Edited By Updated: 20 Feb, 2017 09:07 AM
डी.टी.ओ. कार्यालय में भ्रष्टाचार किसी से छिपा नहीं है और आए दिन किसी न किसी बात पर यहां काम करने वाले कुछ लालची किस्म के
जालंधर(अमित): डी.टी.ओ. कार्यालय में भ्रष्टाचार किसी से छिपा नहीं है और आए दिन किसी न किसी बात पर यहां काम करने वाले कुछ लालची किस्म के सरकारी कर्मचारियों और निजी कंपनी के स्टाफ की मिलीभगत से एजैंटों द्वारा अपने जायज-नाजायज काम करवाने की चर्चा सुनने को मिलती रहती है। प्रदेश सरकार द्वारा जनता की सुविधा के लिए बनाए गए आधुनिक ड्राइविंग टैस्ट ट्रैक के खुलने से लेकर आज तक भ्रष्टाचार का ग्राफ कम होने की जगह पर इतना अधिक बढ़ गया है कि मौजूदा समय में एजैंटों के ऊपर कोई अंकुश नाम की चीज दिखाई ही नहीं दे रही। पंजाब केसरी की टीम ने जब गहनता से इस मामले की जांच-पड़ताल की तो पाया कि ट्रैक पर आने वाले आवेदकों की गिनती इतनी नहीं है जितनी बड़ी गिनती में एजैंट यहां पर रोजाना घूमते हुए देखे जा सकते हैं और इस पूरे मामले में सबसे अधिक हैरान करने वाली बात यह है कि आज तक न जाने क्यों किसी अधिकारी की नजर इनके ऊपर नहीं पड़ती। अधिकारियों के इस ढीले और लापरवाह रवैये का नतीजा है कि आजकल अधिकतर एजैंट बिना किसी रोक-टोक के ट्रैक पर अपना धंधा चलाते हुए देखे जा सकते हैं और इतना ही नहीं कुछ एजैंटों की पहुंच इतनी ऊंची है कि वह बिना किसी परेशानी के सरकारी रिकार्ड के साथ छेड़छाड़ करते और कम्प्यूटर सिस्टम पर काम करते हुए देखे जा सकते हैं। अगर समय रहते ही परिवहन विभाग नहीं चेता और एजैंटों के ऊपर रोक नहीं लगाई जाती है तो यह बेहद घातक साबित हो सकती है।
7-8 दिन में नहीं नजर आएगा कोई एजैंट : डी.टी.ओ.
ए.डी.सी.-कम-डी.टी.ओ. गुरमीत सिंह मुल्तानी से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि उनके एजैंडे में एजैंटों के खिलाफ कार्रवाई किया जाना पहले दिन से ही शामिल है और जल्दी ही कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि आम जनता को किसी काम के लिए परेशानी नहीं झेलनी पड़ेगी और 7-8 दिन बाद ट्रैक पर कोई भी एजैंट नजर नहीं आएगा। वह निजी तौर पर इस बात को सुनिश्चित करेंगे कि ट्रैक पर कोई भी कर्मचारी एजैंट के काम न करे और अगर कोई ऐसा करता हुआ पाया जाता है तो उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने से भी गुरेज नहीं किया जाएगा।
बिना स्टाफ की मदद के एजैंटों का प्रवेश नहीं संभव
जिस तरह से सारा दिन ट्रैक पर एजैंट बिना किसी रोक-टोक के फाइलें लेकर घूमते हुए देखे जाते हैं, उसको देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि ऐसा बिना स्टाफ की मदद से कतई संभव नहीं है। क्योंकि अगर स्टाफ चाहे तो किसी भी एजैंट का उनके पास आने या खड़े होकर काम करवाने का सवाल ही पैदा नहीं होता।
चुटकियों में करवा रहा सारे काम
निजी कंपनी के एक कर्मचारी का सगा भाई जो सारा दिन ट्रैक पर घूमता हुआ देखा जा सकता है, वह मौजूदा समय में एक बड़े एजैंट की ख्याति प्राप्त कर चुका है, क्योंकि न होने वाले काम भी वह चुटकियों में करवा देता है। अपने भाई की वजह से वह निजी कंपनी के सारे स्टाफ के साथ काफी घुल-मिल कर रहता है और जब देखो किसी न किसी काऊंटर पर अपने ग्राहकों की फाइलें लेकर ऐसे बैठा हुआ दिखाई देता है कि मानो वह कोई एजैंट न होकर निजी कंपनी का ही कोई कर्मचारी है।
CCTV कैमरे लगाने का नहीं हुआ कोई लाभ
कुछ समय पहले एजैंटों व अन्य लोगों के अनधिकृत प्रवेश पर पाबंदी लगाने और ऐसे लोगों पर पैनी नजर बनाए रखने के उद्देश्य से तत्कालीन डी.टी.ओ. ने ट्रैक के अंदर-बाहर सी.सी.टी.वी. कैमरे लगवाए थे। मगर इन कैमरों का भी एजैंटों के ऊपर कोई असर नहीं हुआ, क्योंकि मौजूदा समय में ट्रैक के ऊपर किसी भी एजैंट के प्रवेश पर कोई पाबंदी दिखाई ही नहीं देती। जिस वजह से सारा दिन एजैंट फाइलें लेकर इधर से
उधर घूमते हुए दिखाई देते रहते हैं।