Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Feb, 2018 08:06 AM
विद्यार्थियों द्वारा परीक्षा के मद्देनजर की जा रही मेहनत पर धार्मिक स्थानों तथा विवाह-शादियों में लाऊड स्पीकरों की तेज आवाजों के चलते भारी विघ्न पड़ रहा है। ऐसे में सब कुछ देखते हुए भी पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी इस पर अंकुश लगाने का प्रयास नहीं कर...
निहाल सिंह वाला/बिलासपुर(बावा/जगसीर): विद्यार्थियों द्वारा परीक्षा के मद्देनजर की जा रही मेहनत पर धार्मिक स्थानों तथा विवाह-शादियों में लाऊड स्पीकरों की तेज आवाजों के चलते भारी विघ्न पड़ रहा है। ऐसे में सब कुछ देखते हुए भी पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी इस पर अंकुश लगाने का प्रयास नहीं कर रहे हैं। इस रवैये से अकेला विद्यार्थी वर्ग ही नहीं, बल्कि आमजन भी परेशान है।
सुप्रीम कोर्ट व श्री अकाल तख्त साहिब के आदेशों की अनदेखी
बेशक ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस आर.सी. लाहोटी तथा जस्टिस अशोक भान पर आधारित डिवीजन बैंच ने सिविल रिट पटीशन नंबर-72 ऑफ 1998, 18 जुलाई, 2005 को संविधान की धारा 141, 142 के अधिकारों का प्रयोग करते रात 10 से सुबह 6 बजे तक रिहायशी इलाकों में गाडिय़ों के हॉर्नों, लाऊड स्पीकरों व पटाखों आदि पर पाबंदी के दिशा-निर्देश जारी किए थे तथा इन दिशा-निर्देशों को अमली रूप देने के लिए केन्द्र व राज्य सरकारों को आदेश दिए गए थे।
श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा 23 नवम्बर, 2005 को जारी किए हुकमनामे में भी विशेष दिवस को छोड़कर बाकी दिन स्पीकरों की आवाज धार्मिक स्थानों पर सीमा में रखने की हिदायत दी गई थी, लेकिन कोई भी कानून की परवाह करने को तैयार नहीं।
फिरकू रंगत के डर के कारण लोग चुप
ध्वनि प्रदूषण पाबंदी के लिए बेशक 90 प्रतिशत लोग मांग करते हैं, लेकिन हकीकत में अगर पाबंदी के हक में कोई बोलने की जुर्रत करता है तो उसको ध्यान से बचाने की बजाय फिरकू रंगत दे दी जाती है।
निर्धारित मापदंड
ध्वनि प्रदूषण डब्ल्यू.एच.ओ. अनुसार रिहायशी क्षेत्रों में 45 डैसीबल, शहरी क्षेत्रों में 55 डैसीबल, औद्योगिक क्षेत्रों में 75 डैसीबल तथा स्कूलों व अस्पतालों के जोन पूरी तरह ध्वनि रहित होने जरूरी हैं।
ध्वनि प्रदूषण के नुक्सान
विशेषज्ञों के अनुसार ध्वनि प्रदूषण से बहरापन, दिल की धड़कन तेज होना, चिड़चिड़ापन, गुस्से में बढ़ौतरी, मानसिक तनाव, नींद न आना, ब्लड प्रैशर के अलावा गर्भवती महिलाओं के पेट में पल रहे बच्चे पर भी इसका बुरा प्रभाव देखने में आया है। लोगों द्वारा विवाह में चलाए जाते डी.जे. सिस्टम की तेज आवाज से बच्चों की सुनने की शक्ति पर बुरा असर पड़ता है। डी.जे. सिस्टम की ऊंची आवाजें ब्लड प्रैशर का बढऩा, सिरदर्द, चक्कर आना, दिल की धड़कन बढऩा व घबराहट आदि जैसी बीमारियों को जन्म देती हैं।