Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Jan, 2018 10:31 AM
‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ के नारे के अधीन सरकार द्वारा इस समय पूरे भारत में बेटियां बचाने व पढ़ाने की विशेष मुहिम चलाई गई है। बेटियों को बचाने व पढ़ाने के लिए सरकार ने कई करोड़ रुपए खर्च भी किए। इसके अच्छे नतीजे पूरे देश के साथ-साथ पंजाब में भी देखने...
शाहकोट(अरुण): ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ के नारे के अधीन सरकार द्वारा इस समय पूरे भारत में बेटियां बचाने व पढ़ाने की विशेष मुहिम चलाई गई है। बेटियों को बचाने व पढ़ाने के लिए सरकार ने कई करोड़ रुपए खर्च भी किए। इसके अच्छे नतीजे पूरे देश के साथ-साथ पंजाब में भी देखने को मिले। वर्ष 2001 में पंजाब भर में एक हजार लड़कों के पीछे 876 लड़कियां थीं। नैशनल फैमिली हैल्थ सर्वे 2016 के अनुसार राज्य में लड़कियों की दर 882 तक पहुंच गई। इसी तरह अगर बात की जाए राज्य में लड़कियों की साक्षरता दर की तो पंजाब में यह दर 68.7 फीसदी है। लोग लगातार बेटियों और बेटों के बीच के अंतर को मिटाते हुए लड़कियों को बराबर का दर्जा देने के लिए आगे बढ़ रहे हैं। उल्लेखनीय है कि राज्य के कई जिलों में लड़कियों की गिनती में लगातार वृद्धि हो रही है। सरकारी योजनाओं के बीच समाज में आई जागरूकता और सेहत विभाग की कोशिशों के फलस्वरूप ही राज्य में ङ्क्षलगानुपात में सुधार देखने को मिला है। इस सबके विपरीत पंजाब में औरतों के प्रति होने वाली ङ्क्षहसक घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। राज्य में बेटियोंं व महिलाओं की सुरक्षा के प्रति सवाल लगातार गहराता जा रहा है।
महिलाओं के प्रति क्राइम ग्राफ में वृद्धि है चिंता का विषय
महिलाओं की सुरक्षा के मामले में राज्य लगातार पिछड़ रहा है। नैशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एन.सी.आर.बी.) के द्वारा हाल ही में जारी किए गए वर्ष 2016 के आंकड़ों के अनुसार महिलाओं पर जुल्म के मामले में देश के अन्य राज्यों में से पंजाब 22वें स्थान पर है। राज्य में महिलाओं के प्रती अपराध के 5105 मामले दर्ज किए गए। राज्य में दुशकर्म के 838 मामले सामने आए हैं जबकि 95 मामले जबरदस्ती करने की कोशिश के भी हैं। दहेज के कारण हुई मौतों (304 बी आई.पी.सी.) संबंधी कुल 80 मामले दर्ज हुए हैं। इन सभी आंकड़ों के बावजूद राज्य में ऐसे मामलों की गिनती कहीं अधिक हो सकती है क्योंकि कई मामले पुलिस या अदालत के दरवाजे तक पहुंचने से पहले ही दम तोड़ जाते हैं या फिर कई जगह पर महिलाएं बदनामी या किसी और डर के कारण शोषण का शिकार होती रहती हैं।