निगम चुनाव ने लगाई गरीबों को मिलने वाली गेहूं पर ब्रेक

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Feb, 2018 09:21 AM

ludhiana municipal corporation election

महानगर के 95 वार्डों में 24 फरवरी को होने जा रहे नगर निगम चुनावों के चलते खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अधिकारियों ने पंजाब सरकार की आटा-दाल स्कीम के तहत लाभपात्र परिवारों में बांटी जाने वाली गेहूं पर ब्रेक लगा दी है। बेशक इस संबंध में विभाग को हैड...

लुधियाना (खुराना): महानगर के 95 वार्डों में 24 फरवरी को होने जा रहे नगर निगम चुनावों के चलते खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अधिकारियों ने पंजाब सरकार की आटा-दाल स्कीम के तहत लाभपात्र परिवारों में बांटी जाने वाली गेहूं पर ब्रेक लगा दी है। बेशक इस संबंध में विभाग को हैड ऑफिस से किसी प्रकार का कोई पत्र जारी नहीं किया गया है लेकिन फिर भी विभागीय अधिकारी चुनाव आयोग द्वारा लगाई चुनाव आचार संहिता के चलते किसी भी प्रकार के विवाद से बचने के लिए एहतियात बरत रहे हैं लेकिन इस वजह से शहरी इलाके में पड़ते करीब 1 हजार सरकारी राशन डिपुओं के करीब 6 लाख लाभपात्र प्रभावित हो रहे हैं। ये लाभपात्र लुधियाना, जगराओं, खन्ना, दोराहा व साहनेवाल आदि शहरी इलाकों से जुड़े बताए जा रहे हैं। 

जानकारी के मुताबिक 1 फरवरी को लागू हुए कोड ऑफ कंडक्ट के बाद से ही विभागीय अधिकारियों द्वारा गेहूं वितरण के काम पर ब्रेक लगाने का फैसला लिया गया है। हालांकि इससे पहले कई डिपुओं पर लाभपात्र परिवारों को गेहूं वितरण का कार्य तेजी से चल रहा था। यहां बताना अनिवार्य होगा कि कार्डधारकोंको अक्तूबर 2017 से मार्च 2018 तक यानी 6 माह की गेहूं बांटी जा रही थी। लेकिन फरवरी माह करीब आधा गुजर जाने पर भी गेहूं वितरित शायद 5 फीसदी तक ही हो पाई है। इसका मुख्य कारण संबंधित अधिकारी सरकार द्वारा गेहूं की एलोकेशन देरी से करना बता रहे हैं। ऐसे में चिंता की बात यह भी है कि आखिर कैसे मार्च माह के अंत तक जिले से संबंधित कुल 4.10 लाख कार्डधारकों के 16 लाख सदस्यों को गेहूं का लाभ मिल पाएगा। 

मंडियों में गेहूं की आमद का सीजन बनेगा बाधा 
यह बात भी सामने आ रही है कि आगामी कुछ दिनों में जिले भर की अनाज मंडियों में गेहूं की आमद का काम जोर पकड़ लेगा, जिसके लिए विभागीय अधिकारियों ने अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं। ऐसे में जब विभागीय इंस्पैक्टर मंडियों के दौरे, गेहूं के रखरखाव व खरीद-फरोख्त में व्यस्त हो जाएंगे तो फिर डिपुओं पर गेहूं वितरण का काम कैसे होगा। इससे कई परिवार सरकार की आटा-दाल योजना के तहत मिलने वाली गेहूं से वंचित रह जाएंगे। वहीं सरकारी गेहूं की कालाबाजारी का खेल भी बड़े पैमाने पर खेला जा सकता है। 

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