Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Jan, 2018 11:21 AM
आम आदमी पार्टी के कत्र्ताधत्र्ता अरविंद केजरीवाल ने राज्यसभा में पार्टी की तीनों सीटों पर मनचाहे नेताओं को बिठाकर जहां कुमार विश्वास जैसे अपने नेताओं को नाराज किया है वहीं एक भी पंजाबी या सिख नेता को राज्यसभा में न भेजकर सीधे तौर पर पंजाब के साथ...
जालंधर(बुलंद): आम आदमी पार्टी के कत्र्ताधत्र्ता अरविंद केजरीवाल ने राज्यसभा में पार्टी की तीनों सीटों पर मनचाहे नेताओं को बिठाकर जहां कुमार विश्वास जैसे अपने नेताओं को नाराज किया है वहीं एक भी पंजाबी या सिख नेता को राज्यसभा में न भेजकर सीधे तौर पर पंजाब के साथ पंगा ले लिया है। मामले बारे पार्टी के अंदरूनी सूत्रों की मानें तो केजरीवाल के इस कदम से पार्टी के अंदर कार्यरत पंजाबी भाईचारे के वर्करों और नेताओं में रोष फैला हुआ है।
जानकारों की मानें तो पहले इस बात को लेकर पार्टी में चर्चा चल रही थी कि पंजाब के वोटरों ने पार्टी को पूरे देश में सबसे ज्यादा सम्मान दिया। 4 सांसद और 20 विधायक दिए इसलिए पंजाब के प्रतिनिधत्व के लिए पार्टी शायद जरनैल सिंह को राज्यसभा भेज सकती है क्योंकि जहां पार्टी ने जरनैल सिंह को मुख्यमंत्री के खिलाफ मैदान में उतारा था, वहीं बतौर पत्रकार रहते हुए जरनैल सिंह के पास राज्यसभा की कवरेज करने का अच्छा-खासा तजुर्बा भी था परंतु आखिर हुआ वही जो केजरीवाल साहिब को मंजूर था। पार्टी जानकारों की मानें तो केजरीवाल ने अपने भाईचारे के लोगों को प्रतिनिधित्व दिया जिससे एक तो उनके सैकुलरिज्म पर सवाल खड़े हो गए हैं, वहीं पंजाब में सिखों को वरगलाकर और धर्म के नाम पर उकसाकर वोटें बटोरने वाली ‘आप’ की हाईकमान ने जिस प्रकार राज्यसभा में पंजाबी और सिख चेहरे को नजरअंदाज किया है उससे पार्टी हाईकमान ने अपने पंजाबी वोट बैंक को भारी झटका दिया है जिसके चलते पार्टी की पंजाब इकाई के कई नेता अंदरखाते नाराज बैठे हैं। नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर पंजाब के कुछ नेताओं ने कहा है कि ‘आप’ ने पंजाबियों और खास कर सिखों का मिसयूज किया है।
दिल्ली में भी सिख वोटरों ने केजरीवाल का भारी समर्थन किया था पर नतीजा सबके सामने है। पार्टी में सिखों को एक प्यादे के तौर पर इस्तेमाल किया गया है। यही कारण है कि पंजाब और खासकर एन.आर.आइज में लगातार ‘आप’ का आधार गिरा है। पार्टी जानकारों की मानें तो अगर केजरीवाल जरनैल सिंह या किसी अन्य पंजाबी सिख चेहरे को आगे लाते और राज्यसभा भेजते तो इससे न सिर्फ पंजाब में पार्टी का आधार मजबूत होता बल्कि एन.आर.आइज में भी पार्टी का अक्स साफ होता। इससे पार्टी की फंडिंग में भी बढ़ौतरी होती।