Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Mar, 2018 12:54 PM
शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को व्यवस्थित करने और भविष्य की योजनाएं बनाने के लिए सरकार ने रोड सेफ्टी कमेटी का गठन किया था। नियमों के मुताबिक हर महीने रोड सेफ्टी कमेटी की मीटिंग होना लाजमी है और इस मीटिंग में शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को सही ढर्रे पर लाने...
जालंधर(रविंदर): शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को व्यवस्थित करने और भविष्य की योजनाएं बनाने के लिए सरकार ने रोड सेफ्टी कमेटी का गठन किया था। नियमों के मुताबिक हर महीने रोड सेफ्टी कमेटी की मीटिंग होना लाजमी है और इस मीटिंग में शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को सही ढर्रे पर लाने की योजनाएं बनाने का जिम्मा है। मगर हैरानी की बात यह है कि पिछले कई महीनों से रोड सेफ्टी कमेटी की मीटिंग न कर नियमों की अधिकारी खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं। पिछले साल भी कमेटी की महज 5 मीटिंगें ही हुई थीं।
इन मीटिंगों में लिए गए निर्णयों में से एक को भी अधिकारी जमीनी हकीकत नहीं बना पाए। यानी कुल मिलाकर रोड सेफ्टी कमेटी की मीटिंग महज चाय पार्टी की मीटिंग बनकर रह गई है। इस कमेटी के मैंबर आर.टी.ए., डी.सी., पुलिस कमिश्रर, निगम कमिश्रर समेत तमाम विभागों के अधिकारी शामिल हैं और प्रत्येक मीटिंग में हजारों रुपए जनता के खर्च होते हैं यानी कुल मिलाकर अब तक करोड़ों रुपए जनता की गाढ़ी कमाई के रोड सेफ्टी कमेटी की मीटिंगों पर खर्च हो चुके हैं, मगर ट्रैफिक व्यवस्था सुधार की तरफ एक कदम भी नहीं बढ़ पाया है। पिछले साल 5 मीटिंगों में जिले के 14 बड़े अधिकारी 7 घंटे तक ट्रैफिक सुधारों के प्रति माथापच्ची करते रहे, मगर नतीजा निकला जीरो।
विभागों की तालमेल की कमी से सिरे नहीं चढ़ती कोई योजना
शहर की ट्रैफिक व्यवस्था सुधार की प्रमुख जिम्मेदारी पुलिस विभाग, जिला प्रशासन और नगर निगम के जिम्मे होती है। मगर इन तीनों विभागों के बीच आपसी तालमेल आज तक नहीं बन पाया है। तीनों विभाग पूरी तरह से अपनी ड्यूटी निभाने में नाकाम रहे हैं। न तो ट्रैफिक पुलिस ट्रैफिक सुधार की जिम्मेदारी लेती है, न नगर निगम का तहबाजारी विभाग चौकस है और न ही जिला प्रशासन की ओर से कोई सख्त कदम उठाया जाता है। कभी नगर निगम कोई कार्रवाई करने निकलता है तो पुलिस का साथ नहीं मिलता और कभी पुलिस काम करना चाहती है तो नगर निगम हाथ खड़े कर देता है।
कई योजनाएं बनीं, मगर सब फ्लॉप
1.मीटिंग में फैसला हुआ था कि प्राइवेट अस्पतालों को अपनी पार्किंग व्यवस्था खुद करनी होगी और कोई भी अस्पताल सड़क पर वाहनों की पार्किंग नहीं करेगा। मगर इस पर आज तक कोई अमल नहीं हो सका और सभी अस्पताल खुलकर ट्रैफिक नियमों की ध"िायां उड़ा रहे हैं।
2.बी.एम.सी. चौक से लेकर वर्कशॉप चौक तक जितनी ट्रैफिक लाइटें हैं, उनका समय एकसार करने और ट्रैफिक लाइटों को जी.पी.एस. से सिंक्रोनाइज करने के प्लान पर 6 लाख रुपए तक खर्च कर दिए गए, मगर बार-बार हिदायतों के बाद भी इस पर कोई काम नहीं हुआ।
3.प्रताप बाग के पीछे बंद स्वीमिंग पुल की जगह को पार्किंग प्लेस के तौर पर विकसित करने की योजना थी, इस पर काम तक नहीं शुरू हो सका।
4. मॉडल टाऊन मार्कीट में निक्कू पार्क वाली जगह पर टैंपरेरी पार्किंग प्लेस विकसित करने की योजना थी, वर्षों से योजना पर काम नहीं हो सका और मॉडल टाऊन एक जाम बनकर रह गया है।
5.कूड़ा लिफ्टिंग का काम लोगों की रोजमर्रा रुटीन शुरू होने से पहले करने की योजना थी, कोई काम नहीं हो सका और दोपहर के समय लिफ्टिंग होने से घंटों जाम लगता है।
6.शहर के तंग बाजारों को वन-वे करने व बड़े वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की बात कही गई थी, मगर आज तक ट्रैफिक पुलिस इस पर अमल नहीं करवा पाई।
7. ज्योति चौक के पास सुदामा मार्कीट, ओल्ड कचहरी रोड और पुरानी जेल साइट पर पार्किंग प्लेस बनाने की योजना थी, मगर कोई काम नहीं हो सका।
8.सिविल अस्पताल के मेन गेट को ट्रैफिक जाम फ्री करने की योजना थी और ट्रैफिक मुलाजिम तैनाती के आदेश थे। मगर आज तक अमल नहीं हुआ। अब तो रिक्शा चालकों के साथ-साथ फड़ी वालों ने भी सिविल अस्पताल के मेन गेट पर कब्जा जमा लिया है।
9.बस स्टैंड फ्लाईओवर का डिजाइन बदला जाना था, ताकि बसें सीधे बस स्टैंड के अंदर जा सकें, मगर कोई काम नहीं हो सका।
10.रेहड़ी व फड़ी वालों को अलग एक स्थान चिन्हित कर जगह देने की योजना थी, ताकि सड़कों पर जाम न लगे, मगर कोई काम नगर निगम की ओर से नहीं हो सका।
11. शहर में अवैध रूप से पनपे टैक्सी स्टैंडों को हटाने की योजना थी, मगर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी।