Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Mar, 2018 02:04 PM
पिछले कुछ दशकों से हमारे रोजाना जीवन में बहुत तबदीली हुई है। प्रतिदिन नई-नई वस्तुएं तथा नए-नए उत्पाद सामने आ रहे हैं जो जीवन शैली को तबदील कर रहे हैं। इनमें से एक है स्मार्टफोन मोबाइल, आज के समय में मोबाइल फोन हमारी एक अहम जरूरत है, परन्तु किसी भी...
फगवाड़ा (अभिषेक): पिछले कुछ दशकों से हमारे रोजाना जीवन में बहुत तबदीली हुई है। प्रतिदिन नई-नई वस्तुएं तथा नए-नए उत्पाद सामने आ रहे हैं जो जीवन शैली को तबदील कर रहे हैं। इनमें से एक है स्मार्टफोन मोबाइल, आज के समय में मोबाइल फोन हमारी एक अहम जरूरत है, परन्तु किसी भी चीज का अत्यधिक इस्तेमाल अच्छा नहीं होता। जोकि आजकल देखा जा रहा है, की लोग फोन का बेहद अत्यधिक इस्तेमाल कर रहे हैं जिसमें युवा सबसे ज्यादा हैं। एक सर्वे के मुताबिक भारत में करीब 775.5 मिलियन लोग मोबाइल का प्रयोग करते हैं जिनमें तकरीबन 300 मिलियन स्मार्टफोन हैं।
क्या हैं लक्षण
आज की युवा पीढ़ी हर समय ही मोबाइल में लगी रहती है जिसे स्मार्टफोन एडिक्शन कहा जाता है, जिसमें कुछ लोग स्मार्टफोन इस्तेमाल किए बिना एक दिन भी नहीं रह सकते और जिसकी एक स्टेज में तो व्यक्ति अपने एन्ड्रॉयड फोन को इस्तेमाल किए बिना 1 घंटे से अधिक लगातार नहीं रह सकता और उसे मोबाइल उठाकर चलाने की तलब सी लगती है। मोबाइल एडिक्शन से प्रभावित कुछ लोग तो बाथरूम में भी मोबाइल साथ लेकर जाते हैं। एक अनुमान के मुताबिक करीब 80 प्रतिशत 18-24 साल की उम्र वाले लोग अपने फोन को सोते समय भी पास ही रखते हैं और एक सामान्य व्यक्ति एक दिन में अपने फोन को तकरीबन 110 बार चैक करता है। स्मार्टफोन एडिक्ट व्यक्ति एक दिन में तकरीबन 900 से अधिक बार अपना फोन चैक करता है जोकि स्मार्टफोन एडिक्शन के लक्षण हैं।
ब्रेन कैंसर जैसी भयानक बीमारियों का खतरा
स्मार्टफोन एडिक्टस को ब्रेन कैंसर जैसी भयानक बीमारियों का भी खतरा रहता है। एक अध्ययन के अनुसार स्मार्टफोन एडिक्शन का शिकार हुए लोगों में ब्रेन ट्यमर होने का खतरा एक सामान्य व्यक्ति से 60 प्रतिशत ज्यादा रहता है। अमरीका जैसे अन्य बड़े देशों में भी हर साल हजारों लोग इस बीमारी के कारण मारे जाते हैं। इसके अलावा आंखों की रोशनी कम होने जैसी और भी कई बीमारियां फोन एडिक्शन से पैदा होती हैं जो की बहुत ङ्क्षचतनीय है।
हकीकत की दुनिया में नहीं जी पाते ऐसे लोग
मोबाइल एडिक्शन की एक सबसे बड़ी समस्या यह भी है की इससे प्रभावित लोग असली जिंदगी में नहीं जी पाते और वे सर्वाधिक समय मोबाइल की ऑनलाइन दुनिया में ही खोए रहते हैं। जैसे की एक घर में रहते हुए भी लोग आजकल अपनों के करीब नहीं हैं वे हर समय व्हाट्स एप, फेसबुक आदि चलाते हुए फोन में ही व्यस्त रहते हैं और पहले समय की तरह आपस में वार्तालाप करके वक्त नहीं गुजारते।
सबसे बड़ी हद की बात तो यह है की कई घरों में तो बच्चे खाना भी मां से व्हाट्स एप द्वारा मैसज करके मांगते हैं। मशहूर वैज्ञानिक अल्बर्ट आईंसटाइन द्वारा सैंकड़ों साल पहले कही हुई बात सच है की एक समय में टैक्नोलॉजी इंसान पर इतना हावी हो जाएगी की मनुष्य अपने परिवार या मित्रों में बैठा हुआ भी हकीकत की जिंदगी को जी नहीं पाएगा।