सरहद पार से तस्करों ने हथियार व नशा भेजने को लेकर बदला पैंतरा

Edited By Urmila,Updated: 06 Nov, 2023 03:54 PM

smugglers changed tactics to send weapons and drugs from across the border

बड़े ड्रोन्स महंगे होने व इनकी आवाज ज्यादा होने के कारण तस्करों ने भी पैंतरा बदला है।

अमृतसर: बड़े ड्रोन्स महंगे होने व इनकी आवाज ज्यादा होने के कारण तस्करों ने भी पैंतरा बदला है और हेरोइन व हथियारों की तस्करी करने के लिए बड़े ड्रोन्स के बजाय मिनी ड्रोन्स उड़ा रहे हैं, ताकि बी.एस.एफ. व अन्य सुरक्षा एजैंसियों को चकमा दिया जा सके। बी.एस.एफ. के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि पिछले एक सप्ताह के दौरान बी.एस.एफ. व देहाती पुलिस की तरफ से चलाए जा रहे ज्वाइंट ऑप्रेशन्स के दौरान 8 ड्रोन जब्त किए जा चुके हैं, जो बार्डर फैंसिंग के नजदीक खेतों में लावारिस या क्षतिग्रस्त हालत में पड़े मिले हैं जिन इलाकों में सबसे ज्यादा ड्रोन उड़ने व गिराए जाने के मामले सामने आए हैं, उनमें धनौआ खुर्द, रत्नखुर्द व राजाताल के नाम शामिल है, क्योंकि इन इलाकों में बार्डर फैंसिंग खेतों व गांवों के बिल्कुल नजदीक है, जिसके चलते तस्कर आसानी के साथ ड्रोन को अपने मनचाहे स्थान पर लैंड करवा सकते हैं और वापस भेज सकते हैं।

एक से डेढ़ किलो वजन उठा सकते हैं मिनी ड्रोन्स

बी.एस.एफ. की तरफ से जब्त किए गए मिनी ड्रोन्स एक से डेढ़ किलो तक का वजन उठा सकते हैं। माना जा रहा है कि तस्कर इन दिनों 18 से 25 किलो तक की बड़ी खेप मंगवाने के बजाय एक-एक किलो छोटी खेप मंगवा रहे हैं। एक बार फेरी मंगवाने के बजाय रात में 4-5 बार ड्रोन की फेरी मंगवा रहे हैं। मिनी ड्रोन की आवाज कम होने के कारण यह आसानी के साथ ट्रेस नहीं किया जा सकता है और गोली का निशाना भी इस पर आसानी से नहीं लगता है।

बड़ा ड्रोन 8 से 10 लाख, मिनी ड्रोन की कीमत 2 लाख

एक बड़े ड्रोन जिसकी लंबाई व चौड़ाई आठ से सात फुट के बीच होती है, उस चाइना मेड ड्रोन की कीमत 8 से 10 लाख रुपए तक होती है जिसको असैंबल्ड किया होता है जबकि मिनी ड्रोन की कीमत चाइना मेड एक से दो लाख के बीच होती है। ऐसे में जब बी.एस.एफ. की तरफ से ड्रोन गिरा दिया जाता है या फिर तकनीकी रूप से खराबी के कारण ड्रोन गिर जाता है तो नुक्सान कम होता है।

साऊंडलैस अमरीकन ड्रोन का भी प्रयोग कर रहे तस्कर

चाइना मेड ड्रोन्स के साथ साथ तस्करों की तरफ से अमरीका मेड साऊंडलैस ड्रोन का भी प्रयोग किया जाता है, जिसकी कीमत बीस लाख रुपए तक होती है। इस ड्रोन में नाइट विजन की सुविधा भी होती है जिसके चलते तस्कर आसानी के साथ फेरी लगा सकते हैं। हाल ही में एस.टी.एफ. की तरफ से अटारी के सीमावर्ती एक गांव में 2 तस्करों को गिरफ्तार किया गया था जो पिछले 3 वर्षों से अमेरिकन मेड ड्रोन का प्रयोग कर रहे थे लेकिन हैरोइन की खेप के साथ रंगे हाथों पकड़े गए।

विलेज डिफैंस कमेटियों के गठन से निकले सकारात्मक परिणाम

पंजाब पुलिस की तरफ से संवेदनशील सीमावर्ती गांवों में विलेज डिफैंस कमेटियों का गठन किया गया है। इसके अलावा ड्रोन की सूचना देने वाले को एक लाख रुपए ईनाम भी रखा गया है। इस ऐलान के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। बी.एस.एफ. व देहाती पुलिस की तरफ से चलाए जा रहे सर्च ऑप्रेशन्स में आए दिन ड्रोन पकड़े जा रहे हैं।

तस्करों के बड़े आका अभी भी कानूनी शिकंजे से दूर

सुरक्षा एजैंसियों की तरफ से ड्रोन्स व खेप लेने आए कैरियरों को तक पकड़ा जा रहा है लेकिन तस्करी के काले कारोबार के बड़े आका अभी भी सुरक्षा एजैंसियों के कानूनी शिकंजे से बाहर चल रहे हैं और पर्दे के पीछे बैठकर काम कर रहे हैं। सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले गरीब व जरूरतमंद लोगों को आर्थिक लालच देकर यह आका अपना शिकार बना लेते हैं।

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