Edited By Updated: 03 Apr, 2017 04:02 AM
पंजाब की नई कांग्रेस सरकार द्वारा हाल ही में विधानसभा के अंदर पास किए गए....
जालंधर(अमित): पंजाब की नई कांग्रेस सरकार द्वारा हाल ही में विधानसभा के अंदर पास किए गए एक बिल ‘द पंजाब लॉ अफसर (इंगेजमैंट) बिल- 2017’ के अंतर्गत व्यावसायिक और वित्तीय दोनों मापदंडों को तय करने से बतौर लॉ अफसर (एडवोकेट जनरल, अडीशनल एडवोकेट जनरल, असिस्टैंट एडवोकेट जनरल और डिप्टी एडवोकेट जनरल) नियुक्त होने के लिए काबिल व तजुर्बेकार वकीलों की ही नियुक्ति हो पाएगी।
इस नए बिल को लेकर प्रदेश के अधिकांश वकीलों में हर्ष की भावना व्याप्त है क्योंकि उनका ऐसा मानना है कि उक्त पद पर नियुक्त होने के लिए किसी प्रकार की सिफारिश या पोलिटीकल कनैक्शनों का इस्तेमाल पूर्ण रूप से बंद हो जाएगा।
क्या हैं लॉ अफसरों की नियुक्ति को लेकर नए मापदंड?
हाल ही में पास किए गए नए बिल के अनुसार अलग-अलग कैटेगरियों में नियुक्त किए जाने वाले लॉ अफसरों की गिनती समय-समय पर सरकार द्वारा मूल्यांकन किए जाने पर तय की जा सकती है। उक्त मूल्यांकन कोर्टों की गिनती, केसों की गिनती और पहले से नियुक्त अफसरों की गिनती पर आधारित नहीं होगा। कुल पोस्टों में से 5 प्रतिशत पोस्टें डिस्ट्रिक्ट अटार्नियों के लिए आरक्षित की गई हैं।
बाकी के पदों पर लॉ अफसरों की नियुक्ति बाकायदा तौर पर इश्तिहार निकाल कर की जाएगी। इसके लिए सरकार द्वारा एक स्क्रूटनी कमेटी गठित की जाएगी जिसकी अध्यक्षता एडवोकेट जनरल करेंगे। ए.जी. को 7 लॉ अफसर अपनी मर्जी से नियुक्त करने का अधिकार भी प्रदान किया गया है। बिल के तहत जिस वकील की पिछले तीन साल के अंदर प्रोफैशनल सालाना इंकम 20 लाख या उससे अधिक है वह ही सीनियर अडीशनल एडवोकेट जनरल के तौर पर नियुक्त किया जा सकता है और उसकी प्रैक्टिस कम से कम 20 साल की होनी चाहिए।
अडीशनल एडवोकेट जनरल के लिए 15 लाख रुपए की प्रोफैशनल सालाना इंकम तय की गई है और उसे 16 साल का तजुर्बा होना लाजिमी है। इसी तरह से सीनियर डिप्टी एडवोकेट जनरल के लिए सालाना प्रोफैशनल इंकम 10 लाख रुपए और 14 साल की प्रैक्टिस की सीमा तय की गई है, जबकि डिप्टी एडवोकेट जनरल के लिए 7 लाख रुपए सालाना प्रोफैशनल इंकम और 7 साल की प्रैक्टिस तथा असिस्टैंट एडवोकेट जनरल के लिए 3.5 लाख रुपए की सालाना प्रोफैशनल इंकम और 3 साल की प्रैक्टिस होना अनिवार्य है।
काफी सख्त फैसला, रिव्यू करने की कारूरत: बलराम सिंह पठानिया
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट बलराम सिंह पठानिया का कहना है कि सरकार द्वारा लिया गया उक्त फैसला काफी सख्त है और इसे रिव्यू करने की कारूरत है क्योंकि दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों से चडीगढ़ अपने आप में काफी अलग है और यहां पर होने वाली आमदनी का स्तर उक्त शहरों के मुकाबले काफी कम है इसलिए वित्तीय मापडंद को लेकर एक बार दोबारा से विचार करने की आवश्यकता है जबकि प्रैक्टिस वाला मापदंड बिल्कुल सही है।
फैसले को लेकर मिल रही मिलीजुली प्रतिक्रियाएं
प्रदेश सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले को लेकर पूरे प्रदेश में मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं क्योंकि जहां वकीलों का एक वर्ग इस फैसले को काफी बढिय़ा बता रहा है वहीं दूसरी तरफ एक वर्ग ऐसा भी है जो इसे पूरी तरह से गलत करार दे रहा है क्योंकि उनका मानना है कि हाईकोर्ट के जज की नियुक्ति में भी ऐसे मापदंड नहीं हैं और इसके ऊपर वित्तीय मापदंड फिक्स करना तो पूर्णतया गलत है क्योंकि इससे ब्यूरोक्रेट्स, जजों और बिजनैसमैन के बच्चे जिनकी कमाई कम है वह भी अधिक प्रोफैशनल इंकम की रिटर्न भरकर नियुक्ति प्राप्त कर सकेंगे इसलिए इसके खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर करनी चाहिए।
पूरे देश में पेश किया एक उदाहरण, बेहद सराहनीय फैसला: जी. बी. एस. ढिल्लों
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के सीनियर वकील गुरबिंद्र सिंह ढिल्लों का कहना है कि पंजाब सरकार ने उक्त फैसला लेकर न केवल पंजाब बल्कि पूरे देश में एक उदाहरण पेश किया है और यह फैसला बेहद सराहनीय है क्योंकि इससे केवल वही वकील नियुक्त होगा जो सही मायनों में कई वर्षों से प्रैक्टिस कर रहा है। उन्होंने कहा कि भूतकाल में ऐसा भी देखने को मिला है कि कुछ मामलों में ऐसे वकील नियुक्त हो गए जिन्हें सही तजुर्बा नहीं था और इस कारण कई केसों में सरकार को शर्मिंदगी तक उठानी पड़ी।