Edited By Updated: 22 Jan, 2016 04:31 PM
भारत की नारी अबला नहीं सबला है, यह बात सुनने को बहुत ही अच्छी लगती है परंतु यह कितनी सबला है इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है
बरनाला: भारत की नारी अबला नहीं सबला है, यह बात सुनने को बहुत ही अच्छी लगती है परंतु यह कितनी सबला है इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि भारत में विवाहिता को मजबूर करते हुए उसकी मर्जी के बिना इसके परिवारिक मैंबरों द्वारा कोख में पल रही अजन्मी बच्ची को बचाने में वह असमर्थ है।
देश के अनपढ़ व पढ़े लिखे लोग रूढ़िवादी ख्यालों के होने के कारण भ्रूण हत्या में काफी वृद्धि हुई है। रजिस्ट्रार जनरल एंड सैंसज कमिश्रर इंडिया अनुसार भारत में 2001 में नवजन्मी लड़कियों की संख्या एक हजार लड़कों के पीछे 934 लड़कियां थीं परंतु 10 वर्ष बीत जाने के बाद 2011 में इसमें मामूली वृद्धि हुई जिससे इसकी गिणती 934 से बढ़कर 940 हो गई है । भारत के तीन राज् य इसमें सबसे पिछड़े हुए है जिनमें गुजरात,बिहार व जम्मू एंड कश्मीर शामिल हैं। प्रधानमंत्री मोदी का नारा है कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर गुजरात में उनके मुख्यमंत्री कार्यकाल में भी गुजरात लड़कियों के अनुपात के मामले में पिछड़ा हुआ था।
भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में 2001 से 2011 तक लड़कयों की गिनती में 1 हजार लड़कियों के पीछे सिर्फ 945 से 947 हुई है जो एक शर्मनाक बात है। शहरी इलाके का जिक्र करें तो यहां कुछ सुधार देखने को मिला है यहां पिछले 10 वर्षों दौरान 900 से बढ़कर 926 हो गई है । यदि हम भारत की पिछली सदी की बात करें तो 1091 में 972,1971 में 930,1981 में 934,1991 में 927,2001 में 934 व 2011 में 940 नवजन्मी लड़कियों के आंकड़े भारत सरकार के रजिस्टर में दर्ज है।
पंजाब सरकार को इस मुद्दे पर और सख्त होते हुए नई पीढ़ी को इसके लिए अधिक से अधिक जागरूक करने की जरूरत है यदि हम बात जम्मू कश्मीर की करें तो 2001 के मुकाबले 2011 में 82 लड़कियों की गिरावट का आंकड़ा नोट किया गया है । नोर्थ इंडिया में 0-6 वर्ष के बच्चों की गिणती हरियाणा व दिल्ली में सबसे कम है। हरियाणा में एक हजार के पीछे 830 व दिल्ली में 1 हजार के पीछे 860 का आकंड़ा नोट किया है गुजरात में यह आंकड़ा 1 हजार के पीछे 886 नोट किया गया है ।
भारत द्वारा करवाए गए एक सर्वेक्षण में भारत के टाप 10 जिलों में सैक्स रेशो बढ़ी है उनमें पंजाब का कोई भी जिला शामिल नहीं होता। हिमाचल प्रदेश के एक जिले ने यह रेशो बढ़ाकर प्रशंसनीय काम किया है। हरियाणा के झज्जर जिले में सबसे कम आंकड़े नोट किए गए हैं जिनकी गिणती 774 है ।
इस संबंधी जब डा. सूर्यकांत शास्त्री पी एच डी संस्कृति कहा कि शास्त्रों अनुसार अजन्मे बच्चे को मारना घिनौना पाप है। उन्होंने कहा कि कन्या दान से ऊपर कोई दान नहीं है यदि इंसान इस जन्म में कन्या दान नहीं करता तो अगले जन्म में वह संतान सुख से वंचित रह जाता है।
क्या कहता है कानून- भारत के इंडियन पैनल कोड आई पी सी की धारा 313 के अनुसार बच्चे को उसकी माता की कोख में मंजूरी के बिना मारना अपराध है ।
इस संबंधी जब बरनाला के वाई एस स्कूल के पी आर ओ पुष्पा मित्तल ने कहा कि यदि किसी विवाहिता को उनके ससुराल परिवार के मैंबरों द्वारा दहेज के लिए या फिर भ्रूण हत्या करवाने के लिए मजबूर किया जाता है तो वह किसी डर भय से पुलिस या फिर किसी समाज सेवी संस्था से संपर्क करके इसको रोक सकते हैं क्योंकि हिन्दुस्तान की नारी अबला नहीं सबला है।