Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Aug, 2017 09:55 AM
शाही शहर पटियाला को 2 बार मुख्यमंत्री भी मिला, कई बार इस शहर से कैबिनेट मंत्री भी बने, परंतु 48 साल पहले पड़े सीवरेज सिस्टम को अपग्रेड करने की तरफ किसी ने कोई ध्यान नहीं दिया। इस कारण अब सीवरेज जाम की समस्या विकराल रूप धारण कर गई है।
पटियाला(राजेश, बलजिन्द्र) : शाही शहर पटियाला को 2 बार मुख्यमंत्री भी मिला, कई बार इस शहर से कैबिनेट मंत्री भी बने, परंतु 48 साल पहले पड़े सीवरेज सिस्टम को अपग्रेड करने की तरफ किसी ने कोई ध्यान नहीं दिया। इस कारण अब सीवरेज जाम की समस्या विकराल रूप धारण कर गई है।
शहर में जगह-जगह पर अक्सर ही सीवरेज जाम रहता है। कई इलाकों की लाइनें तो कई-कई सालों से ब्लाक पड़ी हैं। उनको रिप्लेस करने में नगर निगम ने कोई रुचि नहीं दिखाई। 10 सालों बाद शहर में फिर से पटियाला शहर के रहने वाले को मुख्यमंत्री की कुर्सी मिली है, लोगों को उम्मीद है कि पटियाला के विधायक और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह शाही शहर को सीवरेज की समस्या से निजात दिलाएंगे।
1971-72 में शुरू हुआ था शहर में सीवरेज सिस्टम
पटियाला एक रियासती और विरासती शहर है। देश की आजादी के बाद 1971-72 में पटियाला शहर में सीवरेज सिस्टम डाला गया था। उस समय शहर के अलग-अलग इलाकों की आबादी को ध्यान में रखते हुए 8 इंची, 10 इंची और 12 इंची सीवरेज की लाइनें डाली गई थीं। 1972 से यही सीवरेज सिस्टम चला आ रहा है। जिस समय शहर में सीवरेज डाला गया था, उस समय शहर की आबादी 1 लाख 3 हजार थी और शहर का घेरा 45 किलोमीटर था।
लोगों ने बड़े स्तर पर की सीवरेज की लाइनें पंक्चर
सीवरेज सिस्टम के माहिरों का कहना है कि एक बार बिछाई गई सीवरेज की लाइनें एक सदी से ज्यादा समय तक चल सकती हैं, परंतु यदि इन लाइनों को पंक्चर किया जाए तो ब्लाकेज की बड़ी समस्या पैदा हो जाती है। पटियाला में जगह-जगह पर लोगों ने अपने स्तर पर सीवरेज की लाइनों को पंक्चर करके अपने आप कनैक्शन लिए हुए हैं। जिस कारण सीवरेज ब्लाकेज की समस्या पैदा हो रही है। बड़ी संख्या में मैनहोल खराब हो चुके हैं। जो लाइनें खराब हो चुकी हैं, उन्हें रिप्लेस नहीं किया जा रहा।
शहर में सीवरेज का पानी 80 एम.एल.डी., परंतु पंप की कैपेसिटी 56 एम.एल.डी.
शाही शहर में रोजाना सीवरेज का पानी 80 एम.एल.डी. पैदा होता है, जबकि इसकी निकासी 56 एम.एल.डी. की है। सीवरेज डिस्पोजल के लिए जो ट्रीटमैंट प्लांट लगाए गए हैं, उनमें शेर माजरा में लगाया गया ट्रीटमैंट प्लांट 46 एम.एल.डी. पंप आऊट करता है। अबलोवाल में लगाया गया प्लांट 10 एम.एल.डी. पंप आऊट करता है। सीवरेज के पानी की पैदावार और निकासी में गैप होने के कारण अक्सर सीवरेज जाम रहता है।
अब 310 किलोमीटर में सीवरेज की लाइनें
जिस समय शहर की आबादी 1 लाख के करीब थी उस समय 45 किलोमीटर की सीवरेज लाइन डाली गई थी, जबकि मौजूदा समय शहर का दायरा काफी ज्यादा बढ़ गया है, लिहाजा 2002 और 2008 में शहर में नया सीवरेज सिस्टम डाला गया। इसमें उन कालोनियों को कवर किया गया, जिनमें पहले सीवरेज सिस्टम नहीं था। साल 2002 में जब कैप्टन अमरेन्द्र सिंह पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने शहर की 100 से ज्यादा कालोनियों में सीवरेज सिस्टम डालने के लिए नैशनल कैपिटल रिजन प्लानिंग बोर्ड (एन.सी.आर.) से 126 करोड़ का लोन पास करवाया था। साल 2007 में अकाली-भाजपा सरकार आई तो सैंटर से एक और स्कीम के अंतर्गत उस समय बाकी बचते हिस्से में सीवरेज डाला गया था।
खराब हुई सीवरेज की लाइनें बदलने पर लगेंगे 15 करोड़
शाही शहर के जिन इलाकों की सीवरेज लाइनें खराब हो चुकी हैं, उनको बदलने पर 15 करोड़ का खर्च आना है। नगर निगम की सीवरेज ब्रांच ने इस संबंध में प्रपोजल बना कर भेजा हुआ है, परंतु फंडों की कमी के कारण यह काम सिरे नहीं चढ़ रहा।
अब भी बांस से होती है सफाई
एक तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अधिक से अधिक तकनीकों का सहारा लेकर विकास की बातें कर रहे हैं और दूसरी तरफ मुख्यमंत्री के शहर में आज भी सीवरेज लाइनों की सफाई बाबा आदम के जमाने के सिस्टम के द्वारा होती है। निगम की तरफ से आज भी बांस से सीवरेज लाइनों की सफाई की जाती है। 310 किलोमीटर लाइनों की सफाई के लिए निगम के पास सिर्फ 7 इंजन हैं, जोकि काफी पुराने हैं।
सीवरेज अपग्रेड करने के लिए अमरूत स्कीम अधीन योजना बनाई : मेयर बजाज
मेयर अमरिंद्र सिंह बजाज ने कहा कि पटियाला का सिस्टम अपग्रेड करने के लिए केंद्र की अटल मिशन रैज्रीवेशन अर्बन ट्रांसमिशन स्कीम (अमरूत) के अंतर्गत योजना बनाई हुई है। इस संबंध में प्रपोजल बना कर केंद्र सरकार को भेजा हुआ है। जल्दी ही इस योजना के अंतर्गत पटियाला को फंड मिल जाएंगे। इस संबंधी वह खुद केंद्रीय शहरी विकास मंत्री के साथ मीटिंगें करके आए हैं। उन्होंने कहा कि अमरूत योजना लागू होने के बाद शहर में सीवरेज समस्या का हल हो जाएगा।