएगा।