Edited By Updated: 25 Oct, 2016 07:16 PM
दिवाली को उमंग व उल्लास का पर्व माना जाता है तथा हर आयु वर्ग के लोग जमकर पटाखे फोड़ते हैं परन्तु...
पठानकोट(शारदा): दिवाली को उमंग व उल्लास का पर्व माना जाता है तथा हर आयु वर्ग के लोग जमकर पटाखे फोड़ते हैं परन्तु इस दिन होने वाली बेशुमार पटाखेबाजी से जहां पर्यावरण को खासी क्षति पहुंचती है वहीं, विभिन्न प्रकार के रोगियों के लिए पटाखों के धमाकों की आवाज व इन्हें फोड़े जाने से होने वाला प्रदूषण खासा नुक्सान पहुंचाता है। इस संबंध में ‘पंजाब केसरी’ ने विशेषज्ञ चिकित्सकों से रोगियों के बचाव हेतु राय पूछी। ओर उन्होंने लोगों को सेहत के बचाव के लिए ऐसे सुरक्षित दिवाली मनाएं जाने संबंधी अवगत करवाया।
क्या कहते हैं गण्यमान्य
आतिशबाजी से होने वाले प्रदूषण के बारे में जानकारी देते हुए रणबीर सिंह ने कहा कि सरकार को इससे होने वाले प्रदूषण को भांपते हुए ग्रीन पटाखों के उत्पादन के लिए कम्पनियों को प्रोत्साहित करना चाहिए। उनका कहना था कि दीपावली पर पटाखों से होने वाले प्रदूषण से हवा इतनी प्रदूषित हो जाती है कि श्वास लेना तक कठिन हो जाता है। निश्चित ही इस प्रदूषण का तात्कालिक प्रभाव नकारात्मक होता है लेकिन कुछ समय बाद बीमार व्यक्तियों के लिए यह मौत का ग्रास बन कर आता है।
क्या कहते हैं मैडीकल स्पैशलिस्ट
सिविल अस्पताल में बतौर मैडीकल स्पैशलिस्ट कार्यरत डा. एम.एल. अत्तरी ने कहा कि दीपावली पर होने वाली भारी पटाखेबाजी व गूंजने वाले धमाकों की गूंज से हृदय रोगियों व ब्लड पै्रशर से पीड़ित रोगियों को विशेष बचाव करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पटाखों के धमाकों की गूंज से ब्लड प्रैशर पीड़ितों के रक्त का दबाव बढ़ जाता है वहीं हृदय रोगियों पर होने वाले पटाखों के धमाकों का दबाव हृदय की धमनियों पर पड़ता है इसलिए ऐहतियात के तौर पर ऐसे रोगियों को इस दिन ऐसे स्थान पर अधिक समय रहना चाहिए जहां पटाखों के धमाकों की आवाज बेहद कम मात्रा में पहुंचती हो। इसके साथ ही हृदय व ब्लड प्रैशर से पीड़ितों को कानों में रुई डालकर रखनी चाहिए।
बच्चों व कानों के लिए भी है गंभीर खतरा
पटाखों से होने वाली हानि के बारे में जानकारी देते डा सुनील चांद ने बताया कि पटाखे जहां पर्यावरण को नुक्सान पहुंचाने वाले साबित होते हैं साथ ही पटाखों की तेज आवाज से कान के लिए भी खतरा उत्पन्न हो जाता है। उन्होंने कहा कि दीपावली पर पटाखों के धुएं एवं उनसे निकलने वाले रसायनों से छोटे बच्चों के लिए दिक्कतें आ सकती हैं, पटाखों की तेज आवाज एवं 123 डेसीबल के शोर से बच्चों को कानों से सुनना भी बंद हो सकता है।
दमा रोगियों को मुंह व सिर ढांप कर रखना चाहिए
सिविल अस्पताल के एस.एम.ओ. डा.भूपिन्द्र सिंह ने कहा कि दीपावली पर पटाखे काफी मात्रा में फोड़े जाते हैं इस दिन अस्थमा (दमा) के रोगियों को सबसे अधिक बचाव करना चाहिए क्योंकि इस दिन सामान्य दिनों की अपेक्षा पर्यावरण में प्रदूषण की मात्रा कई गुणा बढ़ जाती है। ऐसे में बाहर निकलने पर दमा रोगियों की सांस की तकलीफ अधिक बढ़ सकती है अथवा दमे का अटैक आने की संभावना भी बढ़ जाती है। दमा के वृद्ध अवस्था के रोगियों को इस दिन घर से बाहर निकलने से गुरेज करना चाहिए तथा प्रदूषण से बचने के लिए मुंह व सिर ढांप कर रखना चाहिए।
पटाखों के प्रदूषण से बचने के लिए मुंह पर मास्क जरूर लगाएं
पटाखों से होने वाले प्रदूषण से जहां एलोपैथी डाक्टर बीमार व्यक्तियों के स्वास्थ्य हेतु पटाखों को गंभीर खतरा मानते हैं वही होम्योपैथी के क्षेत्र में पिछले कई वर्षों से कार्य कर रहे मैडीकल ऑफिसर डा. ओ.पी. विग ने भी इसे मानव शरीर के लिए गंभीर खतरा बताते हए कहा कि पटाखों के प्रदूषण से ऑक्सीजन कुछ दिनों के लिए वायुमंडल में खत्म सी हो जाती है जिससे व्यक्ति के मस्तिष्क व श्वास प्रक्रिया में दिक्कतें आनी शुरू हो जाती हैं जिसके कारण व्यक्ति बीमारी की चपेट में आ जाता है। उन्होंने लोगों को परामर्श देते हुए कहा कि दीवाली पर्व से लेकर उसके बाद 5 दिन बाद तक मुंह पर मास्क जरूर लगाकर रखें। जो सांस की बीमारी से पीड़ित हैं, वे रात को सोने से पूर्व स्टीम लें।