Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Nov, 2017 02:06 PM
सिख धर्म के पहले गुरु और संस्थापक गुरु नानक देव जी के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में पंजाब के साथ-साथ विदेशों में बसे पंजाबी लोगों ने भी इसे धूम-धाम से मनाया। स्वर्ण मंदिर के साथ-साथ कई इतिहासिक गुरुद्वारों में लोगों का सैलाब उमड़ा।
अमृतसरः सिख धर्म के पहले गुरु और संस्थापक गुरु नानक देव जी के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में पंजाब के साथ-साथ विदेशों में बसे पंजाबी लोगों ने भी इसे धूम-धाम से मनाया। स्वर्ण मंदिर के साथ-साथ कई इतिहासिक गुरुद्वारों में लोगों का सैलाब उमड़ा।
हिंदू पंचाग के अनुसार गुरु पर्व कार्तिक माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। गुरु नानक जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 में तलवंडी नामक जगह हुआ था, जो अब पाकिस्तान के पंजाब हिस्से में है। सिख धर्म में 10 गुरु हुए हैं, माना जाता है कि गुरु नानक जी ने ही सिख धर्म की स्थापना की थी। गुरु नानक जी ने अपने व्यक्तित्व में दार्शनिक, योगी, गृहस्थ, धर्मसुधारक, समाजसुधारक, कवि, देशभक्त और विश्वबंधु सभी के गुण समेटे हुए थे।
गुरु नानक जी का बचपन से ही धर्म, शांति, पवित्रता आदि में ध्यान था। उन्होनें बचपन में ही आध्यात्मिकता का मार्ग चुन लिया था। उन्होनें अपने जीवन का अधिकतम समय इसी में बिताया, लेकिन उन्होनें बिना संन्यास धारण किए आध्यात्म की राह को चुना। उनका मानना था कि मनुष्य संन्यास धारण करके अपने सांसारिक जीवन से रुख नहीं बदल सकता है, उसे अपने सभी कर्मों का पालन करना चाहिए। उन्होनें मूर्ति पूजा को कभी भी नहीं सराहा। किसी भी धर्म की कट्टरता और रुढ़ियों के हमेशा वो खिलाफ थे। उनका मानना था कि ईश्वर को मानने के लिए आंतरिक मन साफ होना चाहिए। इस दिन की सिख धर्म में मान्यता के कारण तीन दिन पहले से ही इस पर्व की शुरुआत हो जाती है और सिख धर्म के अनुयायी गुरु नानक जी के भजन गाते हुए गुरुद्वारे से प्रभात फेरी निकालते हैं।