Edited By Sunita sarangal,Updated: 01 Oct, 2021 11:41 AM
दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के सीनियर नेता अमित शाह के साथ कैप्टन अमरिंदर सिंह की मुलाकात को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं।
जालंधर (विशेष): पंजाब कांग्रेस के प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे की खबर के बाद राज्य में बड़े स्तर पर राजनीतिक घमासान मचा हुआ है। इस घमासान के बीच पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह फायदा लेने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। कांग्रेस में हो रही हलचल के बीच कैप्टन पार्टी छोड़ने का ऐलान कर चुके हैं और अब भाजपा पर डोरे डाल रहे हैं। भाजपा के लिए भी यह स्थिति बेहद सोच-विचार करने वाली है क्योंकि कैप्टन विरुद्ध जिन मुद्दों को लेकर पिछले साढ़े 4 साल से भाजपा के लोग बोलते रहे हैं, उन मुद्दों पर अब कैप्टन को ‘गंगा स्नान’ कैसे करवा देगी।
दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के सीनियर नेता अमित शाह के साथ कैप्टन अमरिंदर सिंह की मुलाकात को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। कैप्टन को लेकर भाजपा के मन में क्या चल रहा है, यह अभी साफ नहीं हुआ है परन्तु एक बड़ा सवाल है कि आखिर जिस कैप्टन ने साढ़े 4 साल मोती महल या सिसवां फार्म नहीं छोड़ा और आम लोगों के बीच नहीं गए, वही कैप्टन अब भारतीय जनता पार्टी में आकर यह ऐशो-आराम की जिंदगी छोड़कर लोगों के बीच कैसे जाएंगे।
पंजाब में आम जनता के साथ जुड़े सैंकड़ों मामले हैं और कई मुद्दे हैं, जिन्हें लोग हल होते देखना चाहते हैं। मजेदार बात यह है कि इनमें से ज्यादातर मुद्दे पिछले साढ़े 4 सालों दौरान ही पैदा हुए हैं। जो मुद्दे खुद कैप्टन की लापरवाही या ऐशो-आराम वाली जिंदगी के कारण पैदा हुए हैं, उन मुद्दों को अब स्वयं कैप्टन कैसे हल कर लेंगे? इस तरह के कई सवाल आज पंजाब के आम लोगों के दिलो-दिमाग में उठ रहे हैं, जिनका जवाब स्वयं भाजपा को ही ढूंढना पड़ेगा।
नजदीकी लोगों का करियर दाव पर
कैप्टन अमरिंदर सिंह के नजदीक बहुत से लोग हैं और हैरानी की बात है कि अब उनके नजदीक कोई नहीं है। मतलब कि जब कैप्टन कप्तान थे तो बहुत लोग उनके खेमे में थे। कैप्टन के सिर पर सोनिया गांधी का हाथ था, जो समय-समय पर कैप्टन के लिए टॉनिक का काम करता रहा। लापरवाह कैप्टन अब सब कुछ छोड़ कर भाजपा में जाने की तैयारी कर रहे हैं तो ऐसे में उनके पास के लोगों का करियर दाव पर लग गया है। सबसे बड़ा प्रभाव उनकी पत्नी परनीत कौर पर होगा, जो बीती शाम तक कांग्रेस की संभावी राज्य प्रधान लग रही थी।
कैप्टन अमरिंदर सिंह से अभी दूर क्यों है भाजपा
पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के दौर में भारतीय जनता पार्टी राजनीति, ड्रग माफिया से लेकर कई मुद्दों पर कैप्टन सरकार का भांडा फोड़ती रही है। अब जब कैप्टन पूरी तरह खाली हैं और उनके पास कोई बेहतर समर्थन नहीं है तो फिर भाजपा कैप्टन को अपने खेमे में लाने की गलती ही क्यों करेगी क्योंकि जब पूरे देश में मोदी के नाम की लहर थी, उस समय मोदी सरकार के विजेता रथ को पंजाब में कैप्टन ने ही चुनौती दी थी। भाजपा यह सभी चीजें शायद इतनी आसानी से नहीं भूल सकती।
1. कैप्टन पंजाब में राष्ट्रपति शासन लगवाना चाहते हैं परन्तु भाजपा की सोच अलग है। सी.एम. चरणजीत चन्नी की सरकार पर राष्ट्रपति राज लगाने पर एस.सी. समाज में भाजपा की किरकिरी हो सकती है। राजनीतिक पंडितों अनुसार भाजपा को इसका नुक्सान पूरे देश में भुगतना पड़ सकता है।
2. कैप्टन के साथ-साथ नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर भी भाजपा के अंदर विचार-चर्चा चल रही है। कैप्टन की बजाय भाजपा को सिद्धू ज्यादा पसंद आएंगे क्योंकि सिद्धू के साथ पार्टी ने काम किया हुआ है। कैप्टन के पास कैडर भी नहीं है।
3. भाजपा में 75 सालों से अधिक के नेताओं को खास पद पर तैनात नहीं किया जाता है। कैप्टन की उम्र 80 सालों के लगभग है, ऐसे में वह भाजपा को कैसे पसंद आ सकते हैं। भाजपा नीति अनुसार कैप्टन की सीधी मार्गदर्शक मंडल में ही लैंडिंग होगी। कैप्टन को लेकर भाजपा फूंक-फूंक कर कदम रख रही है।
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