स्कूलों में छुट्टियां कम करने का योगी आदित्यनाथ का बड़ा फैसला

Edited By Updated: 17 Apr, 2017 11:33 PM

adityanath big decision to reduce vacations in schools

सत्ता में आने के कुछ ही दिनों के भीतर उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ.....

सत्ता में आने के कुछ ही दिनों के भीतर उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने चंद जनहितकारी फैसलों की दिशा में कदम बढ़ाया है। इनमें गांवों में 18 घंटे प्रतिदिन बिजली देने, पुराने बिजली बिलों पर सरचार्ज माफ करने, आलू खरीद केंद्र बनाने, गन्ना किसानों को 14 दिनों के भीतर भुगतान और पुराने बकाए चार महीने के भीतर निपटाने आदि के आदेश शामिल हैं। 


इसी शृंखला में बाबा साहब भीमराव अम्बेदकर की 126वीं जयंती के अवसर पर लखनऊ में आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में योगी आदित्यनाथ ने एक बड़ा ऐलान करते हुए कहा ‘‘उत्तर प्रदेश में महापुरुषों के नाम पर बहुत अधिक (42)  छुट्टिïयां होती हैं। इनके अलावा विभिन्न त्यौहारों, वर्षा-गर्मी-सर्दी आदि के कारण भी छुट्टिïयां होती रहती हैं। इस कारण प्रदेश में 220 दिनों के सत्र में कक्षाएं 120 दिनों से अधिक नहीं चल पातीं। यदि यही क्रम जारी रहा तो स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने के लिए कोई दिन बचेगा ही नहीं, इसलिए यह प्रथा बंद होनी चाहिए।’’ 


‘‘महापुरुषों की जयंती और पुण्यतिथि पर अब प्रदेश के स्कूलों में छुट्टïी नहीं होगी बल्कि इस दिन स्कूलों में उनके विषय में विशेष सत्र आयोजित किए जाएंगे ताकि बच्चों को उनके गौरवपूर्ण व्यक्तित्व, संघर्ष तथा देश और समाज के प्रति उनके योगदान की जानकारी दी जा सके।’’


‘‘सरकार के इस पग पर कुछ लोग आपत्ति कर सकते हैं परंतु हमारे बच्चे ऐसे महान अवसरों और महान व्यक्तित्वों से अनजान हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए। लोगों को मालूम होना चाहिए कि हमारे महापुरुषों ने जीवन में किन समस्याओं का सामना किया और किन हालात में उच्च शिक्षा प्राप्त की। इसलिए छुट्टिïयां बंद करो और स्कूल चलाओ।’’ महापुरुषों के नाम पर प्रतिवर्ष पंजाब में 14, मध्य प्रदेश में 17, केरल में 18, बिहार में 21, राजस्थान में 28 और उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 42 छुट्टिïयां होती हैं जबकि इनके अलावा अन्य छुट्टिïयों की भरमार है।


इस कारण बच्चों को पढ़ाने के लिए तो अध्यापकों के पास समय बचता ही नहीं क्योंकि जिन बचे-खुचे 120 दिनों में कक्षाएं लगने की उम्मीद होती है उनमें से भी अधिकांश अध्यापकों की छुट्टिïयों आदि की भेंट चढ़ जाते हैं। अत: महापुरुषों की जयंती और पुण्यतिथियों पर छुट्टिïयों को सीमित करके स्कूलों में संबंधित महापुरुषों के जीवन और शिक्षाओं की जानकारी देने के लिए विशेष सत्र आयोजित करना निश्चय ही सराहनीय पग है। 


सरकारी स्कूलों और कार्यालयों में छुट्टिïयों की भरमार से तंग आए बच्चों के माता-पिता के अलावा शिक्षाविदों व अनेक जानी-मानी हस्तियों ने भी आदित्यनाथ के निर्णय का स्वागत किया है। राजस्थान के राज्यपाल श्री कल्याण सिंह ने कहा है कि शिक्षा संस्थानों में ही नहीं बल्कि अन्य सरकारी संस्थानों में भी महापुरुषों की जयंती और पुण्यतिथि पर सार्वजनिक अवकाश नहीं होना चाहिए। 


उस दिन स्कूलों में कम से कम चार घंटे का विशेष सत्र आयोजित करके महापुरुषों के बारे में जानकारी दी जाए ताकि लोग छुट्टïी में अपना दिन बर्बाद करने की बजाय उनके जीवन से प्रेरणा ले सकें। सांसद-अभिनेता परेश रावल ने भी इस पग  का समर्थन करते हुए दूसरे राज्यों की सरकारों को इस पहल का अनुसरण करने की सलाह दी है। शिक्षाविदों के अनुसार, ‘‘स्कूलों में एक वर्ष में कम से कम 220 दिनों तक तो पढ़ाई होनी ही चाहिए। ऐसा करके ही बच्चों का उच्च शिक्षा स्तर कायम रखा जा सकता है और सरकारी स्कूलों के अध्यापकों को दिए जाने वाले भारी-भरकम वेतन का औचित्य ठहराया जा सकता है।’’ 


स्कूलों में छुट्टिïयों की भरमार की वजह से विभिन्न कक्षाओं के लिए निर्धारित पाठ्यक्रम पूरा नहीं हो पाता जिससे शिक्षा के स्तर में लगातार गिरावट आने के साथ-साथ छात्रों में वर्क कल्चर भी बिगड़ रहा है और पास होने के ‘शार्ट कट’ के रूप में परीक्षाओं में नकलबाजी के रुझान में भारी वृद्धि हो रही है। आज जबकि हमारा देश विकसित देशों की कतार में शामिल होने की दिशा में बढ़ रहा है, सम्बन्धित सरकारों द्वारा वहां के शिक्षा संस्थानों में लागू सार्वजनिक छुट्टिïयों सम्बन्धी सरकार की नीति को अपनाना लाभदायक हो सकता है जहां ऐसी छुट्टिïयों का रिवाज नहीं है। —विजय कुमार 

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