आतंकी हमले से कम नहीं हैं CRPF के जवानों की ‘आत्महत्याएं’

Edited By swetha,Updated: 23 Feb, 2019 09:07 AM

terrorist attack on crpf

केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सी.आर.पी.एफ.) एक ऐसी इकाई है जो लगातार किसी न किसी कारण से जवानों को खो रही है, कभी आतंकी हमला तो कभी जवानों द्वारा मानसिक परेशानी के चलते की जाने वाली आत्महत्याएं हमारे जवानों को छीन रही हैं।

जालंधर(पुनीत): केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सी.आर.पी.एफ.) एक ऐसी इकाई है जो लगातार किसी न किसी कारण से जवानों को खो रही है, कभी आतंकी हमला तो कभी जवानों द्वारा मानसिक परेशानी के चलते की जाने वाली आत्महत्याएं हमारे जवानों को छीन रही हैं। पिछले 3 साल के दौरान 100 जवानों ने आत्महत्याएं कीं जबकि 123 ड्यूटी के दौरान शहीद हुए। पिछले वर्ष राज्यमंत्री (गृह) किरेन रिजिजू ने कहा था कि 2015 से 2018 तक सी.आर.पी.एफ. के 8725 जवानों ने प्री-मैच्योर रिटायरमैंट ले ली जबकि 1895 जवानों ने इस्तीफा दे दिया। 

देश सी.आर.पी.एफ. के जवानों पर पुलवामा में हुए आतंकी हमले से गम में डूबा है लेकिन जवानों द्वारा की जाने वाली आत्महत्याएं किसी आतंकी हमले से कम नहीं हैं। इसके आंकड़े चिंताजनक हैं जिसके चलते सी.आर.पी.एफ. के डी.जी. राजीव राय भटनागर इससे निपटने के लिए समाधान खोजने पर काम कर रहे हैं। 

सी.आर.पी.एफ. देश की आंतरिक सुरक्षा का जिम्मा संभाले हुए है, इसके अलावा वी.आई.पी. सुरक्षा, चुनावी ड्यूटी सहित अहम जिम्मेदारियां इन्हें सौंपी जाती हैं। जानकार बताते हैं कि लगभग 3,00,000 जवानों की पूरी ताकत ड्यूटी पर रहती है। 35 बटालियन नॉर्थ-ईस्ट स्टेट में जबकि 70 बटालियन जम्मू-कश्मीर जबकि 80 एल.डब्ल्यू.ई. (लैफ्ट विंग एक्सट्रीज्म) की ड्यूटी दे रही हैं। कई बार ड्यूटी का दबाव जवानों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है जिसके चलते वे आत्महत्या करने के लिए विवश हो जाते हैं। सी.आर.पी.एफ. का 85 प्रतिशत बल संचालित रहता है जबकि 15 प्रतिशत बल अयोध्या, काशी विश्वनाथ, संसद ड्यूटी, वी.आई.पी. ड्यूटी जैसी जगहों पर तैनात है। 

जवानों की सुविधाओं को लेकर समीक्षा आवश्यक
जवान किसी भी देश की ताकत हैं, इसलिए उनकी सुविधाओं का ध्यान रखना सबसे अहम है, उनके तनाव में आने के कई तरह के कारण हैं। एक कांस्टेबल की प्रमोशन लगभग 20 साल की ड्यूटी के बाद होती है, इसके अलावा उन्हें पैंशन नहीं मिलती। कांस्टेबल अपनी ड्यूटी के दौरान बैठ भी नहीं सकता, वह खड़े रहकर ड्यूटी देता है और छुट्टी पर जाने से पहले 5 घंटे की नींद भी नहीं ले सकता। वह 2 घंटे ड्यूटी देता है और 4 घंटे की उसे रैस्ट मिलती है जिसके बाद वह दोबारा ड्यूटी पर पहुंचता है। इस तरह के कई कारण हैं जिन पर गहराई से समीक्षा की जाए तो वह जवानों के लिए और बेहतर विकल्प बना सकता है। 

शहीद हुए जवान
2016    43
2017    52
2018    28

आत्महत्या की घटनाएं
2016    29
2017    38
2018    38

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