Edited By Updated: 03 Feb, 2017 10:48 AM
प्रदेश आधी-अधूरी राजधानी चंडीगढ़ के साथ सटा हुआ और उसे ही मात देने का प्रयास कर रहा सिटी है मोहाली।
मोहाली : प्रदेश आधी-अधूरी राजधानी चंडीगढ़ के साथ सटा हुआ और उसे ही मात देने का प्रयास कर रहा सिटी है मोहाली। साहिबजादा अजीत सिंह नगर (एस.ए.एस. नगर) यानी मोहाली विधानसभा क्षेत्र में ऐसी सुविधाएं और ऊंची इमारतें हैं जिससे अन्य शहरों को जैलेसी होती है। ऊंची-ऊंची इमारतें और चौड़ी-चौड़ी सड़कों का दम भरने वाले मोहाली के बाशिंदे यूं तो बगल में इंटरनैशनल एयरपोर्ट भी लिए हुए हैं लेकिन सबसे बड़ी समस्या कम हो रही पार्किंग स्पेस की है। हालांकि प्रशासनिक और राजनीतिक स्तर पर लगातार प्रयास होते रहे हैं लेकिन विकास के पायदान पर ऊपरी जगह पर खड़े मोहाली सिटी की समस्या का समाधान नहीं निकल पा रहा है। विधानसभा क्षेत्र के तहत ग्रामीण इलाकों की अपनी दिक्कतें हैं, जिन्हें पूरा करने के लिए राजनीतिक दिलचस्पी के साथ-साथ सत्ता का सहयोग भी जरूरी है। हालांकि दो विधानसभा चुनावों में जीतने वाले बलबीर सिंह सिद्धू कांग्रेस से हैं। दोनों बार सत्ता शिअद-भाजपा की थी इसके बावजूद मोहाली ऐसे इलाकों में शुमार है जहां विपक्षी विधायक होने के बावजूद सरकार विकास कार्यों पर अच्छा-खासा खर्च करती रही है। इसके उलट, ग्रामीण इलाकों में विकास के नाम पर ज्यादा कुछ कहने लायक नहीं है। हालांकि सत्तासीन पक्ष के लोग हलके से गुजरती चार व छह लेन सड़कों को ग्रामीण विकास के साथ जोड़कर बताते रहे हैं, वहीं विपक्षी विधायक लगातार ग्रामीण इलाकों को लेकर विधानसभा में आवाज उठाने की बात कह रहे हैं।
विकास आता है नजर
मोहाली विधानसभा क्षेत्र राजधानी चंडीगढ़ के नजदीक होने की वजह से अहम है। यही कारण भी है कि विधानसभा क्षेत्र में कई तरीके से विकास आगे बढ़ाया गया। बहु-मंजिला इमारतों की कालोनियों, रियल एस्टेट के बड़े-बड़े प्रोजैक्टों के साथ-साथ इंटरनैशनल एयरपोर्ट को कनैक्ट करने के लिए बनूड़-खरड़ की तरफ से आती चौड़ी सड़कें अपनी तरफ आकर्षित करती हैं। कई वर्षों से प्रचारित किया जाता रहा मोहाली का ‘अंतर्राष्ट्रीय स्तर’ का बस स्टैंड भी हालांकि शुरू कर दिया गया है, लेकिन अभी काम पूरा नहीं हुआ है। मोहाली सिटी का आकार लगातार बढ़ता जा रहा है लेकिन पुराने बसे फेज-सैक्टरों में प्लानिंग के बावजूद अफरा-तफरी है। सबसे ज्यादा दिक्कत गाडिय़ों की पार्किंग को लेकर है। लोगों का कहना है कि प्लानिंग इसलिए फेल हो रही है क्योंकि प्रशासन गैर-कानूनी रूप से चल रहे ‘पी-जी’ पर कार्रवाई नहीं करता। पी.जी. में रहने वालों की संख्या आमतौर पर एक परिवार से दोगुनी होती है। यही कारण है कि वाहनों की संख्या बढ़ रही है। यही नहीं, ऐसे भी कई मामले सामने आ चुके हैं जिनमें आपराधिक तत्वों द्वारा यहां शरण ली जाती रही है।
राजनीतिक गणित और पैंतरेबाजी
इस बार का चुनाव आम आदमी पार्टी की आमद की वजह से काफी दिलचस्प बना हुआ है। वजह भी काफी मजबूत है क्योंकि लोकसभा चुनाव के नतीजे ने काफी उलटफेर किया। जिसने लोकसभा सीट जीती और जो दूसरे नंबर पर रहा, दोनों ही मोहाली सैगमैंट में आम आदमी पार्टी से कहीं पीछे थे। 2012 विधानसभा चुनाव जीतने वाले बलबीर सिंह सिद्धू को 64 हजार से अधिक वोट मिले थे लेकिन लोकसभा चुनाव में कांग्रेसी प्रत्याशी अंबिका सोनी को मोहाली विधानसभा क्षेत्र से महज साढ़े 35 हजार वोट मिले। शिअद प्रत्याशी प्रेम सिंह चंदूमाजरा हालांकि लोकसभा सीट जीते लेकिन मोहाली में उन्हें 43714 वोट मिले, जो पिछले विधानसभा चुनाव में शिअद प्रत्याशी रामूवालिया को मिले 47,249 मतों से करीबन चार हजार कम थे। दिलचस्प यह है कि लोकसभा चुनाव हारे आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी हिम्मत सिंह शेरगिल को मोहाली से 50987 वोट हासिल हुए थे। यही वह मजबूत आधार है जिस पर ‘आप’ इस सीट को लेकर खुद को काफी अच्छी स्थिति में बता रही है।
मुकाबला राजनेताओं और ब्यूरोक्रेट के बीच
साहिबजादा अजीत सिंह नगर (मोहाली) विधानसभा सीट से कांग्रेस ने दो बार विधायक रह चुके बलबीर सिंह सिद्धू पर ही भरोसा जताया है। सिद्धू ने पिछली बार शिअद की टिकट पर चुनाव लड़े राजनीति के दिग्गज बलवंत सिंह रामूवालिया को बड़े अंतर से हराया था। हालांकि सिद्धू को पब्लिक कनैक्टीविटी की वजह से सशक्त माना जाता है लेकिन इस बार शिअद ने भी तीन वर्ष तक डिप्टी कमिश्नर रहे और बड़े राजनीतिक नेता सुखदेव सिंह ढींडसा के दामाद तेजिंदरपाल सिंह सिद्धू को मैदान मेें उतारकर अपनी जीत पक्की करने के इरादे स्पष्ट किए हैं। बहरहाल दोनों ही सिद्धुओं की टक्कर में आम आदमी पार्टी के नरिंदर सिंह शेरगिल ने भी अपनी ताकत झोंकते हुए अड़ंगा डाल दिया है। पूर्व सरपंच नरिंदर शेरगिल की भी इलाके में अच्छी खासी पैठ है जिसमें लगा आप का तड़का काफी अहम हो चुका है। हालांकि आम आदमी पार्टी ने पहले हिम्मत सिंह शेरगिल को उतारा था लेकिन बाद में उन्हें मजीठा भेज दिया। लोगों के मुताबिक मुकाबला कांग्रेस और शिअद के बीच ही है लेकिन त्रिकोणीय मुकाबले में ‘आप’ के वोट तय करेंगे कि कौन जीत का परचम लहराएगा।