Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Dec, 2017 02:47 PM
फगवाड़ा सब-जेल से वीरवार सवेरे फिल्मी स्टाइल में फरार हुए 2 विचाराधीन कैदियों अमनदीप कुमार व राजविन्द्र कुमार व इस प्रकरण में शामिल रहे
फगवाड़ा (जलोटा): फगवाड़ा सब-जेल से वीरवार सवेरे फिल्मी स्टाइल में फरार हुए 2 विचाराधीन कैदियों अमनदीप कुमार व राजविन्द्र कुमार व इस प्रकरण में शामिल रहे उनके तीसरे साथी कैदी पवन कुमार जो कि फरार होने में कामयाब नहीं हो सका, ने घटना को पूरी प्लाङ्क्षनग के साथ गहरी साजिश रच अंजाम दिया गया है।
सूत्रों के अनुसार यह इतना सरल नहीं था जितना दिखाने का प्रयास किया गया है। बताते चलें कि फरार हुए दोनों कैदी पैदल ही बंगा रोड की निकल गए। यह रहस्यमय बना हुआ है कि क्या दोनों कैदी तयशुदा प्लान के मुताबिक जेल से फरार होने के बाद जेल के बाहर वाहन लेकर मौजूद अपने किसी साथी की मदद से रफूचक्कर हुए हैं?
पंजाब केसरी के इस संवादाता द्वारा की गई जांच में यह तथ्य खुलकर सामने आया है कि फरार हुए कैदियों को सब-जेल में सुबह से लेकर शाम तक होती प्रत्येक छोटी-बड़ी हलचल की बारीकी से जानकारी थी। उक्त कैदियों ने जो कुछ भी किया वह बेहद प्लाङ्क्षनग व टाइमिंग के साथ किया। सूत्रों ने बड़ा खुलासा किया है कि उक्त तीनों कैदी अमनदीप कुमार, राजविन्द्र कुमार व पवन कुमार सब-जेल में एक-दूसरे के बेहद करीबी साथी थे और ये तीनों ही सब-जेल में मौजूद अन्य कैदियों के लिए सवेरे 6 बजे जेल के अंदर मौजूद रसोई घर में चाय बनाते थे। इनको यह भली-भांति पता होता था कि सब-जेल के मेन गेट पर जेल प्रशासन का कौन-सा कर्मचारी तैनात है और उसकी ड्यूटी का समय कब तक है।
गेट खुलवा कर सुबह कहां चला गया था हवलदार काबुल सिंह
जब उक्त कैदियों ने ये सब किया तब जेल बैरेक पर रात 12 से सुबह 6 और फिर सुबह 6 से दोपहर 12 बजे तक ड्यूटी पर कार्यरत हैड कांस्टेबल काबुल सिंह कहां पर था? क्या वह सुबह 6:30 बजे बाहर किसी से मिलने गया हुआ था? और वह जब बिना किसी सरकारी ऑर्डर के जेल का गेट अपने साथी कर्मी हरपाल सिंह से खुलवा कर बाहर गया तब एस.एल.आर. से लैस हवलदार मंगत सिंह क्या कर रहा था? उक्त दोनों हवलदारों ने सब-जेल के गेट को क्यों बंद नहीं किया?
न सायरन और न वाकी-टाकी सिस्टम, 2 बड़े सी.सी.टी.वी. कैमरे, वे भी खराब
फगवाड़ा की हाई स्कियोरिटी सब-जेल में न तो आधिकारिक तौर पर कैदी के फरार होने अथवा किसी आपातकालीन स्थिति के लिए कोई सायरन सिस्टम है और न ही जेल प्रशासन ने वाकी-टाकी सिस्टम को वर्षों से चैनेलाइज नहीं किया है। यह सिस्टम जेल परिसर में बने ऑफिस में जस का तस खराब पड़ा हुआ है और इसे प्रयोग किए हुए अर्सा बीत गया बताया जा रहा है। इससे भी बदतर हालत यह है कि सब-जेल के बाहर सुरक्षा के लिहाज से 2 बड़े सी.सी.टी.वी. कैमरे लगाए गए हैं लेकिन ये कैमरे पिछले कई महीनों से खराब पड़े हुए हैं और इनको ठीक करवाने की पहल नहीं हो सकी है।
वहीं दूसरी ओर सब-जेल की सुरक्षा का जिम्मा जेल प्रशासन द्वारा आधिकारिक तौर पर 12 जेल पुलिस कर्मचारियों के हवाले किया गया है लेकिन 7 दिसम्बर को जेल से जब 2 विचाराधीन कैदी फिल्मी स्टाइल में फरार हुए तब वहां पर केवल 3 पुलिस कर्मी ही मौजूद थे। अब बड़ा सवाल यह है कि बाकी पुलिस कर्मचारी कहां पर थे? नि:संदेह उक्त सभी तथ्य बड़ी जांच का विषय हैं जिसकी बारीकी से जांच होनी चाहिए।