इंडस्ट्री को सस्ती बिजली तो क्या देनी, पावरकॉम को आगामी सब्सिडी देने से भी भागी कैप्टन सरकार

Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Feb, 2018 04:30 PM

captcha government giving the incoming subsidy to powercom

पंजाब सरकार ने चुनाव के दौरान इंडस्ट्री को पंाच रूपए प्रति यूनिट बिजली देने का वायदा किया था लेकिन पावरकॉम को आगामी सब्सिडी देने...

पटियाला: पंजाब सरकार ने चुनाव के दौरान इंडस्ट्री को पंाच रूपए प्रति यूनिट बिजली देने का वायदा किया था लेकिन पावरकॉम को आगामी सब्सिडी देने से भी भागती नजर आ रही है। सरकार ने माना कि खराब वित्तीय हालत के चलते साल 2017-18 के लिए बिजली की आगामी सब्सिडी देनी आसान नहीं है। सरकार के इस ऐलान के साथ बिजली महकमे को अदायगी योग रकम 11542 करोड़ रुपए बन गई है, जिस की अदायगी न होने के कारण बिजली महकमे का चलना अब कठिन हो गया है। इसका बड़ा कारण सरकार की तरफ से यह बताया जा रहा है। 

इस सम्बन्धित अप्रैल 2017 में सेवामुक्त इंजनियर पदमजीत सिंह ने पटीशन दाखिल की थी कि सरकार की तरफ से अलग-अलग वर्गों को खुले आम सबसिडियां बिजली महकमे के खाते में पहुंचनी चाहिए, जिसके जवाब में सरकार ने कहा था कि सरकार की खराब माली हालत के कारण वह पंजाब स्टेट रेगुलेटरी कमिशन (पी.एस.ई.आर.सी.) को अगामी सब्सिडी देने से असमर्थ है। 6 फरवरी 2018 को पटीशन जवाब में सरकार ने जवाब दाखिल किया कि साल 2017-18 के लिए 11,542 करोड़ रुपए की सब्सिडी में से सरकार ने 23044 करोड़ रुपए बराबर (अडजस्ट) कर दिए गए हैं, जबकि अब सरकार की तरफ सब्सिडी का 4748 करोड़ रुपया बकाया है।

इस सम्बन्धित एडीशनल चीफ सैक्टरी ने कहा कि यह मामला वित्त विभाग के साथ विचारा गया है, जिन्होंने इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 के अनुसार सब्सिडी को आगामी देने के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। पंजाब के वित्त विभाग ने भी यही राग आलापा है कि सरकार की वित्तीय हालत आगामी सब्सिडी देने की नहीं है। उनका कहना है कि सरकार की आमदन का बड़ा हिस्सा इस साल शुरू हुए जी.एस.टी. पर खर्च हो गया है और दूसरी तरफ  राशन सब्सिडी पर सरकार के 3000 करोड़ रुपए खर्च हो गए हैं, जिस कारण यह पैसा लौटाना कठिन है। 

इलेक्ट्रिसिटी एक्ट के सैक्शन-65 अनुसार अगर सरकार की तरफ से निगम को आगामी सब्सिडी नहीं दी जाती तो निगम खपतकारों से पूरी वसूली कर सकती है। जिक्रयोग्य है कि पंजाब स्टेट शक्ति कारपोरशन (पी.एस.पी.सी.एल) पहले ही वित्तीय समस्याओं के साथ जूझ रही है, जिसके चलते न तो समय सिर बिजली मुलाजिमों को वेतन दिया जा रहा है और न ही सेवामुक्त मुलाजिमों को पैनशनें। 

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