Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Jan, 2018 09:22 AM
सरकार के लाख दावों के बाद भी सिविल अस्पताल के हालात सुधरने के नाम नहीं ले रहे हैं, जिस कारण नवजात बच्चों का जीवन भी खतरे में पड़ रहा है। जानकारी के मुताबिक सिविल अस्पताल के जच्चा-बच्चा वार्ड में नवजात बच्चे जिनका भार सामान्य से कम होता है, को...
जालंधर(शौरी): सरकार के लाख दावों के बाद भी सिविल अस्पताल के हालात सुधरने के नाम नहीं ले रहे हैं, जिस कारण नवजात बच्चों का जीवन भी खतरे में पड़ रहा है। जानकारी के मुताबिक सिविल अस्पताल के जच्चा-बच्चा वार्ड में नवजात बच्चे जिनका भार सामान्य से कम होता है, को वैंटीलेटर में रखकर उपचार किया जाता है लेकिन सिविल अस्पताल के बच्चों वाले वार्ड में ऐसे बच्चों के लिए वैंटीलेटर ही नहीं हैं।सूत्रों से पता चला है कि ऐसे नवजात बच्चों को पैदा होने के बाद कुछ स्टाफ सदस्य अपने खासमखास प्राइवेट अस्पतालों में भेज देते हैं, जहां बच्चों के उपचार के बाद भारी रकम परिजनों को भरनी पड़ती है।
सांसद फंड से भी आ चुके हैं लाखों
सांसद नरेश कुमार गुजराल ने कुछ समय पहले लाखों रुपए का फंड सिविल अस्पताल को जारी किया था ताकि तुरंत वैंटीलेटर खरीदे जा सकें लेकिन अभी तक अस्पताल में वैंटीलेटर न आने से नवजात बच्चों के परिजन कर्ज लेकर अपने बच्चों का उपचार करवाने के लिए विवश हैं।
कंपनी वालों ने वैंटीलेटर नहीं भेजे : एम.एस. डा. बावा
इस मामले में सिविल अस्पताल के मैडीकल सुपरिंटैंडैंट (एम.एस.) डा. के.एस. बावा का कहना है कि उन्होंने टैंडर निकाल कर एक कंपनी को ठेका दे दिया है, लेकिन कंपनी वालों ने अभी तक वैंटीलेटर नहीं भेजे। नवजात ब"ाों की सेहत के प्रति सेहत विभाग गंभीर है, वह जल्द उक्त कंपनी वालों से बात करके समस्या का समाधान निकालेंगे।