निगम अफसरों के सामने अढ़ाई महीने में 43 करोड़ जुटाने की चुनौती

Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Jan, 2018 01:56 PM

ludhiana municipal corporation

सरकार द्वारा जारी की गई ब्याज-पैनल्टी माफ करने की स्कीम के पहले चरण में नगर निगम ने बकाया प्रापर्टी टैक्स के रूप में जो 10 करोड़ रुपए जुटाए हैं, उसे मिलाकर मौजूदा वित्तीय वर्ष में हुई कलैक्शन का आंकड़ा भले ही 57 करोड़ पर पहुंच गया है।

लुधियाना(हितेश) : सरकार द्वारा जारी की गई ब्याज-पैनल्टी माफ करने की स्कीम के पहले चरण में नगर निगम ने बकाया प्रापर्टी टैक्स के रूप में जो 10 करोड़ रुपए जुटाए हैं, उसे मिलाकर मौजूदा वित्तीय वर्ष में हुई कलैक्शन का आंकड़ा भले ही 57 करोड़ पर पहुंच गया है। लेकिन उसके बावजूद अफसरों की चिंता कम नहीं हुई, क्योंकि बजट टारगेट पूरा करने के लिए अगले अढ़ाई महीने दौरान 43 करोड़ जुटाने की चुनौती सामने तैयार खड़ी है। वर्णनीय है कि सरकार ने 2013 में जब प्रापर्टी टैक्स लागू किया तो 150 करोड़ सालाना वसूली का टारगेट रखा गया था।

लेकिन हालात यह है कि हाऊस टैक्स के समय होती 90 करोड़ की कलैक्शन के मुकाबले 30 फीसदी का घाटा हो रहा है, लेकिन इस हालात के लिए अफसर भी कम जिम्मेदार नहीं जिन्होंने कभी भी टैक्स न देने वालों के अलावा रैगुलर रिटर्न न भरने से संबंधित लोगों पर कोई पुख्ता कार्रवाई नहीं की।  अफसरों पर दबाव बढ़ाने के लिए सरकार ने निगम द्वारा बनाए 80 करोड़ के बजट टारगेट में 20 करोड़ का इजाफा करते हुए 100 करोड़ कर दिया था, लेकिन अफसरों ने फिर कुछ नहीं किया और रैवेन्यू जुटाने के लिए सरकार ने बकाया बिल जमा करवाने पर ब्याज-पैनल्टी माफ करने की जो स्कीम लागू की, उसे सफल बनाने की जगह भी अफसर हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे और लोगों ने खुद आगे आकर 10 करोड़ जमा करवा दिए जिससे प्रापर्टी टैक्स कलैक्शन का आंकड़ा 57 करोड़ पहुंच गया है। हालांकि अभी स्कीम के तीन महीने बाकी हैं, लेकिन अगर अफसरों का यही रवैया रहा तो 31 मार्च तक 43 करोड़ जुटाने का टारगेट पूरा होता नजर नहीं आ रहा।

चुनावी मौसम में ठप्प हुई क्रास चैकिंग
सरकार ने जब प्रापर्टी टैक्स की शुरूआत की तो डी.सी. रेट को आधार बनाया गया जिसकी रिटर्न भरने में सैल्फ असैसमैंट का पहलू होने का फायदा उठाते हुए लोगों ने डी.सी. रेट के अलावा कवरेज एरिया व लैंड यूज की गलत जानकारी देकर बड़े पैमाने पर नगर निगम को चूना लगाया। ऐसे लोगों पर सौ फीसदी पैनल्टी लगाने का प्रावधान है। यही नियम 2013 के बाद बदले पैट्रन के तहत पूरा टैक्स न देने वालों पर भी लागू होते हैं। जबकि उन नियमों पर अमल का निगम के पास कोई खास रिकार्ड नहीं है। हालांकि कुछ समय पहले बड़े यूनिटों या डोर टू डोर जाकर चैकिंग करने के लिए टीमें जरूर बनाई गईं, लेकिन चुनावी मौसम के चलते क्रास चैकिंग की यह मुहिम शुरू होने से पहले ही ठप्प होकर रह गई है।

एक लाख से ज्यादा लोगों ने कभी भी नहीं दिया टैक्स, कार्रवाई जीरो
निगम द्वारा जी.आई.एस. के जरिए करवाए सर्वे में सामने आई प्रापॢटयों का आंकड़ा करीब 4.25 लाख बनता है जिनमें से एक लाख से ज्यादा लोगों ने कभी भी टैक्स नहीं दिया है। उनके खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। जबकि पुराने हाऊस टैक्स रिकार्ड के साथ मिलान करने के अलावा डोर टू डोर चैकिंग के जरिए ऐसे लोगों की धरपकड़ की जा सकती है।

बकाया क्लीयर करने की शर्त के कारण बैठे बिठाए आ रहा रैवेन्यू
नगर निगम द्वारा प्रापर्टी टैक्स के बकाया बिलों की वसूली के नाम पर जो भी नोटिस जारी किए जाते हैं, उनमें सिर्फ वो ही लोग शामिल हैं, जिन्होंने 2013 के बाद रैगुलर टैक्स नहीं जमा करवाया। जहां तक कभी भी टैक्स न जमा करवाने वालों का सवाल है, उनका रैवेन्यू टी.एस. वन लेने या प्रापर्टी की मलकीयत बदलने के केसों में बकाया क्लीयर करने की शर्त के कारण बैठे बिठाए आ रहा है।

 पालिसी के चलते हुआ 7 करोड़ का नुक्सान, अब होगा 20 फीसदी इजाफा
सरकार ने वन टाइम सैटलमैंट पालिसी के तहत बकाया बिल जमा करवाने वालों को ब्याज-पैनल्टी माफ करने के अलावा 10 फीसदी रिबेट देने का फैसला भी किया था। उस दौरान भले ही निगम को 10 करोड़ की रिकवरी हुई है, लेकिन अगर यह टैक्स पूरा मिलता तो 7 करोड़ का और फायदा होता। हालांकि पालिसी के दूसरे चरण में अगले तीन महीने तक रिबेट तो खत्म हो गई, परंतु लोगों को 10 फीसदी पैनल्टी देनी होगी जिससे निगम को पहले के मुकाबले 20 फीसदी का फायदा होगा। 

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