Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Sep, 2017 12:35 PM
देश को प्रतिदिन 207 मैगावाट विद्युत ऊर्जा 4 पन बिजली घरों से मिल रही है। मगर इस प्रोजैक्ट की महत्वपूर्ण 37 किलोमीटर लंबी मुकेरियां हाईडल नहर की स्थिति पूर्ण रूप से खस्ता हो चुकी है। लगभग 1980 में इस नहर का निर्माण हुआ था।
मुकेरियां (स.ह.): देश को प्रतिदिन 207 मैगावाट विद्युत ऊर्जा 4 पन बिजली घरों से मिल रही है। मगर इस प्रोजैक्ट की महत्वपूर्ण 37 किलोमीटर लंबी मुकेरियां हाईडल नहर की स्थिति पूर्ण रूप से खस्ता हो चुकी है। लगभग 1980 में इस नहर का निर्माण हुआ था। निर्माण के समय से ही विवादों से घिरी इस नहर पर अनेक अनियमितताओं को लेकर भ्रष्टाचार के मामले सामने आते रहे हैं। उल्लेखनीय है कि 20 मई 1992 को गांव निक्कू-चक्क के समीप नहर के टूट जाने से 3 सप्ताह तक चारों पन बिजली घर बंद रहे।
राष्ट्रीय क्षति के साथ-साथ स्थानीय लोगों का भी काफी नुक्सान हुआ। सरकार के अनेक लुभावने सब्जबाग के अतिरिक्त लोगों को कोई मुआवजा नहीं मिला। इसी प्रकार अक्तूबर 1995 को पन बिजली घर रैली गांव में नहर टूटने से 4 गांव जलमग्र हो गए थे और साथ ही इस पन बिजली घर की सभी शक्तिशाली मशीनरी या तो पानी में बह गई या पूरी तरह कबाड़ बन गई थी। लगभग 40 दिन यह नहर बंद रही। 1992 व 1995 में घटी उक्त घटनाओं में देश को कुल मिलाकर 1500 करोड़ रुपए की क्षति उठानी पड़ी थी।
11,500 क्यूसिक समर्था वाली नहर की दुर्दशा
इस नहर के चार दर्जन से भी अधिक स्थलों पर असंख्य स्लैबें धंस एवं टूट चुकी हैं मगर संबंधित विभाग मूक दर्शक बना हुआ है। जब भी इसके प्रति समाचार पत्रों में नहर की स्थिति के बारे में कुछ प्रकाशित होता है तो विभाग भी हरकत में आकर मुरम्मत तो करता है, मगर मुरम्मत रेत की बोरियों से की जाती है।
इसे तकनीकी शैली से विधिपूर्वक नहीं किया जाता। होना तो यह चाहिए कि नहर को पूरी तरह बंद करने का परमिट लेने के पश्चात नहर के उद्गम भाग तलवाड़ा से लेकर टेल स्थल टेरकियाना गांव जहां नहर ब्यास नदी में मिलती है, तक एक साथ व एक समान मुरम्मत करवाई जाए ताकि किसी अप्रिय घटना की पुनरावृत्ति न हो।
इस संबंधी जब अधिकारी के कार्यालय में दूरभाष पर सम्पर्क किया गया तो अधिकारी सरकारी कार्य हेतु चंडीगढ़ गए थे, मगर विभाग के ही एक अन्य प्रतिनिधि ने बताया कि मुरम्मत हेतु राशि का आकलन आदि हो चुका है, टैंडर जारी होने पर सॢदयों में काम आरंभ हो जाएगा।