गांवों के सोंंधी माटी में छिपे पेट की सेहत के राज: डिब्बा बंद खाना और चिकनाई बिगाड़ रही हाजमा

Edited By Mohit,Updated: 29 May, 2020 06:41 PM

world digestive health day

हमारे गांव की माटी सिर्फ सोंधी व अन्न ही नहीं उपजाती है बल्कि हमारे शरीर को

होशियारपुर (अमरेन्द्र मिश्रा): हमारे गांव की माटी सिर्फ सोंधी व अन्न ही नहीं उपजाती है बल्कि हमारे शरीर को भीतर से मजबूत भी करती है। इतना मजबूत कि हमारी आंतें मजबूत होकर पाचन तंत्र को बेहतर कर देतीं हैं। इसका अंतर साफ है। जिनका बचपन गांवों की गलियों, खेतों-खलिहानों की धूल फांकते बीता है, उनका हाजमा शहरों के चकाचौंध व आलीशान फ्लैट संस्कृति में पले-बढ़े लोगों के मुकाबले कहीं ज्यादा मजबूत होता है। शहरों में लोगों की जीवनशैली में डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ, कैन वाली चीजें बढ़ी हैं। खानपान में चिकनाई वाली चीजों का सेवन ज्यादा करने से पाचन तंत्र बिगड़ रहा है। इसके मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि खाने में रेसेदार चीजों को बढ़ाने की बेहद जरूरत है। इससे पाचन तंत्र सुधरेगा और आंत से जुड़ी दूसरी बीमारियों से बचा जा सकेगा।

समझिए, कैसे काम करता है पाचन तंत्र
जो भी खाया जाता है वह आहार नाल से पेट तक जाता है। आहार नाल मुख से शुरू होकर गुदा द्वार तक पहुंचता है। जो भी चीजें खाई जाती हैं वह लार के साथ यकृत और अग्नाशय होते हुए पेट तक पहुंचती हैं। शरीर के विभिन्न रासायनिक पदार्थ खाने के साथ क्रिया कर उससे रस निकालते हैं। यह रस शरीर को एनर्जी देता है। भोजन को मुख्य रूप से कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा और अल्प मात्रा में विटामिन एवं खनिज लवणों की जरूरत होती है। पाचन के दौरान शरीर सभी पोषक तत्वों को अवशोषित कर लेता है और गैरजरूरी तत्व मल-मूत्र के रास्ते बाहर निकल जाते हैं।

प्रकृति ने बनाया है मिट्टी से जुड़े रहने का सिस्टम
मैडीकल एक्सपर्ट डॉ.अजय बग्गा कहते हैैं कि प्रकृति ने ऐसा सिस्टम बनाया है कि प्राकृतिक वातावरण व मिट्टी से जुड़ाव सभी जीवों के लिए बेहतर है। कई अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि गांवों में रहने वाले लोग, खासतौर पर वे, जो बचपन से वहां रहे हैं, उनका गट-माइक्रोबायोटा शहरों में पले-बढ़े लोगों की तुलना मे अधिक मजबूत होता है। क्योंकि अंधाधुंध शहरीकरण की वजह से शहरों में रहने वाले लोग बेहद हाईजीनिक यानी सफाईपसंद बनकर रह गए हैैं। जिसकी अति का दुष्परिणाम सामने है-हम और एलर्जिक हो गए। आटोइम्यून डिसऑर्डर्स ने हमारे शरीर में अपना घर बना लिया। चिकित्सा विज्ञान की भाषा में इसे हाईजीनिक हाइपोथिसिस कहते हैैं।

क्या है गट-माइक्रोबायोटा
पेट (आंत) में पाए जाने वाले बैक्टीरिया को गट-माइक्रो बैक्टीरिया कहते हैं। दिलचस्प बात यह है कि यह इंसानी शरीर के भीतर का सबसे बड़ा अंग है। आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैैं कि एक व्यक्ति के शरीर में जितने ह्यूमन सेल्स होते हैं, उसके 10 गुने से ज्यादा माइक्रोबियल सेल्स आतों में होते हैैं। प्रकृति ने ऐसा सिस्टम बनाया है कि थोड़ी रफ-टफ जीवनशैली व माटी से जुड़ाव सभी जीवों के लिए आवश्यक है। इसके अलावा एक्सेसिव हाईजीन यानी स्वच्छता की अति नहीं करनी चाहिए। इससे माइक्रोबायोटा स्वस्थ रहता है। 

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अच्छे हाजमे के लिए खान-पान पर दे विशेष ध्यान: डॉ.बग्गा
मैडीकल एक्सपर्ट डॉ.अजय बग्गा ने बताया कि पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने के लिए खाने को चार या पांच हिस्से में बांट कर थोड़ा-थोड़ा खाएं। रेसेदार फल, सब्जी खाएं। पानी खूब पीएं। गर्मी में छाछ का सेवन भरपूर करें।  जंग फूड न खाएं। चीनी के बजाय गुड़ ज्यादा फायदेमंद है।  दिन में ज्यादा और रात में कम मात्रा में भोजन करें। रात को गरिष्ठ भोजन न करें। जल्दी सोएं और जल्दी उठें। सोने से दो घंटे पहले भोजन कर लें। एल्कोहल, तंबाकू, ज्यादा चाय-कॉफी, कोल्ड ड्रिंक्स से परहेज। ओवरईटिंग यानी अधिक खाने से बचें। सुबह व्यायाम जरूर करें। टहलना, साइकिल चलाना सबसे उपयुक्त है।

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