Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Mar, 2018 11:21 AM
लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती,हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती। ऐसी ही एक मिसाल जालंधर के रहने वाले गोल्डी ने कायम की है, जो बचपन से ही अपहिज होने के बावजूद ट्रार्इ साइकिल पर सवार होकर घर-घर सामान बेच रहा है
जालंधरः लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती,हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती। ऐसी ही एक मिसाल जालंधर के रहने वाले गोल्डी ने कायम की है, जो बचपन से ही अपहिज होने के बावजूद ट्रार्इ साइकिल पर सवार होकर घर-घर सामान बेच रहा है।
दरअसल, टांग से अपाहिज गोल्डी के परिवार में दूसरा कोई भी कमाने वाला नहीं। ऐसे में गोल्डी अपनी जिंम्मेदारियों से भागा नहीं, बल्कि एक ज़िम्मेदार बेटा और भाई बनकर परिवार के पालन -पोषण की हर ज़िम्मेदारी को बखूबी निभा रहा है। गोल्डी जहां आम लोगों में चर्चा का विषय बनाया हुआ है वहीं उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है , जो हाथ -पैर सलामत होने के बावजूद काम करने कतराते हैं।