राष्ट्रीय मार्ग पर लगे साइन बोर्डों पर पहली भाषा के तौर पर लिखी जाने लगी पंजाबी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Dec, 2017 10:42 AM

punjabi written as first language on sign boards

राष्ट्रीय मार्ग नं. 54 पर पंजाबी भाषा को तीसरी जगह पर लिखे जाने के विरोध में आए पंजाबियों द्वारा पंजाब के अलग-अलग हिस्सों में किया गया संघर्ष रंग लाने लगा है व सरकार की हिदायतों पर ठेकेदार ने पंजाबी को पहली भाषा के तौर पर लिखना शुरू कर दिया है।

फरीदकोट (हाली): राष्ट्रीय मार्ग नं. 54 पर पंजाबी भाषा को तीसरी जगह पर लिखे जाने के विरोध में आए पंजाबियों द्वारा पंजाब के अलग-अलग हिस्सों में किया गया संघर्ष रंग लाने लगा है व सरकार की हिदायतों पर ठेकेदार ने पंजाबी को पहली भाषा के तौर पर लिखना शुरू कर दिया है। इस राष्ट्रीय राज्य मार्ग पर पहले लगे बोर्डों को उतारकर उनकी जगह पर नए बोर्ड लगाए जा रहे हैं, जिनके ऊपर गांवों, शहरों व अन्य स्थानों पर नामों को पहले पंजाबी में, फिर हिन्दी में व तीसरे स्थान पर अंग्रेजी में लिखा गया है।

मुख्यमंत्री पंजाब के दफ्तर द्वारा सचिव लोक निर्माण विभाग को जारी पत्र द्वारा लिखा गया था कि राष्ट्रीय मार्ग नं. 54 पर पंजाबी बोली के सत्कार संबंधी आई शिकायतों का निपटारा किया जाए। वर्णनीय है कि भाई घनैया कैंसर रोको सेवा सोसायटी के प्रधान गुरप्रीत सिंह चंदबाजा ने कैप. अमरेंद्र सिंह मुख्यमंत्री पंजाब को पत्र लिखकर राष्ट्रीय राज्य मार्ग पर पंजाबी के साथ हो रहा सौतेला व्यवहार बंद करने के लिए अनुरोध किया था। इसके अलावा पंजाब के अन्य जिलों में इस संबंधी आवाजें उठाई थीं व बोर्डों पर कालिख लगा दी गई थी।

उल्लेखनीय है कि भाई घनैया सोसायटी व अन्य पंजाबी प्रेमियों के संघर्ष ने पंजाबी के हक में माहौल बनाना आरंभ किया हुआ है, इस संबंधी फरीदकोट में सोसायटी द्वारा पंजाबी के नामवर विद्वानों को बुलाकर करवाए गए मां बोली सत्कार समागम की गूंज भी दुनिया के कोने-कोने तक पहुंची, जिसमें जसवंत सिंह कंवल, डा. हरजिंदर सिंह वालिया, हरपाल सिंह पन्नू व डा. भीमइंद्र सिंह ने मां बोली के हक में दलीलें देते हुए हर तरह के सहयोग का ऐलान किया था। बठिंडा-अमृतसर मार्ग पर करीब 200 किलोमीटर के दायरे वाले साइन बोर्ड तबदील होने शुरू हो गए हैं। उक्त विवाद में से मां बोली पंजाबी को यह एक अलग प्राप्ति मिली है, क्योंकि पंजाब के ज्यादातर उद्योगपतियों व छोटे-बड़े दुकानदारों ने अपने प्रतिष्ठानों के बाहर लगे बोर्ड पंजाबी में कर दिए हैं व खुशी-गमी के आमंत्रण पत्र भी अब पंजाबी भाषा में छपने शुरू हो गए हैं।

क्या कहते हैं समाज सेवी 
भाई घनैया कैंसर रोको सोसायटी के संस्थापक गुरप्रीत सिंह चंदबाजा ने बताया कि मां बोली के साथ हो रहे सौतेले व्यवहार संबंधी सरकार व प्रशासनिक अधिकारियों को पहले अनुरोध पत्र लिखे गए व फिर कानूनी नोटिस भी भेजे गए थे, जिस पर यह कार्रवाई होनी शुरू हुई है व मां बोली को मिले सम्मान पर वह व उनकी जत्थेबंदी गदगद है।

क्या कहते हैं अधिकारी 
इस संबंध में पी.डब्ल्यू.डी. बी.एंड आर. के एक्सियन अंग्रेज सिंह ने कहा कि विभाग द्वारा पंजाबी को पहले नंबर पर रखने वाले बोर्ड तैयार करवाए जा रहे हैं और पुराने बोर्डों को बदलने की प्रीक्रिया शुरू हो चुकी है, परंतु बड़ी संख्या में यह नए बोर्ड लिखने व लगाने में एक महीने का और समय भी लग सकता है। अधिकारी ने यह भी कहा कि विभाग द्वारा पंजाब भर में से गुजरते इस रास्ते पर पंजाबी को पहले नंबर पर रखने के लिए बाकायदा यत्न शुरू कर दिए हैं।
 

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