Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Dec, 2017 10:49 AM
नगर निगम बठिंडा को 5 करोड़ रुपए के आर.ओ. बेचने वाली निजी कम्पनी फा‘र्यून इलैक्ट्रो इंडिया निगम को एक बार चूना लगाने की फिराक में है, जिसके आगे निगम अधिकारी भी घुटने टेकने को मजबूर हैं। शहर के 50 वार्डों में चल रहे आर.ओ. में से अधिकतर इसी कम्पनी ने...
बठिंडा(विजय): नगर निगम बठिंडा को 5 करोड़ रुपए के आर.ओ. बेचने वाली निजी कम्पनी फा‘र्यून इलैक्ट्रो इंडिया निगम को एक बार चूना लगाने की फिराक में है, जिसके आगे निगम अधिकारी भी घुटने टेकने को मजबूर हैं। शहर के 50 वार्डों में चल रहे आर.ओ. में से अधिकतर इसी कम्पनी ने सप्लाई किए और नगर निगम से इसके रखरखाव व पानी बेचने का 7 वर्ष का ठेका भी कम्पनी ने लिया। ठेके के बदले अनुबंध में कम्पनी ने 1 करोड़ रुपए की बैंक गारंटी नगर निगम के पास जमा करवाई। 2009 में हुए इस अनुबंध के समय गारंटी ली गई थी जिसका कार्यकाल 2016 में पूरा हो गया। कम्पनी ने उसके बाद बैंक गारंटी का नवीनीकरण नहीं करवाया और बिना किसी गारंटी के 50 आर.ओ. का पानी बेचने में लगी रही।
‘पंजाब केसरी’ द्वारा मुद्दा उठाने के बाद निगम अधिकारियों ने बैंक गारंटी मांगी
‘पंजाब केसरी’ ने सबसे पहले यह मुद्दा उठाया तो निगम अधिकारियों ने आनन-फानन में कम्पनी को नोटिस जारी कर बैंक गारंटी मांगी। कम्पनी की ओर से इस संबंध में कोई जवाब नहीं आया क्योंकि अनुबंध 2016 में खत्म हो चुका था जबकि आर.ओ. यही कम्पनी चला रही थी। अधिकारियों की नाकामी के चलते बैंक गारंटी लेने की बजाए अधिकारियों ने 27 मई, 2016 को एजैंडा नंबर 10 के तहत प्रस्ताव पारित कर कम्पनी को 31 मार्च 2019 तक आर.ओ. संभालने की जिम्मेदारी दी, बदले में कोई गारंटी नहीं ली। मीडिया में नगर निगम की किरकिरी होने के बाद व जिलाधीश द्वारा मामले की जांच के निर्देश के बाद अधिकारियों ने निजी कम्पनी के अधिकारियों को गारंटी देने के लिए पत्र लिखा। वीरवार को कम्पनी के कुछ अधिकारी नगर निगम में आए और उन्होंने अधिकारियों से बातचीत करते हुए मात्र 25 लाख रुपए की बैंक गारंटी देने की बात कही और यहां तक कहा कि वे इससे अधिक गारंटी नहीं देंगे बेशक आर.ओ. का काम निगम संभाल ले। इस बात को लेकर निगम के हाथ-पांव फूल गए और निगम आयुक्त के साथ एमरजैंसी बैठक की गई जिसमें निगम आयुक्त ने 25 लाख रुपए की गारंटी लेने संबंधी बात कही। पता चला है कि नगर निगम 25 लाख रुपए की बैंक गारंटी लेने में तैयार हो गया जबकि नियमों अनुसार 1 करोड़ से कम गारंटी नहीं ली जा सकती, बदले में कम्पनी को ब्लैकलिस्ट किया जाना था। नगर निगम कम्पनी को ब्लैकलिस्ट करना भूल गई और कम्पनी के आगे घुटने टेकने के लिए मजबूर हुई। इसके पीछे का राज वहीं जानें।
क्या कहते हैं निगम इंजीनियर
निगम इंजीनियर संदीप गुप्ता का कहना है कि आर.ओ. का मामला एक्सियन दविंद्र जौड़ा देखते हैं। बतौर उ"ा अधिकारी के नाते उन्होंने बताया कि कम्पनी की दलील है कि 7 वर्ष पहले इन आर.ओ. की कीमत 5 करोड़ थी तब उन्होंने 1 करोड़ की बैंक गारंटी दी थी। अब आर.ओ. की मशीनरी व बिल्डिंग कमजोर हो चुकी है जिसके लिए कम्पनी ने केवल 25 लाख रुपए बैंक गारंटी देने की ऑफर की है। उन्होंने कहा कि इस मामले को जनरल हाऊस में रखा जाएगा तभी इसका फैसला होगा। दविंद्र जौड़ा ने बताया कि कम्पनी के साथ बैंक गारंटी को लेकर बात चल रही है अभी फाइनल कुछ नहीं हुआ। निजी कम्पनी द्वारा दी गई ऑफर को निगम आयुक्त के पास भेज दिया गया है व फैसला लेने का अधिकार भी उन्हीं का है।