ठगी के मामले में जी.के. व सिरसा ने सरना पर की घेरेबंदी

Edited By Updated: 18 Feb, 2017 02:13 AM

in the case of cheating gk the siege on the army and sirsa

डी.एस.जी.एम.सी. चुनाव निकट आते ही निजी हमलों और मामलों को लेकर एक-दूसरे के खिलाफ ...

चंडीगढ़: डी.एस.जी.एम.सी. चुनाव निकट आते ही निजी हमलों और मामलों को लेकर एक-दूसरे के खिलाफ घेराबंदी तेज हो गई है। कमेटी के अध्यक्ष मंजीत सिंह जी.के. एवं महासचिव मनजिंदर सिंह सिरसा ने कमेटी से ही जुड़े ठगी के एक मामले में प्रमुख विपक्षी दल अकाली दल दिल्ली के प्रमुख परमजीत सिंह सरना को घेर लिया है। हालांकि, सरना को अप्रैल तक अदालत में पेश होना है लेकिन चुनाव सिर पर होता देख मामले को तूल दे दिया गया है। 

 मंजीत सिंह जी.के. और सिरसा के सरना पर आरोप
‘‘गुरु तेग बहादुर साहिब के नाम पर चलते 2 उच्च शिक्षण संस्थानों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर चलाने की मंजूरी डी.डी.ए. द्वारा देने की फर्जी एन.ओ.सी. देकर सरना ने पंथद्रोह का काम किया था।’’ 

राजौरी गार्डन थाने में शिरोमणि फतेह दल खालसा के अध्यक्ष टी.पी. सिंह द्वारा 353/12 नम्बर एफ.आई.आर. दर्ज करवाई गई है। दिल्ली पुलिस द्वारा अदालत में दाखिल चार्जशीट में परमजीत सिंह सरना का नाम मुख्य अभियुक्त के रूप में शामिल है। 

गुरु तेग बहादर पॉलीटैक्निक तथा इंजीनियरिंग संस्थान को इस वर्ष अगर दाखिले के लिए सीटें नहीं मिलीं तो उसका सबसे बड़ा कारण यह फर्जी एन.ओ.सी. थी। 

संस्थानों में कोर्स बंद करवाने के लिए सरना द्वारा अपने कार्यकाल में जारी चि_ी को सार्वजनिक करते हुए सिरसा ने कहा कि सरना को जेल जाने से बचने के लिए जमानत करवाने की जरूरत पड़ेगी। 

सरना ने नित नेम की बाणी पर एतराज जताया था। इन्होंने नित नेम में से 3 बाणियों को निकाल कर अन्य 2 बाणियों के गुटके ही छपवाए हुए थे जोकि दिल्ली कमेटी के स्टॉक में मौजूद हैं। श्री अकाल तख्त साहिब की मर्यादा को बदलने का किसी को कोई अधिकार नहीं है। सरना ने पंथ विरोधियों के हाथों में खेलते हुए पंथ को गुमराह करने की नीतियां अपनाई हुई हैं।

सरना का पलटवार, कहा; अकालियों ने जानबूझ कर बंद करवाया 
शिरोमणि अकाली दल (दिल्ली) के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने अकालियों के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए संस्थानों के बंद होने की वजह उलटे अकाली नेताओं पर मढ़ हुए कहा-

गुरु तेग बहादुर इंस्टीच्यूट ऑफ  टैक्नोलॉजी राजौरी गार्डन (इंजीयरिंग कालेज) और गुरु तेग बहादुर पॉलीटैक्निक इंस्टीच्यूट का बंद होना कमेटी अध्यक्ष मंजीत सिंह जी.के. एवं महासचिव मनजिंदर सिंह सिरसा की नाकामी का परिणाम है। 

झूठी एफ .आई.आर. का सहारा लेकर हमें दोषी ठहरा कर दिल्ली की सिख संगत को गुमराह करने की घटिया कोशिश की जा रही है। 

जब दिल्ली हाईकोर्ट में इन इंस्टीच्यूटों की जमीनों का विवाद चल रहा था तब कोर्ट ने कहा था कि अगर डी.डी.ए. दिल्ली कमेटी को राजौरी गार्डन की 2.5 एकड़ जमीन पर इंजीनियरिंग कालेज और पॉलीटैक्निक इंस्टीच्यूट चलने की अनुमति दे देता है तो दोनों इंस्टीच्यूट एक ही जगह पर चलाए जा सकते हैं। इसको लेकर अदालत और डी.डी.ए. ने भी कोर्ट में लंबे समय तक अपना जवाब दाखिल न करके जी.के. और सिरसा को बहुत अवसर दिए लेकिन ये केंद्र सरकार से दोनों इंस्टीच्यूट एक ही जगह पर चलाए जाने की अनुमति नहीं ले सके जबकि बादल दल केंद्र की सरकार के साथ गठबंधन में है। 

अपने समय में बाला साहिब अस्पताल की लीज में डॉ. मनमोहन सिंह सरकार से शहरी विकास मंत्रालय के माध्यम से संशोधन करवाया था लेकिन लीज डीड में संशोधन के बाद भोगल की झूठी शिकायतों पर डी.डी.ए. ने कोई कार्रवाई नहीं की और अस्पताल की जमीन पुन: रद्द होने से बच गई। सरना ने दिल्ली सिख संगत को वचन दिया कि वह कमेटी का कार्यभार सम्भलने के तुरंत बाद गुरु तेग बहादुर इंस्टीच्यूट ऑफ  टैक्नोलॉजी राजौरी गार्डन (इंजीनियरिंग कालेज) राजौरी गार्डन तथा श्री गुरु तेग बहादुर पॉलीटैक्निक इंस्टीच्यूट वसंत विहार को पुन: स्थापित करेंगे।     


 

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