GST की गर्मी से पिघलने लगा आइसक्रीम उद्योग

Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Sep, 2017 08:48 AM

g t t the heat industry is melting with the ice cream industry

जी.एस.टी. प्रणाली में आइसक्रीम इंडस्ट्री को 18 प्रतिशत टैक्स स्लैब के दायरे में लाने का असर अब आइसक्रीम इंडस्ट्री पर प्रत्यक्ष रूप से दिखने लगा है

लुधियाना (बहल): जी.एस.टी. प्रणाली में आइसक्रीम इंडस्ट्री को 18 प्रतिशत टैक्स स्लैब के दायरे में लाने का असर अब आइसक्रीम इंडस्ट्री पर प्रत्यक्ष रूप से दिखने लगा है और इसके परिणामस्वरूप करीब 400 करोड़ रुपए सलाना का राज्य भर में कारोबार करने वाली आइसक्रीम इंडस्ट्री का कारोबारी ग्राफ जी.एस.टी. के बाद मात्र 3 महीने में ही 30 से 35 प्रतिशत डाऊन हो गया है। 


स्वस्थ संबंधी कारणों से पिछले कुछ वर्षों में देसी घी, फैट मिल्क की खपत में कमी दर्ज की गई है। अब लोग मिठाई की जगह बेकरी प्रोडक्ट इस्तेमाल करने लगे हैं जिसका असर भी मिल्क इंडस्ट्री पर पडऩे लगा है। आइसक्रीम हर वर्ग के लोगों को पसंद है और सरकार इस क्षेत्र को प्रोत्साहित कर पंजाब के मिल्क प्रोडक्ट्स का सही इस्तेमाल कर सकती है। आइसक्रीम उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि चीनी, पास्ता, नूडल, फटाफट फूड की तर्ज पर आइसक्रीम को भी 18 प्रतिशत टैक्स स्लैब में डाल दिया गया है जबकि यह एक स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद है न कि जंक फूड। 

 

दूध के बाद घी, पाऊडर मिल्क और आइसक्रीम की सेल दूसरे नंबर पर
भारत में पैकेट दूध की सालाना बिक्री करीब 66 हजार करोड़ रुपए की होती है। जबकि घी की सालाना बिक्री 10 हजार करोड़ की है और स्किम्ड मिल्क पाऊडर का करीब 9000 करोड़ रुपए का सालाना कारोबार होता है। लेकिन लोग यह नहीं जानते कि देश में वैजीटेबल फैट्स आधारित डैसर्ट को मिलाकर औसतन 100 रुपए प्रति लीटर के अनुपात में करीब 90 करोड़़ लीटर आइसक्रीम की बिक्री होती है और आइसक्रीम का सालाना 9000 करोड़ का मार्कीट शेयर है। इनमें से आइसक्रीम के कुल कारोबार में 1250 करोड़़ रुपए का सबसे बड़ा हिस्सा अमूल के खाते में है जबकि क्वालिटी वॉल्स और वाडी लाल की सेल को मिलाकर इन 3 बड़े प्लेयर्स की सालाना बिक्री 2500 करोड़़ का आंकड़ा पार कर जाती है जबकि पंजाब दूध प्रोडक्शन में प्रमुख स्टेट होने के बावजूद आर्गेनाइज्ड और ब्रांडिड आइसक्रीम के क्षेत्र में बेहद पिछड़ा हुआ है। 
इस क्षेत्र पर सरकार को फोकस करना इन्सैंटिव के जरिए प्रोत्साहित करना रैवेन्यू के साथ रोजगार की समस्या को दूर कर सकता है। आमतौर पर डेयरी उत्पादों को मक्खन और पनीर से जोड़कर आंका जाता है जबकि इन दोनों उत्पादों का कुल सालाना कारोबार 2500 करोड़़ से भी कम का है। जबकि आइसक्रीम इसके मुकाबले स्वास्थ्यवर्धक होने के साथ 9000 करोड़़ रुपए सालाना का बड़ा कारोबार दर्ज कर रही है। 

 

आइसक्रीम कोई लग्जरी की आइटम नहीं है। लोग साधारण तौर पर खाना खाने के बाद जायके के तौर पर इसे खाना पसंद करते हैं। जी.एस.टी. लागू होने के बाद 18 प्रतिशत की ऊंची टैक्स स्लैब होने के कारण पंजाब में आइसक्रीम की बिक्री 60 से 70 प्रतिशत रह गई है। देश में जी.एस.टी. से पूर्व विभिन्न राज्यों में टैक्स की औसतन दर 9 प्रतिशत थी। इसे हर वर्ग का व्यक्ति खाता है। सरकार 100 रुपए प्रति लीटर कीमत की आइसक्रीम को 5 प्रतिशत टैक्स दायरे में रखे जबकि ब्रांडिड महंगी आइसक्रीम 18 प्रतिशत दायरे में रखे।   -राजेन्द्र सिंह बसंत एम.डी. बसंत आइसक्रीम

 

पंजाब में पूर्व में भी टैक्स की ऊंची दरों के कारण आइसक्रीम इंडस्ट्री की ग्रोथ अन्य राज्यों के मुकाबले काफी कम रही है। आज भी आइसक्रीम चाहे ब्रांडिड हो रेहडिय़ों पर ही बिकती है जबकि कॉफी की तर्ज पर होटल-रैस्टोरैंट से जोड़कर इस लग्जरी स्लैब में रखा जाता है। यूरोप व भारत में लोग आइसक्रीम का लुत्फ उठाते हैं। पंजाब सरकार आइसक्रीम इंडस्ट्री को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष कदम उठाए ताकि इस उद्योग का विस्तार हो सके। 
भूपिन्द्र सिंह एम.डी. आइसक्रीम स्टूडियो, लुधियाना 

 

युवाओं का आइसक्रीम के प्रति क्रेज तेजी से बढऩे लगा है। यह उत्पाद जंक फूड नहीं है बल्कि हैल्दी प्रोडक्ट है। भारत में आइसक्रीम का बहुत बाजार है लेकिन राज्य की नीतियों के कारण इस क्षेत्र पर विशेष ध्यान नहीं देने से यह पंजाब में ज्यादा विकसित नहीं हो पाया। आइसक्रीम को भी घी, मक्खन, पनीर की तर्ज पर 12 प्रतिशत टैक्स स्लैब में लाया जाना चाहिए ताकि इंडस्ट्री प्रमोट हो सके। -अजय बैक्टर एम.डी.क्रीमिका आइसक्रीम

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