स्कैंडल का पर्दाफाश, मर्सिडीज और BMW जैसी लग्जरी गाडिय़ों की RC री-असाइनमैंट में बड़े एजैंट जमकर कर रहे हैं धांधलियां

Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Jan, 2018 09:33 AM

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विजीलैंस विभाग द्वारा आर.टी.ए. दफ्तर में रेड करने के पश्चात जारी जांच-पड़ताल के दौरान कई खुलासे हो रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ शहर के बड़े एजैंटों द्वारा की गई धांधलियां भी हर रोज उजागर होने लगी हैं। जालंधर के कुछ बड़े एजैंटों द्वारा परिवहन विभाग के...

जालंधर (अमित): विजीलैंस विभाग द्वारा आर.टी.ए. दफ्तर में रेड करने के पश्चात जारी जांच-पड़ताल के दौरान कई खुलासे हो रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ शहर के बड़े एजैंटों द्वारा की गई धांधलियां भी हर रोज उजागर होने लगी हैं। जालंधर के कुछ बड़े एजैंटों द्वारा परिवहन विभाग के अंदर जमकर मनमानियां की जा रही हैं। चाहे परिवहन विभाग की जाली मोहरें बनाना हो, अधिकारियों के जाली हस्ताक्षर करआवेदन जमा करवाना हो या फिर परिवहन विभाग की जाली डिलीवरी स्लिपें छपवाकर उनका खुलेआम इस्तेमाल किया जाना हो, बड़े एजैंटों के लिए सब कुछ संभव है। 

इसी कड़ी में शहर के बड़े एजैंटों का एक और बड़ा कारनामा सामने आया है, जिसमें मर्सिडीज और बी.एम.डब्ल्यू. जैसी महंगी लग्जरी गाडिय़ों को अन्य प्रदेशों से लाकर पंजाब में नया नंबर लगवाकर आर.सी. जारी करने (आर.सी. री-असाइनमैंट) के काम में जमकर धांधलियां की गई हैं। इस गोरखधंधे में सरकारी फीस कम जमा करवा कर सरकारी खजाने को चूना लगाया जा रहा था। गौर हो कि हाल ही में पंजाब केसरी की तरफ से इस बात का खुलासा किया गया था कि कैसे बिना सरकारी फीस जमा करवाए ही गाडिय़ों को ट्रांसफर कर आर.सी. जारी करवाई जा रही हैं और कैसे आर.टी.ए. दफ्तर से काम करवाने में कोई अड़चन न आए इसके लिए उन्होंने अपने पास पूरे प्रदेश के आर.टी.ए. दफ्तरों की जाली मोहरें तक बनाकर रखी हुई हैं जिनका इस्तेमाल वे आर.सी. की वैरीफिकेशन या तत्काल कापी के लिए करते हैं। इसी कड़ी में पंजाब केसरी के पास ऐसे ही कुछ बड़े एजैंटों द्वारा किसी अन्य प्रदेश से आई एक बी.एम.डब्ल्यू. गाड़ी का पहले कम सरकारी टैक्स जमा करवाने और बाद में अढ़ाई महीने के उपरांत मामला सामने आने पर बकाया टैक्स जमा करवाकर अपनी जान छुड़वाने संबंधी सबूत मिले हैं, जो जनता के सामने रखे जा रहे हैं ताकि अधिकारियों व विभाग को भी सच्चाई का पता लग सके। सूत्रों की मानें तो पिछले लंबे समय से बड़े एजैंटों द्वारा उक्त काम कुछ लालची किस्म के कर्मचारियों के साथ मिलकर सरेआम कायदे-कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।

क्या है मामला, कैसे आया सामने?
आर.टी.ए. दफ्तर के सूत्रों की मानें तो एक बी.एम.डब्ल्यू. गाड़ी नंबर डी.एल. 3 सी.बी.एम. 3822 जो किसी गुरमिंदर सिंह के नाम पर अशोक विहार, नई दिल्ली के पते पर रजिस्टर्ड थी और उसका माडल नंबर 2009 है, उसे पंजाब में नया नंबर लगवाकर ट्रांसफर करने और बाद में नया नंबर पी.बी. 08 डी.एस. 1500 लगाकर आर.सी. जारी करवाने के लिए शहर के एक बड़े एजैंट ने सुरिंदर कौर के नाम से मिति 30 अगस्त, 2017 से 1,02,615 रुपए की ऑनलाइन फीस रसीद नंबर 9917438564021 द्वारा जमा करवाया गया और आर.सी. जारी करवाई गई। इसी बीच जालंधर में दौरे पर आए एस.टी.सी. के सामने जांच के दौरान उक्त आर.सी. का मामला आया जिसके पश्चात ऊंची पहुंच और रसूख के चलते लगभग अढ़ाई महीने के पश्चात 15 नवंबर, 2017 को रसीद नम्बर 9317456553601 द्वारा 56,820 रुपए की बकाया टैक्स राशि जमा करवाई गई। इस पूरे मामले में सबसे अधिक हैरान करने वाली बात जो सामने आती है कि 56 हजार जैसी बड़ी राशि बकाया होने के बावजूद कैसे किसी व्यक्ति को आर.सी. जारी की गई और कैसे बाद में मामला सामने आते ही अढ़ाई महीने के अंतराल के बाद दोबारा से बकाया राशि जमा भी करवा दी गई और आर.सी. का नया प्रिंट भी निकाल दिया गया। इसका मतलब यही है कि एजैंटों ने बड़ी सफाई के साथ अधूरी सरकारी फीस जमा करवाए हुए ही आर.सी. जारी करवा ली। यह अपने आप में बहुत बड़ा स्कैंडल है, जिसकी गहन जांच की जानी अनिवार्य है।

 

अढ़ाई महीने तक एजैंट ने इस्तेमाल किया सरकारी फीस का पैसा
इस मामले में चौंकाने वाली बात सामने आती है कि अढ़ाई महीने जैसे लंबे अंतराल तक एक बड़े एजैंट द्वारा सरकारी फीस का मोटा हिस्सा सरकारी खजाने में जमा करवाने की जगह अपनी जेब में डालकर निजी तौर पर इस्तेमाल किया गया जोकि सरासर गैर-कानूनी और अपराध है, जिसके लिए बनती कानूनी कार्रवाई किया जाना अनिवार्य है।

क्लर्क द्वारा मोटी फीस लेकर सारे काम को दिया अंजाम
सूत्रों द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार जिस क्लर्क ने उक्त काम को अंजाम दिया है उसने बड़े एजैंट से मोटी निजी फीस लेकर इस काम को किया था और जितनी फीस बकाया थी, उसमें भी अपनी कमीशन ली और गल्त ढंग से आर.सी. जारी कर दी। 

अधिकारियों का उदासीन रवैया बन रहा एजैंटों का मददगार
लंबे समय से बड़े एजैंट इस प्रकार के गल्त कार्यों को अंजाम देने में लगे हुए हैं। मगर परिवहन विभाग के अधिकारियों का रवैया उदासीन ही बना हुआ है, जो ऐेसे एजैंटों के लिए मददगार साबित हो रहा है। आज तक किसी भी बड़े एजैंट या सरकारी कर्मचारी के खिलाफ गल्त काम करने को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी जिससे बड़े एजैंटों के हौसले काफी बुलंद हो चुके हैं और वे रोजाना ऐसे अवैध कामों को अंजाम देने में लगे हुए हैं। 

अपने चहेते को आर.सी. का काम दिलाने के लिए लड़ाया जा रहा तिकड़म
बड़े एजैंट द्वारा आर.सी. के काम पर अपना एकछत्र साम्राज्य कायम रखने के उद्देश्य से एक चहेते निजी कारिंदे को आर.सी. का काम दिलाने के लिए तिकड़म लडाया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार इस काम के लिए 2-3 मीटिंगों का दौर भी हो चुका है और निजी कारिंदे की पीठ थप-थपाकर उसे सारा काम संभालने के लिए तैयार रहने के लिए भी कह दिया गया है।

कानूनी शिकंजे से बचने के लिए बदला फर्म का नाम
शहर के एक बड़े एजैंट, जिसने अपनी सैटिंग और ऊंची पहुंच के दम पर आर.टी.ए. दफ्तर से कई जायज-नाजायज काम करवाए हैं उसने पिछले कुछ दिनों में हुए खुलासों और विजीलैंस की जांच के उपरांत अपनी फर्म का नाम जोकि पहले उसके खुद के नाम पर चलता था, वह उसने एक इंगलिश नाम वाली फर्म के रूप में बदल दिया है। गौर हो कि आर.टी.ए. दफ्तर के अंदर अलग-अलग कार्यों के लिए जो ऑनलाइन फीसें काटी जाती हैं, उसकी रसीद के नीचे जिस बैंक खाते से फीस जमा करवाई जाती है, उसका नाम भी आता है। इसी जगह पर आए अपने नाम को छिपाने के लिए उक्त बड़े एजैंट ने फर्म के नाम वाली रसीदें काटनी आरंभ कर दी हैं।

जांच होगी, गैर-कानूनी काम करने वालों को नहीं बख्शा जाएगा: आर.टी.ए.
सैक्रेटरी आर.टी.ए. दरबारा सिंह ने कहा कि उनके ध्यान में उक्त मामला नहीं है। मगर इसकी गहन जांच की जानी अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि गैर-कानूनी काम करने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। चाहे वह सरकारी कर्मचारी है या कोई एजैंट, गल्त काम करने वाले के खिलाफ बनती कार्रवाई अवश्य की जाएगी। सरकारी फीस के बिना काई भी आवेदन जमा नहीं करवाया जा सकता और अगर कोई ऐसा करता है तो यह कानूनी जुर्म है और इसके लिए बनती कार्रवाई की जाएगी।

सरकारी रैवेन्यु को नुक्सान पहुंचाना अपराध, होगी जांच : सतपाल
विजीलैंस विभाग के डी.एस.पी. चौधरी सतपाल का कहना है कि किसी भी सरकारी कर्मचारी द्वारा सरकारी रैवेन्यु को नुक्सान पहुंचाना अपराध है और ऐसा करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। मामले की गहन जांच होगी और दोषियों के खिलाफ बनती कार्रवाई की जाएगी।

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