Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Feb, 2018 07:00 PM
अवैध कालोनियों को राहत देने की बजाय सरकार ने इसे फिर से एन.ओ.सी. के पचड़े में फंसा दिया है। पिछले एक सप्ताह से सरकार के इस फरमान के बाद कोई रजिस्ट्री तक नहीं हो रही है।.....
जालंधर(अमित): अवैध कालोनियों को राहत देने की बजाय सरकार ने इसे फिर से एन.ओ.सी. के पचड़े में फंसा दिया है। पिछले एक सप्ताह से सरकार के इस फरमान के बाद कोई रजिस्ट्री तक नहीं हो रही है।
अवैध कालोनियों में मकान लेने वाली जनता तो डरी ही है, रियल एस्टेट कारोबारियों को भी सरकार के इस फैसले से बड़ी चपत लग रही है। पहले ही पिछले 11 साल से रियल एस्टेट को लेकर सरकार की हर घटिया पालिसी की वजह से प्रदेश का रियल एस्टेट कारोबार बुरी तरह से डूब चुका है। रियल एस्टेट बिजनैस प्रफुल्लित होने से कई घरों का चूल्हा चल रहा था। मगर सरकार की नाकामियों के कारण रियल एस्टेट कारोबार ध्वस्त होकर रह गया है और सरकार के रैवन्यू को भी नुकसान पहुंच रहा है। एक तरफ प्रदेश की कांग्रेस सरकार लगातार रैवन्यू न होने व बदहाल आर्थिक व्यवस्था का रोना रो रही है, वहीं कोई रियल एस्टेट पालिसी न लाने से सरकार की पोल जनता के सामने खुलती जा रही है। पूर्व अकाली सरकार की राहों पर ही चलते हुए कांग्रेस सरकार ने भी जनता व रियल एस्टेट कारोबारियों को मार मारनी शुरु कर दी है।
सरकार के फैसले से शहर के चारों विधायक सतबद्व
सरकार के इस फैसले से शहर के चारों कांग्रेसी विधायक भी सतबध हैं। वह खुलकर तो कुछ नहीं बोल रहे, मगर अंदरखाते मान रहे हैं कि इसका पार्टी व उन्हें नुकसान होगा। यहीं वह नेता है जो सत्ता में आने से पहले रियल एस्टेट पालिसी की वकालत करते थे और अकाली सरकार को जमकर कोस रहे थे। विधायक राजिंदर बेरी, सुशील रिंकू, परगट सिंह और बावा हैनरी का कहना है कि कांग्रेस सरकार रियल एस्टेट पालिसी को लेकर युद्ध स्तर पर काम कर रही है। जल्द ही प्रदेश की जनता के सामने सरल रियल एस्टेट पालिसी लाई जाएगी, जिसका जनता व कारोबारियों दोनों को फायदा मिलेगा। वह कहते हैं कि सरकार भी चाहती है कि प्रदेश का जो कारोबार पूर्व अकाली भाजपा सरकार के समय में डूब गया था, उसे दोबारा खड़ा किया जाए।
एनओसी के मामले में इन विधायकों का कहना है कि यह कुछ सीमित समय के लिए है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि कितनी अवैध कालोनियां और इन कालोनियों के लिए भविष्य में क्या पालिसी अपनाई जानी चाहिए। विधायकों का कहना है कि कैप्टन सरकार पूरी तरह से प्रदेश की जनता को समर्पित है, यहीं कारण है कि स्टांप ड्यूटी में कमी कर इस कारोबार को प्रफुल्लित करने का प्रयास किया गया था और भविष्य में रियल एस्टेट पालिसी बनाकर इस कारोबार को दोबारा खड़ा किया जाएगा। जरूरत पड़ी तो शहर की जनता व कारोबारियों की मांग को लेकर चारों विधायक सीएम दरबार में जाने से भी नहीं हिचकेंगे।
करोड़ों रूपए की प्रापर्टी डीलस हो रही प्रभावित
कांग्रेस सरकार की अच्छी किस्मत कहें या बदकिस्मति, पिछले कुछ दिनों से प्रापर्टी बाकाार में काम बहुत अच्छा चल रहा था। जिन लोगों की पिछले 8-10 साल से जगह नहीं बिक रही थी, उनकी प्रापर्टी की भी डील हो गई थी। बाजार में चारों तरफ इस बात को लेकर खुशी का माहौल बना हुआ था, क्योंकि रियल एस्टेट कारोबारियों, प्रापर्टी डीलरों, इन्वैस्टरों और आम जनता द्वारा लगभग हर रोका ही प्रापर्टी के सौदे किए जा रहे थे। बहुत बड़ी गिनती में पैसों का लेन-देन शुरू होने के आसार नकार आने लगे थे। जिन लोगों ने पिछले कई सालों से प्रापर्टी कारोबार में घाटा उठाया था, उन्हें भी अपने पैसे रिकवर होते और मुनाफा होने की उम्मीद नजर आने लगी थी।
अगर केवल जालंधर की ही बात की जाए, तो पिछले 1-2 महीनों में शहर के अंदर करोड़ों रूपए की नई प्रापर्टी डीलस हुई थी। किसी ने 3-4 महीने तो किसी ने 7-8 महीने का एग्रीमैंट किया था। बयाने के तौर पर लाखों रूपए भी एक-दूसरे को दे दिए थे। मगर सरकार के आदेश से शहर में करोड़ों रूपए की डीलस बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं। और इसका काफी दूरगामी परिणाम देखने को मिल सकता है।
तहसीलदार-2 ने पहले से ली हुई एन.ओ.सी. को लेकर एस.डी.ए.-2 से मांगी राय
आम जनता की परेशानी को देखते हुए तहसीलदार-2 हरमिंदर सिंह ने एस.डी.एम.-2 परमवीर सिंह को एक पत्र लिखा है और उनसे इस बात को लेकर राय मांगी है, कि जिन लोगों ने जे.डी.ए. और निगम के पास अपने-अपने प्लाट या मकान की बनती फीस जमा करवाकर एन.ओ.सी. प्राप्त की हुई है। उनकी रजिस्ट्री की जाए या नहीं? क्योंकि सरकार द्वारा जारी आदेश में इस बात को लेकर कुछ भी स्पष्ट नहीं किया गया है। तहसीलदार ने बताया कि उनके पास सुबह से लेकर शाम तक बड़ी गिनती में लोग आकर रजिस्ट्री रोकने का कारण पूछते हैं। जिस वजह से उन्होंने अपने सीनियर अधिकारी से इस मामले में राय मांगी है, ताकि जनता की परेशानी का हल ढूंढा जा सके।