Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Jan, 2018 05:39 PM
पंजाब में जमीन रखने वाले लोगों को अपनी प्रापर्टी की जानकारी जल्द ही ऑन लाइन मिल जाया करेगी। इससे उन्हें बार-बार सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। सरकारी हलकों से पता चला है कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने इस संबंध में हरी झंडी दे...
जालन्धर (धवन): पंजाब में जमीन रखने वाले लोगों को अपनी प्रापर्टी की जानकारी जल्द ही ऑन लाइन मिल जाया करेगी। इससे उन्हें बार-बार सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। सरकारी हलकों से पता चला है कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने इस संबंध में हरी झंडी दे दी है। राज्य सरकार की योजना है कि प्रापर्टी से संबंधित सभी जानकारी को ऑनलाइन उपलब्ध करवाने हेतु राजस्व रिकार्ड को जी.आई.सी. (भौगोलिक सूचना प्रणाली) से जोड़ दिया जाए। इससे प्रापर्टियों को लेकर होने वाले विवादों से लोगों को राहत मिल जाएगी। पंजाब शहरी विकास विभाग को उम्मीद है कि इससे राजस्व रिकार्ड में सुधार लाने में मदद मिलेगी।
सरकारी हलकों ने बताया कि कोलम्बस कंट्री (नार्थ कैरोलाइन) में इस प्रणाली को सफलतापूर्वक ढंग से लागू किया गया है। वहां पर टैक्सों से संबंधित सारी जानकारी ऑन लाइन उपलब्ध है तथा संबंधित आंकड़ों को डाऊनलोड भी लोग कर सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसा करने के लिए राज्य सरकार को कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। इसमें केवल एक विभाग संलिप्त नहीं है बल्कि अनेकों विभाग संलिप्त हैं। स्थानीय निकाय, ग्रामीण विकास के अलावा शहरी विकास विभाग भी इन मुद्दों से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है।जी.आई.सी. मैपिंग का प्रयोग उन मामलों में किया जा सकता है जिनमें भूमि उपयोग को बदलने की बात कही गई हो।
एक बार ऑनलाइन प्रणाली को लागू करने के लिए सरकार तैयारी कर लेती है तो उस स्थिति में राष्ट्रीय भौगोलिक विभाग द्वारा भूमि से संबंधित रजिस्ट्रियों व अन्य लैंड रिकार्ड को ऑनलाइन उपलब्ध करवाने के लिए तैयारी की जाएगी। इसी तरह जमीन की डिमारकेशन करने के लिए भी वैज्ञानिक प्रणाली अपनानी पड़ेगी।सरकारी अधिकारियों का मानना है कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने पिछले दिनों इस संबंध में बैठक भी की थी जिसमें अधिकारियों को राज्य स्तरीय डाटा तैयार करने के निर्देश दिए गए थे। ई-सी.एल.यू. पायलट प्रोजैक्ट को पहले सरकार ने लागू कर दिया है तथा उसकी सफलता को देखने के बाद इसे राज्य के अन्य जिलों में लागू किया जाएगा। अधिकारियों ने कहा कि इस समय महत्वपूर्ण भूमि रिकार्ड राजस्व विभाग के पास है। ऑन लाइन राजस्व रिकार्ड उपलब्ध करवाने के लिए वैज्ञानिक तौर पर तैयार किए गए रिकार्ड रूम बनाने होंगे।