Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Jan, 2018 09:23 AM
वैसे तो यह कोई नई बात नहीं कि सिविल अस्पताल में लोगों को सुविधाओं के साथ दुविधाओं का सामना करना पड़े, लेकिन इन दिनों सिविल अस्पताल परिसर में बने जच्चा-बच्चा अस्पताल में नवजात बच्चों की सुरक्षा पुख्ता नहीं है। गौर हो कि कुछ माह पहले इस वार्ड में एक...
जालंधर(शौरी): वैसे तो यह कोई नई बात नहीं कि सिविल अस्पताल में लोगों को सुविधाओं के साथ दुविधाओं का सामना करना पड़े, लेकिन इन दिनों सिविल अस्पताल परिसर में बने जच्चा-बच्चा अस्पताल में नवजात बच्चों की सुरक्षा पुख्ता नहीं है। गौर हो कि कुछ माह पहले इस वार्ड में एक महिला के गर्भ से पैदा हुए नवजात बच्चे को एक अज्ञात महिला उठाकर ले गई थी। जिसके बाद हंगामा होने के साथ थाना-4 की पुलिस के पास शिकायत भी पहुंची, पुलिस ने अज्ञात महिला के खिलाफ केस दर्ज कर उसकी तलाश शुरू की, लेकिन पुलिस को कुछ सुराग नहीं मिला। उस दौरान भी इस वार्ड में सी.सी.टी.वी. कैमरे नहीं थे, जबकि इस वारदात से पहले इस वार्ड में कैमरे लगे हुए थे।
कैमरों की ठीक प्रकार से देखरेख न होने के कारण वह खराब हो गए और बाद में उन्हें उतार दिया गया था। इस केस में थाना-4 में तैनात जांच अधिकारी सब-इंस्पैक्टर भगवंत भुल्लर ने सूचना के आधार पर नवजात बच्चे को गोङ्क्षबद नगर ट्रांसपोर्ट के पास से बरामद किया था। शातिर महिला ने बच्चे को 25 हजार में बेचा था। अब सोचने वाली बात है कि इतनी बड़ी घटना के बाद भी सिविल अस्पताल के इस वार्ड में सी.सी.टी.वी. कैमरे क्यों नहीं लगवाए गए? क्या अस्पताल के अधिकारी इस प्रतीक्षा में बैठे हैं कि दोबारा से नवजात बच्चे कोई उठाकर बेचे।
बधाई आखिर कब बंद होगी
जच्चा-बच्चा अस्पताल में अक्सर शिकायतें सुनने को मिलती हैं कि डिलीवरी के बाद महिलाओं के परिजनों से स्टाफ धक्के से बधाई मांगता है। इस मामले में कइयों ने तो मैडीकल सुपरिंटैंडैंट के दफ्तर में लिखित शिकायतें भी की हैं। हाल में ही इस वार्ड में हंगामा भी देखने को मिला था, जब आप्रेशन थिएटर में एक समय में 2 महिलाओं की डिलीवरी हुई और एक महिला की कोख से बेटा तो दूसरी के बेटी पैदा हुई। इस दौरान ड्यूटी पर मौजूद महिला स्टाफ ने गलती से बच्चे इधर-उधर कर बधाई ले ली।
बाद में पता चला कि जिसके घर बेटी पैदा हुई उसे बेटा थमा दिया गया तो हंगामा होने के साथ मौके पर पुलिस भी पहुंची। इसके बाद दोबारा बच्चों की अदला-बदली कर सब ठीक हुआ। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मैडीकल सुपरिंटैंडैंट ने इस वार्ड में पोस्टर लगवाए कि बधाई मांगने वालों की शिकायत इन नंबरों पर करें, लेकिन उक्त पोस्टर का वह हिस्सा ही फाड़ दिया गया, जहां मोबाइल नंबर लिखा था। इस बात से पता चलता है कि भ्रष्टाचार अस्पताल में इस तरह फैला है कि भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों से भी नहीं डरते।
गंदगी व गंदे शौचालयों से हर कोई परेशान
वार्ड में मौजूद लोगों ने पंजाब केसरी की टीम को कहा कि शौचालयों का बुरा हाल होने के साथ इतनी बदबू आती है कि कई बार गर्भवती महिलाएं शौचालयों का प्रयोग करने दौरान उल्टियां करती देखी जा सकती हैं। शौचालयों में दरवाजे टूटे पड़े हैं और पानी की व्यवस्था भी ठीक तरह से नहीं है। सरकार द्वारा लाखों-करोड़ों खर्च कर लोगों को दी जाने वाली सुविधाएं आखिर कहां हैं। इसके साथ गर्भवती महिलाओं को दिए गए बैड के गद्दे फटे होने के साथ उन्हें चादरें अस्पताल में दी नहीं जा रही। मरीज घर से चादरें व गर्म कम्बल लाने को मजबूर हैं।
कब मिलेगी आवारा कुत्तों से राहत
महानगर में आवारा कुत्तों से तो लोगों को राहत मिलने वाली नहीं, कुत्ते लोगों को काटते हैं तो सिविल अस्पताल में दर्जनों के हिसाब से लोग टीका लगवाने के लिए आते हैं, लेकिन सिविल अस्पताल के जच्चा-बच्चा अस्पताल के बाहर दर्जनों के हिसाब से आवारा कुत्ते घूमते देखे जा सकते हैं, वहीं महिलाओं के शौचालयों में पुरुष भी घूमते देखे जा रहे थे, कुछ महिलाएं तो शौचालयों में ही बर्तन धोकर गंदगी फैलाने का काम करती नजर आ रही थीं।
कैमरों के बारे में अधिकारियों को पत्र लिखा हुआ है
इस मामले में सिविल अस्पताल के मैडीकल सुपरिंटैंडैंट डा. के.एस. बावा का कहना है कि उनके नोटिस में पहले से है कि अस्पताल में सी.सी.टी.वी. कैमरे लगे होने चाहिएं। कई वार्ड में तो कैमरे चल रहे हैं, जच्चा-बच्चा अस्पताल में कैमरे लगाने के लिए वह चंडीगढ़ अपने उच्चाधिकारियों को पत्र लिख चुके हैं। इसके साथ अस्पताल में बधाई मांगने वालों के खिलाफ शिकायत मिलने पर एक्शन होगा और साथ ही अस्पताल में सफाई ठीक होगी।