Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Mar, 2018 10:49 AM
सी.बी.एस.ई. स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली एन.सी.ई.आर.टी. किताबों की कमी के नाम पर चल रहे कमीशन और कालाबाजारी के खेल पर केंद्र सरकार सख्त कदम उठाने जा रहा है। कमीशन व कालाबाजारी के खेल की लगातार शिकायतें केंद्र सरकार के पास पहुंच रही थीं। कमीशन व...
जालंधर(रविंदर): सी.बी.एस.ई. स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली एन.सी.ई.आर.टी. किताबों की कमी के नाम पर चल रहे कमीशन और कालाबाजारी के खेल पर केंद्र सरकार सख्त कदम उठाने जा रहा है। कमीशन व कालाबाजारी के खेल की लगातार शिकायतें केंद्र सरकार के पास पहुंच रही थीं। कमीशन व कालाबाजारी के खेल पर नकेल कसते हुए सभी सी.बी.एस.ई. स्कूलों में टक शॉप को अनिवार्य किया जा रहा है।
स्कूलों में स्थापित इन छोटी दुकानों में सभी राज्यों के स्कूल बोर्ड छात्र संख्या के आधार पर तैयार मांगपत्र पर एन.सी.ई.आर.टी. किताब व अन्य स्टेशनरी उपलब्ध करवाएंगे। शिक्षा विशेषज्ञों का भी मानना है कि केंद्र सरकार के इस फैसले व महत्वपूर्ण कदम से काफी हद तक किताबों की कमी पूरी होगी और साथ में दूसरे प्रकाशन की किताबों पर मिल रहे कमीशन के खेल पर भी लगाम लगेगी। लंबे समय से शिक्षा की कालाबाजारी को लेकर आम अभिभावक बेहद परेशान थे। प्राइवेट स्कूलों की लगातार हर साल बेलगाम बढ़ती फीसों के अलावा महंगी स्टेशनरी व किताबें और स्कूलों से ही जबरन वर्दी तक लेने की बातें अभिभावकों को परेशान करती थीं। प्राइवेट स्कूलों में महंगी स्टेशनरी, किताबें व वर्दी बेची जाती थीं और बाहर से वर्दी व किताबें खरीदने वालों के साथ स्कूल में अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता था। एडमिशन के समय हर साल स्कूलों के खिलाफ अभिभावकों का गुस्सा फूटता है और लगातार बढ़ रही शिक्षा की कालाबाजारी पर लगाम लगाने की गुहार लगाई जाती थी। हालांकि पिछले साल रा’य सरकारों ने प्राइवेट स्कूलों को मनमानी फीसें लेने से रोकने के प्रति कुछ कदम उठाए थे और फीसों की हर साल की वृद्धि का प्रतिशत तय किया था। मगर किताबों की कमीशन व कालाबाजारी के बारे कोई फैसला नहीं लिया जा सका था।
दूसरे प्रकाशन पर स्कूल व बाजार में एन.सी.ई.आर.टी. की किताबें न मिलने से अभिभावकों को काफी परेशानी होती थी। बच्चों की पढ़ाई भी इससे प्रभावित होती थी। ऐसे में बच्चों को मजबूरन दूसरे प्रकाशन की किताबों को खरीदना पड़ता था। दुकानदार मनमुताबिक कमीशन मिलने के चक्कर में भी दूसरे प्रकाशन की किताबें बच्चों को जबरन थोपते थे। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि सत्र 2018-19 से स्कूलों में टक शॉप अनिवार्य रूप से लागू किया जाए। इसके लिए सभी स्कूलों को पत्र लिखकर टक शॉप खोलने के निर्देश जारी किए हैं। स्कूलों को एन.सी.ई.आर.टी. की वैबसाइट पर पंजीयन कर विद्यार्थियों के अनुरूप किताबों की संख्या देनी होगी। किताबों के अलावा पैन-पैंसिल, रजिस्टर, कापी, रबर, शॉर्पनर जैसी सामग्री भी इन दुकानों पर होगी और स्कूलों में इन्हें मूल दर पर ही विद्यार्थियों को उपलब्ध करवाया जाएगा। उचित मूल्य से ज्यादा दाम पर किताबें बेचने पर स्कूल पर कार्रवाई होगी। सी.बी.एस.ई. के निर्देश के बाद स्कूल में एन.सी.ई.आर.टी. के अलावा अन्य प्रकाशकों की किताबें उपलब्ध कराने पर रोक रहेगी। वहीं अगर किसी विद्यार्थी पर दूसरे प्रकाशक की किताब जबरन थोपी गई तो सी.बी.एस.ई. स्कूल की मान्यता रद्द कर सकता है। इसके लिए परिजन सी.बी.एस.ई., एन.सी.ई.आर.टी. और मानव संसाधन विकास मंत्रालय को शिकायत भेज सकेंगे। स्कूल प्रबंधन बाहर से भी अभिभावक को किसी एक दुकान से किताबें खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकेंगे। अभिभावक चाहें तो स्कूल के अलावा बाजार से भी किताब खरीद सकते हैं।