Edited By Updated: 15 Feb, 2017 03:23 AM
15वीं पंजाब विधानसभा के लिए मतदान हो चुका है और
जालंधर: 15वीं पंजाब विधानसभा के लिए मतदान हो चुका है और 11 मार्च को मतगणना होगी। जनता किस पार्टी को सत्तासीन करती है यह तो फिलहाल 11 मार्च को ही पता चलेगा लेकिन सियासी माहिरों में अभी से यह चर्चा का विषय बन गया है कि मतगणना के बाद अगर आम आदमी पार्टी की पंजाब में सरकार आती है तो केन्द्रीय मंत्रिमंडल में विस्तार की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है। केन्द्रीय मंत्रिमंडल में विस्तार होने की स्थिति में बिक्रम सिंह मजीठिया और सुखबीर सिंह बादल को मोदी सरकार कोई पद दे सकती है या फिर उन्हें राज्यसभा में भी भेजा जा सकता है। राज्यसभा में भेजेंगे तो कहां से भेजेंगे। पंजाब में निकट भविष्य में राज्यसभा का कोई पद खाली होने की संभावना नहीं है।
बादल परिवार को बचाने के कारण हो सकता विस्तार
क्योंकि आम आदमी पार्टी के कन्वीनर अरविंद केजरीवाल मंचों से और अपने बयानों से बादल परिवार के खिलाफ पहले ही कार्रवाई करने की बात चुनाव प्रचार के दौरान कह चुके हैं। इसलिए बादल परिवार को बचाने के लिए मोदी सरकार हरसिमरत के साथ-साथ मजीठिया और सुखबीर बादल को राज्यसभा में भेजकर मंत्री बना सकती है। वहीं किसी बड़े ओहदे जिससे राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का चेयरमैन भी लगा सकती है।
2002 में कैप्टन सरकार ने बादल परिवार से साथ जैसे व्यवहार किया था उससे ज्यादा खराब हालात इस बार बन सकते हैं। भाजपा के एक बड़े नेता के अनुसार हालांकि भाजपा हाईकमान बादल परिवार से ज्यादा खुश नहीं है लेकिन अल्पसंख्यकों को साथ रखने के लिए भाजपा बादल परिवार का साथ दे सकती है क्योंकि सिख एकमात्र ऐसे अल्पसंख्यक हैं जो इस समय भाजपा के साथ हैं। ऐसे में भाजपा सिखों की पार्टी का साथ नहीं छोडऩा चाहती है। इसलिए न चाहते हुए भी इस बात की संभावना है कि केन्द्र सरकार बादल परिवार को बचाने की कोशिश करेगी।
सुखबीर, मजीठिया केन्द्र में गए तो लडऩा होगा चुनाव
जैसा कि सियासी माहिरों का मानना है कि ‘आप’ की सरकार आने की स्थिति में सुखबीर बादल और बिक्रम सिंह मजीठिया को केन्द्रीय मंत्रिमंडल में स्थान दिया जा सकता है। अगर सुखबीर बादल और मजीठिया केन्द्र में जाते हैं तो 6 महीने के भीतर उन्हें लोकसभा का चुनाव लडऩा पड़ेगा। अकाली दल किसी भी किसी जगह से अपने सांसद का इस्तीफा लेकर उन्हें चुनाव लड़वा सकता है।
गुजराल को भी इसी तरह लड़ाया गया था चुनाव
अप्रैल 1997 में एच.डी. देवेगौड़ा की सरकार गिरने के बाद जब इंद्र कुमार गुजराल प्रधानमंत्री बने थे तो उन्हें इसी तरह जालंधर से चुनाव लड़ाया गया था। 1996 में जालंधर लोकसभा सीट से दरबारा सिंह सांसद चुने गए थे। जब इंद्र कुमार गुजराल प्रधानमंत्री बने तो अकाली दल नेे अपने सांसद दरबारा सिंह से इस्तीफा लेकर यह सीट गुजराल के लिए खाली करवाई थी और वह यहां से चुनाव जीतकर सांसद बने थे।