पंजाब की पराली 18 फीसदी वायु प्रदूषण की जिम्मेदार, बॉर्डर के इलाके सबसे ज्यादा सुलग रहे

Edited By Tania pathak,Updated: 17 Oct, 2020 09:28 AM

stubble in punjab responsible for 18 of air pollution

ज्यों-ज्यों पराली जलाने की घटनाएं बढ़ेंगी, त्यों-त्यों प्रदूषण की हिस्सेदारी भी बढ़ती जाएगी। आंकड़ों में ताजा उछाल ऐसे समय में आया है, जब कहा जा रहा था कि पर्यावरण के प्रदूषण में पराली के प्रदूषण का योगदान...

चंडीगढ़ (अश्वनी कुमार): पराली जलाने से महज 4 फीसदी प्रदूषण होने का दावा एक दिन में ही बदल गया है। द सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वैदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) ने ताजा आंकड़ा जारी करते हुए बताया है कि दिल्ली के प्रदूषण में वीरवार को करीब 18 फीसदी हिस्सेदारी पराली जलाने से पैदा होने वाले प्रदूषण की रही है। ज्यों-ज्यों पराली जलाने की घटनाएं बढ़ेंगी, त्यों-त्यों प्रदूषण की हिस्सेदारी भी बढ़ती जाएगी। 

आंकड़ों में ताजा उछाल ऐसे समय में आया है, जब कहा जा रहा था कि पर्यावरण के प्रदूषण में पराली के प्रदूषण का योगदान महज 4 फीसदी है।  केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के बयान को लेकर पंजाब सरकार ने प्रदूषण पर खुद को पाक-साफ बता दिया था और इसका ठीकरा दिल्ली सरकार पर फोड़ दिया था। 
हालांकि केंद्रीय मंत्री ने 15 अक्तूबर को ही बयान पर स्पष्टीकरण जारी कर दिया कि 4 फीसदी का आंकड़ा महज एक सप्ताह का है। पराली जलाने की घटनाएं बढऩे पर आंकड़ा 40 फीसदी तक हो सकता है। बावजूद इसके पंजाब सरकार ने आधे-अधूरे बयान के आधार पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भी तीखा हमला बोला था। सरकार का कहना था कि केजरीवाल असली स्थिति संबंधी दिल्ली निवासियों को अंधेरे में रखने के अपने एजैंडे के अंतर्गत गलत जानकारी फैला रहे हैं जिससे कई सालों से उनकी सरकार निपटने में बुरी तरह असफल रही है। 

सच्चाई यह है कि वास्तव में ऐसे तथ्य नहीं जो दिल्ली के मुख्यमंत्री के दावों का समर्थन करते हों। इससे उलट, अध्ययन दर्शाते हैं कि पराली जलाना राष्ट्रीय राजधानी की समस्या की बहुत ही छोटी वजह है। 

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पंजाब सरकार की आनन-फानन में दिल्ली सरकार पर टिप्पणी के कारण पंजाब के विपक्षी दलों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि सरकार किसानों के आंदोलन से इतनी खौफजदा है कि पराली जलाने की घटनाओं पर सख्ती नहीं कर पा रही है।

सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बावजूद सुलग रहा पंजाब, कुल 4585 जगह जली पराली
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक बार फिर पराली जलाने की घटनाओं पर कड़ा संज्ञान लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व जस्टिस मदन बी. लोकुर के नेतृत्व में एक सदस्यीय समिति का गठन किया है। यह कमेटी पंजाब, हरियाणा और यू.पी. में पराली जलने के मामलों की मॉनीटरिंग करेगी। जस्टिस लोकुर समिति हरेक 15 दिन में सुप्रीम कोर्ट को पराली जलाने की गतिविधि रोकने के मसले पर रिपोर्ट देगी। बावजूद इसके पंजाब में पराली के सुलगने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। अकेले 16 अक्तूबर को ही प्रदेश में 589 जगहों पर पराली जलाने की घटनाओं को रिकॉर्ड किया गया है। इसके साथ प्रदेश में 21 सितम्बर 2020 से 16 अक्तूबर 2020 तक आगजनी की घटनाओं का कुल आंकड़ा 4585 तक पहुंच गया है। यह पिछले 3 वर्षों की तुलना में काफी ज्यादा है। 2019 में 16 अक्तूबर तक 1388 घटनाएं जबकि 2018 में 947 और 2017 में 2892 जगह आगजनी की घटनाएं रिकॉर्ड की गई थीं।

एक दिन का सबसे ज्यादा आंकड़ा 589
यह पहला मौका है कि इस वर्ष 16 अक्तूबर को सबसे ज्यादा 589 आगजनी की घटनाएं रिकॉर्ड की गई हैं। 21 सितम्बर 2020 से 16 अक्तूबर 2020 तक रिकॉर्ड की गई आगजनी की घटनाओं के आंकड़ों में अभी तक इतना उछाल दर्ज नहीं किया गया था। 21 सितम्बर को महज 14 घटनाएं रिकॉर्ड की गई थीं और 30 सितम्बर को पहली बार आगजनी की घटनाओं ने 100 का आंकड़ा पार किया था। इसके 10 दिन बाद यानी 10 अक्तूबर को 244 आगजनी की घटनाएं रिकॉर्ड की गई थीं। तब से इन आंकड़ों में अमूमन प्रति दिन उछाल दर्ज किया जा रहा है। पर्यावरण अधिकारियों का कहना है कि ज्यों-ज्यों अगली फसल के लिए खेत तैयार करने की कवायद तेज होती जाएगी, फसल जलाने का सिलसिला भी तेज होता जाएगा। संभव है कि इस बार भी अक्तूबर महीने के अंत तक पराली जलाने की कुल घटनाओं में बड़ा उछाल सामने आए। 

बॉर्डर के इलाके सबसे ज्यादा सुलग रहे
पराली जलाने की घटनाएं सबसे ज्यादा पाकिस्तान बॉर्डर के साथ लगे इलाकों में सामने आ रही हैं। तरनतारन में 16 अक्तूबर को सबसे ज्यादा 141 आगजनी की घटनाएं रिकॉर्ड की गई हैं। इसी कड़ी में फिरोजपुर में 82 जगह पराली को आग लगाई गई। वहीं, अमृतसर में 71 और गुरदासपुर में 45 जगह पराली को आग लगाई गई। इससे पहले के आंकड़ों में भी सबसे ज्यादा आगजनी की घटनाएं इन्हीं इलाकों में रिकॉर्ड की गई हैं। इस बाबत एन्वायरनमैंट पॉल्यूशन (प्रीवैंशन एंड कंट्रोल) अथॉरिटी फॉर द नैशनल कैपीटल रीजन की तरफ से पहले अर्ली अलर्ट भी जारी किया गया था। बावजूद इसके आगजनी की घटनाओं पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।

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