पंजाब में इस दुर्लभ बीमारी ने दी दस्तक, पहला Patient आया सामने

Edited By Kamini,Updated: 27 Jan, 2024 03:03 PM

this rare disease knocked in punjab

पंजाब में दुर्लभ बीमारी ने दस्तक दे दी है जिसका पहला मरीज एक महिला सामने आई है।

पंजाब डेस्क : पंजाब में दुर्लभ बीमारी ने दस्तक दे दी है जिसका पहला मरीज एक महिला सामने आई है। विश्व में दुर्लभ बीमारी का 24वां मरीज पंजाब के अमृतसर में मिला है जिसका अमृतसर के गुरुनानक देव अस्पताल किया गया। इस दुर्लभ बीमारी को लुटेम्बाचर सिंड्रोम है। 1916 में फ्रांस में इस बीमारी को विज्ञानिक डॉ. ल्यूटम बारक ने खोजा था, जिसके इसका नाम लुटेम्बाचर रखा था। गौरतलब है कि विश्व में इस बीमारी से 23 मरीज ही पीड़ित थे। लेकिन 24वां पंजाब के अमृतसर जिले से मिला है। जिसका मेडिकल कॉलेज के अंतर्गत आते गुरु नानक देव अस्पताल गुरुनानक देव अस्पताल में  सफल इलाज किया गया। इस बीमारी की मरीज एक महिला है, जिसकी पहचान बलजिंदर कौर (उम्र 48) के रूप में हुई है। 

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बताया जा रहा है कि उक्त बीमारी सिर्फ महिलाओं को ही होती है। मरीज महिला का ऑपरेशन 3 घंटे चला और 8 के करीब डॉक्टर्स व सपोर्टिव स्टाफ ने इसका सहयोग दिया, जिनमें कार्डियक विभाग के प्रोफेसर डॉ. परमिंदर सिंह मंगेड़ा व उनकी टीम शामिल थे। मिली जानकारी के अनुसार महिला को सांस लेने में तकलीफ थी जिसके लिए वह गुरुनानक देव अस्पताल में पहुंची, जहां इलाज दौरान पता चला कि उसे निमोनिया है और उसकी दिल की धड़कन भी तेज है। इसके चलते मेडिसिन विभाग के डाक्टरों ने उसे कॉर्डियक विभाग को रेफर कर दिया। 

डॉ. मांगेड़ा ने बताया कि महिला की जब कार्डियोग्राफी की गई तो सामने आया कि वह बचपन से ही एंट्रल सेप्टल डिफेक्ट (SAD) व माइक्रो माइट्रल सिनोनिम्स से पीड़ित थी, जिस कारण उसके हार्ट के वॉल्व को नुकसान पहुंच चुका था। इससे स्पष्ट हो गया कि वह लुटेम्बाचर सिंड्रोम से ग्रस्त है। डॉ. ने आगे बताया कि विदेश से रिसर्च पेपर्स पढ़ने व वर्कशॉप्स से मिली जानकारी पर उन्होंने महिला का इलाज शुरू कर दिया। 

डॉ. ने आगे बताया पंजाब में ये पहला मामला सामने आया है। इससे धीरे-धीरे शरीर के सभी अंग खराब होने शुरू हो जाते हैं। बचपन से दिल में छेद होने से उम्र के साथ रोमेटिक फीवर हो जाता है। इसमें स्ट्रैप टौकेस बैक्टीरिया शरीर में बनता है जो गले में चला जाता है और इसके बाद जोड़ों या दिल पर असर करने लगता है। इससे पहले उसका इलाज पीजीआई में चल रहा था जहां पर डाक्टरों ने उसे 4 साल बाद का समय दिया। प्राइवेट अस्पताल में इसका इलाज 4 से 5 लाख रुपए होता है, लेकिन महिला के पास आयुष्मान कार्ड था जिसके चलते उसका बिना किसी खर्च के इलाज हो गया। 

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