सी.एम. ने राज्यपाल को किया गुमराह: सुखबीर

Edited By Vatika,Updated: 04 Jul, 2019 09:07 AM

sukhbir badal akali dal

शिरोमणि अकाली दल ने पंजाब के राज्यपाल वी. पी. सिंह बदनौर से आग्रह किया कि वह उन चार पुलिस कर्मियों की सजा माफी तुरंत वापस लें, जिन्होंने 22 साल के एक सिख नौजवान का अपहरण करने के बाद उसे फर्जी मुठभेड़ में मार दिया था।

चंडीगढ़(अश्वनी): शिरोमणि अकाली दल ने पंजाब के राज्यपाल वी. पी. सिंह बदनौर से आग्रह किया कि वह उन चार पुलिस कर्मियों की सजा माफी तुरंत वापस लें, जिन्होंने 22 साल के एक सिख नौजवान का अपहरण करने के बाद उसे फर्जी मुठभेड़ में मार दिया था। इसके अलावा पार्टी ने इस गैर-कानूनी तथा तर्कहीन माफी की सिफारिश के पीछे की साजिश को बेनकाब करने के लिए रा’यपाल से जांच का आदेश देने की भी मांग की।
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अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने आज शिरोमणि प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष गोबिंद सिंह लौंगोवाल समेत वरिष्ठ नेताओं वाले अकाली प्रतिनिधिमंडल तथा चार पुलिस कर्मियों द्वारा मारे गए हरजीत सिंह के पिता तथा बहन को साथ लेकर राज्यपाल से मुलाकात की। राज्यपाल को अकाली दल अध्यक्ष ने कहा कि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा यह मामला जांच के लिए सी.बी.आई. को सौंपे जाने के पश्चात 18 साल बाद दिसम्बर 2014 में सी.बी.आई. के विशेष जज ने इन 4 पुलिस कर्मियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
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दोषियों ने सी.बी.आई. के विशेष जज के फैसले के खिलाफ अपील की थी, जो कि हाईकोर्ट में लंबित है। उन्होंने कहा कि जिन केसों की अपील लंबित होती है, उनमें माफी नहीं दी जा सकती। उन्होंने राज्यपाल से कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह द्वारा इस माफी की सिफारिश बेहद गलत थी तथा राज्यपाल को गुमराह करने के बराबर थी। पंजाब सरकार ने इस केस के बारे में रा’यपाल को सही जानकारी न देकर अपने संवैधानिक कर्तव्य को नहीं निभाया। रा’य सरकार ने इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय से अनिवार्य अनुमति भी नहीं ली। 

सरकार ने पुलिस कर्मियों की आपराधिक कार्रवाइयों को भी ध्यान में नहीं रखा 
सुखबीर ने कहा कि सरकार ने पुलिस कर्मियों की आपराधिक कार्रवाइयों को भी ध्यान में नहीं रखा जबकि सी.बी.आई. अदालत ने अपने फैसले में बताया था कि उन्होंने सिर्फ पदोन्नति तथा पुरस्कार पाने के मकसद से सिख नौजवान का कत्ल किया था। उन्होंने कहा कि दोषी पुलिस कर्मियों द्वारा सिर्फ 2 साल की सजा काटने के बाद ही राज्य सरकार की ओर से उनकी क्षमा याचिका के लिए अर्जी देना इस बात की तरफ इशारा करता है कि सरकार को इन पुलिस कर्मियों को बचाने की कितनी जल्दी थी।

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