Edited By Urmila,Updated: 29 Oct, 2022 12:59 PM
![then there may be a kisan andolan in the country](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2022_10image_12_59_095104291tiket-ll.jpg)
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत आज जालंधर पहुंचे। जालंधर के किशनगढ़ इलाके में अलग-अलग किसान संगठनों के नेताओं और किसानों ने उनका जोरदार स्वागत किया।
जालंधर (सोनू): भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत आज जालंधर पहुंचे। जालंधर के किशनगढ़ इलाके में अलग-अलग किसान संगठनों के नेताओं और किसानों ने उनका जोरदार स्वागत किया। इस मौके पर राकेश टिकैत ने कहा कि सरकारें अब भी किसानों के साथ धोखा कर रही हैं। उन्होंने कहा कि सरकार जालसाज और बेईमान है जो देश का इतिहास बदलना चाहती है। उन्होंने कहा कि सरकार संयुक्त किसान मोर्चे को दो हिस्सों में बांटना चाहती है। उन्होंने कहा कि सिंघू बार्डर पर जाने की अभी कोई योजना नहीं है लेकिन फिर भी किसानों को देश में एक बड़े आंदोलन के लिए तैयार रहना चाहिए क्योंकि देश में एक बड़े आंदोलन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि समय आने पर इसकी लोकेशन भी बता दी जाएगी। टिकैत ने कहा कि इस बार आने वाले बड़े आंदोलन में न केवल किसान बल्कि देश के युवा और बुजुर्ग भी शामिल होंगे।
उन्होंने पराली के बारे में बात करते हुए कहा कि अगर सरकार को पराली की समस्या का समाधान करना है तो उसे ऐसी तकनीक की जानकारी किसानों को देनी चाहिए, जिससे बिना पराली के धान की खेती हो सके। उन्होंने कहा कि सरकार के पास बड़े कृषि विश्वविद्यालय, वैज्ञानिक और अन्य अधिकारी हैं, वे उन्हें कोई ऐसी तकनीक बताएं जो पराली की समस्या को हल कर सके।
इस मौके पर भारतीय किसान संघ लखोवाल के महासचिव हरिंदर सिंह लक्खोवाल ने भी पराली के बारे में कहा कि पंजाब सरकार उन्हें 100 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से पराली को नष्ट करने के लिए दे या अगर वे 5 हजार रुपए प्रति एकड़ का मुआवजा दें तो किसान इस मसले का कोई समाधान सोच सकते हैं लेकिन अगर सरकार उनकी मदद नहीं करती है, तो किसानों के पास पराली जलाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि जब कोई किसान पराली जलाता है तो उसका असर सबसे पहले उसके गांव में उसके परिवार पर पड़ता है। उनके अनुसार पराली को नष्ट करने के लिए जो मशीनें मौजूद हैं, उनके लिए बड़े ट्रैक्टरों की जरूरत होती है, जो आम किसान के पास नहीं होता।
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