Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Jan, 2018 11:35 AM
एक ओर सारा विश्व वातावरण बचाने के लिए ङ्क्षचतित है वहीं पंजाब के लोग पंडितों के उपायों के चक्कर में अपने बचे-खुचे दरियाओं को बर्बाद कर रहे हैं। इसका सबूत सतलुज और ब्यास दरियाओं को देखकर मिलता है। यहां रोजाना सैंकड़ों लोग अपने ग्रहों को शांत करने के...
जालंधर (बुलंद): एक ओर सारा विश्व वातावरण बचाने के लिए ङ्क्षचतित है वहीं पंजाब के लोग पंडितों के उपायों के चक्कर में अपने बचे-खुचे दरियाओं को बर्बाद कर रहे हैं। इसका सबूत सतलुज और ब्यास दरियाओं को देखकर मिलता है। यहां रोजाना सैंकड़ों लोग अपने ग्रहों को शांत करने के चक्कर में नारियल, दालें, मिट्टी के बर्तन व खिलौने, तांबा और अन्य धातुओं के बने सिक्के व अन्य सामान दरिया में बहाने के लिए आते हैं, पर इस सारे सामान के साथ लोग पॉलीथिन के लिफाफे भी दरियाओं में बहा देते हैं।
एक सर्वे के अनुसार हर माह सतलुज व ब्यास दरियाओं के ब्यास व लुधियाना किनारों से ही क्विंटलों के हिसाब से पॉलीथिन के लिफाफे दरियाओं में बहाए जाते हैं। मामले बारे कुछ पंडितों से बात की तो उनका कहना था कि इसमें कोई शक नहीं कि ’योतिष के कई उपाय पानी से संबंधित हैं और इसके लिए कोई न कोई सामग्री बहते पानी में डालने को कहा जाता है पर इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि दरियाओं को गंदा किया जाए। नारियल या मिट्टी के सामान से दरिया गंदे नहीं होते।
तांबा तो वैसे ही पानी को स्वच्छ करता है, पर पॉलीथिन के लिफाफे पानी में डालना गलत है। उन्होंने लोगों से अपील की कि पानी जीव के लिए सबसे जरूरी पदार्थ है और पानी को गंदा होने से बचाने के लिए सबको पहल करनी चाहिए।सारे मामले बारे प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के चीफ इंजी. गुरिंद्र सिंह मजीठिया से बात की तो उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण की तरह ही पानी के प्रदूषण को रोकना भी अति आवश्यक है। उन्होंने कहा कि इस मामले में जल्द ही चेयरमैन से बात करके सख्त कार्रवाई के लिए कोई निर्देश लागू किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि दरियाओं में पॉलीथिन डालने वालों के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया जाएगा।